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सोने का 20 साल में 1200 प्रतिशत चढ़ा भाव, जानें आगे को लेकर क्या है मार्केट एक्सपर्ट्स की राय

Gold Price: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ आज बुधवार 27 अगस्त 2025 से प्रभावी हो गया है. इस बीच घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. एमसीएक्स पर सोना अक्टूबर 3 कंट्रैक्ट्स 0.44 प्रतिशत बढ़कर 1,01,070 रुपये पर बिक रहा है. जबकि, एमसीएक्स पर चांदी सितंबर 5 कंट्रैक्ट्स 0.46 प्रतिशत लुढ़ककर 1,15,774 रुपये प्रति किलो के दर पर उपलब्ध है.

सोने के दाम में पिछले 20 साल में करीब 1200 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यानी, 2005 में सोना 7,638 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर कारोबार कर रहा था, जो 1200 प्रतिशत उछलकर 2025 के जून में 1 लाख रुपये के पार कर गया.

सालाना आधार पर दिया 31 प्रतिशत का रिटर्न

सोने का भाव हर साल करीब 31 प्रतिशत ऊपर चढ़ा है. साल 2025 में शेयर और अन्य निवेश के मुकाबले से ज्यादा रिटर्न सोने ने दिया है. जबकि, चांदी का भाव एक लाख रुपये के पार पहुंचकर स्थिर है. यह पिछले 20 साल के दौरान यानी 2005 से लेकर 2025 तक 668.84 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.

इंडियन बुलियन के मुताबिक आज देश में 24 कैरेट सोना प्रति 10 ग्राम 1,01,270 रुपये की दर से बिक रहा है. जबकि, 22 कैरेट सोना 92,831 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा है.

आपके शहरों का ताजा भाव

दिल्ली में आज 24 कैरेट सोना इंडियन बुलियन पर 1,00,910 रुपये तो वहीं मुंबई में 1,01,090 रुपये, कोलकाता में 1,00,950 रुपये, बेंगलुरू में 1,01,170 रुपये, हैदराबाद में 1,01,250 रुपये और चेन्नई में 1,01,380 रुपये की दर से बिक रहा है.

सोने का भाव को लेकर एक्सपर्ट्स मानना है कि अगर वैश्विक हलचल तेज रहती है तो फिर आने वाले दिनों में इसकी चमक और तेज हो सकती है. हालांकि, अगर भूराजनीतिक तनाव में कमी आती है तो फिर निवेशक सोने की जगह अन्य चीजों में निवेश को बेहतर मान सकते हैं.

कैसे तय होता रेट?

सोना और चांदी के दाम रोज़ाना आधार पर तय किए जाते हैं और इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं. इनमें मुख्यतः निम्नलिखित कारण शामिल हैं. चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी की कीमतें अमेरिकी डॉलर में तय होती हैं, इसलिए डॉलर-रुपया विनिमय दर में बदलाव का सीधा असर इन धातुओं की कीमत पर पड़ता है. अगर डॉलर की कीमत बढ़ती है या रुपया कमजोर होता है, तो भारत में सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं.

भारत में सोने का अधिकांश हिस्सा आयात किया जाता है. ऐसे में सीमा शुल्क (Import Duty), GST और अन्य स्थानीय टैक्स सोने की कीमतों को प्रभावित करते हैं.

वैश्विक बाजार में उथल-पुथल (जैसे युद्ध, आर्थिक मंदी या ब्याज दरों में बदलाव) का सीधा असर सोने की कीमत पर पड़ता है. जब वैश्विक बाजार में अनिश्चितता बढ़ती है, तो निवेशक शेयर या अन्य अस्थिर संपत्तियों की बजाय सोने जैसे सुरक्षित विकल्पों को चुनते हैं. भारत में सोना केवल निवेश ही नहीं, बल्कि परंपरा और सांस्कृतिक मान्यताओं से भी जुड़ा हुआ है. शादी-ब्याह, त्योहार और शुभ अवसरों पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. इसलिए मांग अधिक होती है, जिससे कीमतें प्रभावित होती हैं.

सोना लंबे समय से महंगाई के मुकाबले बेहतर रिटर्न देने वाला विकल्प रहा है. जब महंगाई बढ़ती है या शेयर बाजार में जोखिम होता है, तो लोग सोने में निवेश करना पसंद करते हैं. यही कारण है कि इसकी मांग और कीमत हमेशा बनी रहती है.

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