‘आखिरकार हमें तो…’, भारत पर लागू हुआ ट्रंप का 50 फीसदी टैरिफ तो क्या बोले अमेरिका के वित्त…

अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी जताते हुए भारतीय उत्पादों पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ भी थोप दिया है. 25 टैरिफ पहले से लागू हैं, ऐसे में भारत से अमेरिका जाने वाले उत्पादों को बुधवार से 50 प्रतिशत के भारी-भरकम टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. इस सब के बीच अमेरिकी वित्त मंत्री को उम्मीद है कि भारत और अमेरिका एक दिन जरूर साथ आएंगे.
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने हालांकि उम्मीद जताई कि भारत-अमेरिका रिश्ते मजबूत रहेंगे. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था. अंत में हम साथ आएंगे.
व्यापार समझौते पर अटकी वार्ता
बेसेंट ने साफ कहा कि अभी तक व्यापार समझौता नहीं हो पाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत का रवैया अब तक “परफॉर्मेटिव” यानी सतही रहा है. उन्होंने कहा कि भारत ने स्वतंत्रता दिवस के तुरंत बाद बातचीत शुरू की थी. उम्मीद थी कि मई या जून तक समझौता हो जाएगा. लेकिन भारत ने बहुत सतर्क और माप-तौल कर कदम बढ़ाए. बेसेंट ने यह भी कहा कि भारत ने रूसी तेल से मुनाफा कमाया है और यही एक विवाद का बड़ा कारण है.
ट्रंप-मोदी के रिश्तों पर बयान
बेसेंट ने माना कि दोनों देशों का रिश्ता जटिल है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच उच्च स्तर पर बहुत अच्छे रिश्ते हैं, लेकिन मामला सिर्फ रूसी तेल का नहीं है. बेसेंट ने आगे कहा कि अमेरिका का भारत के साथ बहुत बड़ा व्यापार घाटा है. उन्होंने समझाया कि जब व्यापार में टकराव होता है तो घाटे वाला देश (अमेरिका) फायदा में होता है. सरप्लस वाले देश (भारत) को चिंता करनी चाहिए. भारत भले ही अमेरिका को चीजें बेच रहा है लेकिन उसके अपने टैरिफ बहुत हाई हैं.
रुपया और डॉलर पर क्या कहा बेसेंट ने?
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत द्वारा रुपये में व्यापार चिंता का विषय है, तो उन्होंने जवाब दिया कि भारतीय रुपया इस समय डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर है. मुझे कई चीजों की चिंता रहती है, लेकिन रुपया रिजर्व करेंसी बनेगा, यह उनमें से नहीं है.
भारत का जवाब और PM मोदी का रुख
नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे. जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर आल्गेमाइने साइटुंग (FAZ) की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी ने हाल के हफ्तों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चार फोन कॉल्स तक नहीं उठाईं. रिपोर्ट में कहा गया कि यह उनके गुस्से और सतर्कता दोनों का संकेत है.