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Noel Tata Joins Tata Sons Board as Director | टाटा संस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बने नोएल टाटा: रतन…

मुंबई31 मिनट पहले

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नोएल टाटा पिछले साल अक्टूबर में रतन टाटा के देहांत के बाद से टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं।

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस ने 14 अगस्त को अपनी 107वीं एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में नोएल टाटा को बोर्ड का डायरेक्टर नियुक्त किया है। ये रतन टाटा के देहांत के बाद टाटा सन्स की पहली जनरल मीटिंग है।

नोएल टाटा पिछले साल अक्टूबर में रतन टाटा के देहांत के बाद से टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। वे अब ऑफिशियल तौर पर टाटा सन्स के बोर्ड में शामिल हो गए हैं।

नोएल टाटा की नियुक्ति टाटा ट्रस्ट की ओर से हुई है। ये ट्रस्ट टाटा संस में 66% हिस्सेदारी रखता है और टाटा ग्रुप के कामकाज के महत्वपूर्ण निर्णय लेता है।

अक्टूबर में टाटा ट्रस्ट के चैयरमेन बने थे नोएल टाटा

66 साल के नोएल टाटा अक्टूबर में ‘टाटा ट्रस्ट’ के चेयरमैन बने थे। वे पहले ही दो फैमिली ट्रस्ट के ट्रस्टी थे। नोएल रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। 9 अक्टूबर को रतन टाटा के निधन के बाद नोएल इकलौते दावेदार थे। हालांकि उनके भाई जिम्मी का नाम भी चर्चा में था, लेकिन वे पहले ही रिटायर हो चुके थे। मुंबई में ट्रस्ट की मीटिंग में नोएल के नाम पर सहमति बनी थी।

नवल टाटा की दूसरी पत्नी के बेटे हैं नोएल

नोएल नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन के बेटे हैं। वहीं रतन टाटा और जिम्मी टाटा नवल और उनकी पहली पत्नी सूनी की संतान हैं।

नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से अपने करियर की शुरुआत की

नोएल ने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से पढ़ाई की है। नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से अपने करियर की शुरुआत की। 1999 में वे ग्रुप की रिटेल शाखा ट्रेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए गए। इसे उनकी मां सिमोन ने शुरू किया था। 2010-11 में उन्हें टाटा इंटरनेशनल का चेयरमैन बनाया गया।

इसके बाद उनके ग्रुप के चेयरमैन बनाए जाने पर चर्चा शुरू हो गई। इस बीच सायरस मिस्त्री ने खुद टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाए जाने की बात कही। इसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया और रतन टाटा ने ग्रुप की कमान संभाली। 2018 में उन्हें टाइटन का वाइस चेयरमैन बनाया गया और 2017 में उन्हें ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया।

नोएल भाई रतन टाटा की तरह शांत व संयमित

नोएल अपने बड़े भाई रतन टाटा की तरह शांत व संयमित आचरण के लिए जाने जाते हैं। उनकी खूबी लो-प्रोफाइल नेतृत्व शैली है, जो रतन टाटा के ज्यादा सार्वजनिक रहने के नजरिये के उलट है। जहां रतन को एविएशन से लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री तक काम करने का अनुभव था। वहीं, नोएल के पास अनुभव की कमी है।

जब 2011 में समूह में रतन टाटा के उत्तराधिकारी की तलाश चल रही थी, तब एक विदेशी मीडिया को दिए इंटरव्यू में रतन टाटा ने कहा था कि नोएल के पास अनुभव का अभाव था। इसलिए उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। अंततः उनके बहनोई साइरस मिस्त्री ने उनकी जगह ली। मिस्त्री के हटने के बाद टीसीएस प्रमुख एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बने।

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