‘पड़ोसी देश से रिश्ते सुधारें, देश के अंदर विवाद..’, संघ प्रमुख मोहन भागवत का सरकार को संदेश

100 साल की संघ यात्रा पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम को लगातार दूसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध सुधारने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि हमें पड़ोसी देशों के साथ समाज को जोड़ने का काम करना होगा. इसके साथ-साथ देश के अंदर विभिन्न वर्गों के बीच चल रहे विवादों को खत्म करने की बात भी की है.
मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने सदा अपने नुकसान की अनदेखी करते हुए जिन्होंने नुकसान किया, उनकी भी मदद की है. आज विश्व हमारी साख को मानता है, समाज हमारी बात मानता है. अब आगे का पड़ाव क्या है, जो हम संघ में कर रहे हैं वो सारे समाज में हो, चरित्र निर्माण, देशभक्ति जगाना आदि.
जितना बुरा दिखता है, उससे 40 गुना ज्यादा अच्छा भारत
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत में जितना बुरा दिखता है, उससे 40 गुना ज्यादा समाज में अच्छा है. सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर आकलन करना ठीक नहीं होगा. हमको समाज के कोने-कोने तक पहुंचना पड़ेगा, कोई व्यक्ति रहे नहीं, ऐसा कार्य का विस्तार हमको करना पड़ेगा. समाज के सभी वर्गों में और सभी स्तरों में जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि गरीब से नीचे से लेकर अमीर के ऊपर तक संघ को पहुंचना पड़ेगा. ये जल्दी से जल्दी करना पड़ेगा, जिससे सब लोग मिलकर समाज परिवर्तन के काम में लग जाएं.
पड़ोसी देशों के साथ करें समाज जोड़ने का काम
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि ये देश को राष्ट्रीय स्तर पर करना पड़ेगा. पहले पड़ोसी देशों के साथ हमको समाज जोड़ने का काम करना होगा. पड़ोसी देश अधिकांश भारत देश के ही थे. लोग वही हैं जो विरासत मिली है, इसमें सबका विकास हो. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पंथ संप्रदाय अलग होंगे तो उन्हें रहने दीजिए, लेकिन समाज को जोड़ना होगा.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विभिन्न वर्गों के बीच चल रहे विवादों को खत्म करने को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि आक्रमणों के कारण विदेशी विचारधाराएं आई, लेकिन उन्हें स्वीकार करने वाला यही का समाज था. हमारा मत सबको स्वीकार करने का है. जो दूरियां बनी है, उसको पाटने के लिए दोनों तरफ से प्रयास की जरूरत है. ये सद्भावना और सकारात्मकता के लिए अत्यंत आवश्यक है.
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