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सरकारी अफसर बनकर करता रहा ठगी, त्रिपुरा के 200 करोड़ रुपए घोटाले का ED ने किया खुलासा

ED ने 26 अगस्त को त्रिपुरा, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में बड़ी छापेमारी की. ये कार्रवाई त्रिपुरा के रहने वाले उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जुड़ी है. ED की जांच में सामने आया है कि चौधरी ने 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जीवाड़ा किया है.

ED ने बताया कि चौधरी ने कई फर्जी कंपनियां और संस्थाएं बनाई, जिनके नाम सरकारी विभागों और PSU जैसी संस्थाओं से मिलते-जुलते थे. जैसे Directorate of Higher Education Tripura, Bridge and Roof Company और Directorate of Apparel Council of India. इन नामों से लोगों को भरोसा दिलाया गया कि ये असली सरकारी विभाग हैं और उनसे जुड़कर लोगों ने इन्वेस्टमेंट कर दिया.

सीनियर अफसर कहकर लोगों को बनाता शिकार

चौधरी खुद को भारत सरकार का सीनियर अफसर बताता था और इसी धोखे में उसने कई लोगों और संस्थानों को सरकारी कॉन्ट्रैक्ट दिलाने का झांसा देकर ठगा. वो स्कूल और कॉलेजों को ये कहकर फंसाता था कि त्रिपुरा से छात्रों को उनके संस्थानों में भेजा जाएगा. इसके अलावा मिड-डे मील का टेंडर दिलाने के नाम पर भी ठगी की गई.

ED को जांच में पता चला कि चौधरी ने चलताखली स्वामीजी सेवा संघ नाम की एक NGO पर कब्जा कर लिया था. इस NGO का बैंक अकाउंट उसने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किया. फर्जी रबर ट्रेडिंग बिजनेस दिखाकर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का पैसा अलग-अलग राज्यों हरियाणा, दिल्ली और कोलकाता की कंपनियों में घुमाया गया, लेकिन असलियत में रबर का कोई बिजनेस था ही नहीं, सिर्फ पेपर पर एंट्री दिखाकर पैसा घुमाया गया और फिर कैश में निकाल लिया गया.

सरकार के कुछ सीनियर अफसरों से करीबी रिश्ते

जांच में ये भी सामने आया है कि उत्पल चौधरी के त्रिपुरा सरकार के कुछ सीनियर अफसरों से करीबी रिश्ते थे. ये अफसर उसे हाई-रैंक अधिकारी बताकर बिजनेसमैन से मिलवाते थे. इसी नेटवर्क का फायदा उठाकर उसने लोगों से करोड़ों रुपये ऐंठे.

ED को रेड के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी सरकारी स्टैम्प, मंत्रालयों के नकली ID कार्ड, डिजिटल डेटा, 7 लाख रुपये कैश और 60 लाख रुपये से ज्यादा बैंक बैलेंस का पता चला. इसके अलावा त्रिपुरा में रियल एस्टेट और जमीन में किए गए निवेश के भी सबूत मिले हैं. फिलहाल चौधरी हरियाणा जेल में बंद है और ED की जांच जारी है. 

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