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ट्रंप के टैरिफ का खौफ, 2800 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने वाली थी कंपनी; अब प्लान हो सकता है चेंज

Veritas Finance IPO: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर लगाया गया 50 परसेंट का भारी-भरकम टैरिफ आज से लागू हो गया है. इसका असर देश के कई सेक्टरों पर देखने को मिल सकता है. इससे शेयर बाजार में भी गिरावट की आशंका है. इसे भांपते हुए : MSME लेंडर वेरिटास फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने अपने 2,800 करोड़ रुपये के आईपीओ को कुछ समय तक के लिए टाल दिया है.

ट्रंप ने पहले भारत पर 25 परसेंट का बेसलाइन टैरिफ लगाया था और अब रूस से तेल की खरीद को लेकर 25 परसेंट का टैरिफ और लाद दिया. यानी कि अब भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर 50 परसेंट टैरिफ वसूला जाएगा. देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सेक्टर पर इसके असर की चिंताओं के मद्देनजर वेरिटास फाइनेंस फिलहाल के लिए इसे टाल दिया है. जबकि सूत्रों के मुताबिक, यह नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी इसी महीने अपना आईपीओ लेकर आने वाली थी. 

दबाव में देश का MSME सेक्टर 

अमेरिका के भारी-भरकम टैरिफ का खामियाजा देश के MSME सेक्टर को भुगतना पड़ेगा, जो देश की एक्सपोर्ट इकोनॉमी की रीढ़ की हड्डी है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक, भारत के MSME सेक्टर का दायरा कपड़े से लेकर रत्न एवं आभूषण, सीफूड और केमिकल जैसे कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है. इनकी एक्सपोर्ट कैपेसिटी भी 70 परसेंट से ज्यादा है. अब ये सभी टैरिफ के दायरे में हैं. जैसे कि तमिलनाडु के तिरुप्पुर में कई छोटे-बड़े कपड़ा निर्माता हैं, जो कम मार्जिन पर काम करते हैं.

इनपुट या लॉजिस्टिक पर आने वाले खर्च में थोड़ी-बहुत ऊंच-नींच भी इनके प्रोडक्शन को पटरी से उतार सकती है. इसी तरह से सूरत में हीरे के कई कारोबारी है, पानीपत में घरेलू वस्त्र के कई उद्योग हैं, मोरबी में चीनी मिट्टी की छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज हैं, जो ट्रंप के 50 परसेंट वाले को लेकर बेहद संवेदनशील हैं क्योंकि अमेरिका इनका सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है. टैरिफ से ये अपने प्रतिद्वंदियों से पिछड़ सकते हैं. 

अप्रैल में मिली थी आईपीओ के लिए मंजूरी 

वेरिटास फाइनेंस शहरों और कस्बों में बसे एमएसएमई को लोन मुहैया कराता है. साथ ही यह गांवों में छोटे-मोटे कारोबार के लिए भी बिजनेस लोन देता है. वेरिटास अपने आईपीओ के जरिए लगभग 2,800 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी. इसमें 600 करोड़ रुपये के नए शेयरों के साथ-साथ  2200 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल रह सकता है.

वेरिटास को अप्रैल में अपने आईपीओ के लिए सेबी की मंजूरी मिल गई थी, जो अगले 12 महीने के लिए वैलिड है. सूत्रों के मुताबिक, हो सकता है कि साल की दूसरी छमाही में वेरिटास आईपीओ को लॉन्च करने के बारे में दोबारा सोचें. दरअसल, ट्रंप के लगाए गए टैरिफ की वजह से MSME सेक्टर की जरूरतों को पूरा करने वाली NBFC को बाजार में अपने भविष्य को लेकर कुछ बेचैनी दिख रही है. 

 

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