अपनी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को कमजोर नहीं पड़ने देगा भारत, अमेरिकी टैरिफ के बीच अब फोकस में ये 40…

Trump Tariff: अमेरिका का भारत पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ कल से लागू हो चुका है. इसका असर देश की कई इंडस्ट्रीज पर देखने को मिल सकता है. इन्हीं में से एक है भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री, जिसके लिए अमेरिका एक्सपोर्ट का सबसे बड़ा बाजार है. जनवरी-मई 2025 में भारत से अमेरिका के लिए 4.59 अरब अमेरिकी डॉलर के कपड़ों का निर्यात हुआ, जो पिछले साल के मुकाबले 13 परसेंट ज्यादा है.
अमेरिका में क्यों भारतीय कपड़ों की डिमांड?
अमेरिका में लोग भारत के किफायती और बेहतर क्वॉलिटी के कपड़ों को खरीदना पसंद करते हैं. यही वजह है कि अमेरिका के गारमेंट इम्पोर्ट मार्केट में भारत की हिस्सेदारी बढ़ी है. अब टैरिफ के चलते यही प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे, जो इसे दूसरे एशियाई देशों जैसे कि बांग्लादेश, वियतनाम, चीन के मुकाबले अमेरिकी बाजारों में कम प्रतिस्पर्धी बना देंगे. ऐसे में अब आगे क्या?
इन देशों पर टिकी है भारत की नजर
परेशानी है, तो सूझबूझ से उसका हल भी निकाला जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बीच भारत अपने टेक्सटाइल एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे 40 देशों में अपना दायरा बढ़ाने पर फोकस कर रहा है.
अन्य देशों में जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. भारत इन देशों में खुद को बेहतर क्वॉलिटी और डिजाइन के टेक्सटाइल प्रोडक्ट सप्लायर के रूप में स्थापित करना चाहता है. वैसे तो भारत 220 देशों को निर्यात करता है, लेकिन इन 40 देशों में आयात बड़े पैमाने पर किया जा सकता है.
देश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर बुरा असर
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के हाई टैरिफ पर बात करते हुए अपेरल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (AEPC) के सेकेट्री जनरल मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि 10.3 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ टेक्सटाइल सेक्टर सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
देश का यह सेक्टर अमेरिका के पहले लगाए गए 25 परसेंट के बेसलाइन टैरिफ से समझौता कर चुका था, इस बढ़े हुए खर्च को उठाने के लिए भी तैयार था. लेकिन 50 परसेंट टैरिफ ने भारतीय परिधान उद्योग अमेरिकी बाजारों से प्रभावी रूप से बाहर कर दिया है क्योंकि बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों पर लगाए गए टैरिफ और भारत पर लगाए गए टैरिफ के बीच 30-31 परसेंट का अंतर बैठता है.
अब आगे क्या?
उन्होंने कहा कि देश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को उम्मीद है कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के जरिए व्यापार की अनुकूल शर्तें बहाल होने तक अमेरिकी बाजार में टिके रहने के लिए सरकार की तरफ से कुछ तत्काल राहत मिलेगी.
उन्होंने आगे कहा, “यह बेहद जरूरी है क्योंकि एक बार खरीदार को अगर कम रेट वाला दूसरा ऑप्शन मिल जाता है, तो खोई हुई जमीन वापस पाना और बाजार में हिस्सेदारी हासिल करना आसान नहीं होता. इस बीच, हम बाजार विविधीकरण की दिशा में अपने प्रयासों को तेज कर रहे हैं और नुकसान को काबू में रखने के लिए यूके और ईएफटीए देशों के साथ व्यापार समझौते का लाभ उठाने की हर संभावना पर विचार कर रहे हैं.”
ये भी पढ़ें: