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‘अनुच्छेद 32 देता है अधिकार’, नाबालिग से रेप और हत्या के दोषी की मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट…

सुप्रीम कोर्ट नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी वसंत संपत दुपारे की सजा पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हो गया है. दोषी वसंत संपत सुपारे को साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए चुनौती दी है कि उस समय कोर्ट ने तय मानदंडों का पालन नहीं किया.

जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच के सामने मामला रखा गया. बेंच ने याचिकाकर्ता की दलील पर कहा कि अगर सजा के समय 2022 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय किए गए दंड संबंधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया तो सजा को लेकर मामले को फिर से खोला जा सकता है. वसंत सुंपत दुपारे को चार साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या का दोषी करार दिया गया है.

डेकन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा पाए व्यक्ति को समान व्यवहार और निष्पक्ष प्रक्रिया के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता है. यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में हर व्यक्ति के लिए निहित हैं. बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 32 कोर्ट को प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के उल्लंघन के आधार पर मृत्युदंड पाए व्यक्ति की सजा पर पुनर्विचार का अधिकार दिया है.

यह मामला साल 2008 का है जब नागपुर के रहने वाले वसंत संपत दुपारे ने नाबालिग का रेप किया और फिर उसकी जान ले ली. अभियोजन पक्ष के अनुसार वसंत संपत दुपारे ने लड़की को चॉकलेट का लालच दिया और उससे दुष्कर्म किया. उसने बच्ची की हत्या करने के बाद पहचान छिपाने के इरादे से उसके चेहरे को विकृत कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने दुपारे की दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन सजा को लेकर 2017 में प्रस्तुत दृष्टिकोण को फिलहाल दरकिनार कर दिया और मामले को उचित निर्देशों के लिए मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण के समक्ष भेज दिया. वसंत संपत दुपारे की याचिका को स्वीकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मनोज बनाम मध्य प्रदेश मामले में दिए गए 2022 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें उसने कई दिशानिर्देश जारी किए थे और सुनवाई अदालत को मौत की सजा देने से पहले अभियुक्त की मनोरोग और मनोवैज्ञानिक आकलन रिपोर्ट प्राप्त करने का निर्देश दिया था.

बेंच ने 25 अगस्त को कहा, ‘हम मानते हैं कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 32 इस कोर्ट को मृत्युदंड से संबंधित मामलों में सजा सुनाने के चरण को फिर से विचार करने का अधिकार देता है, जहां आरोपी को बिना यह सुनिश्चित किए कि मनोज (सुप्रा) में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन किया गया है मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है.’

वसंत संपत दुपारे की सजा की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने 26 नवंबर, 2014 को की थी और उसकी पुनर्विचार याचिका भी तीन मई, 2017 को खारिज कर दी गई थी. इसके बाद उसने महाराष्ट्र के राज्यपाल और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिकाएं दायर कीं, जिन्हें 2022 और 2023 में खारिज कर दिया गया.

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