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Mahaganpati decorated with silver anga | राजसमंद में मंशापूर्ण महागणपति का चांदी की आंगी से…

चांदी की आंगी में सजे मंशापूर्ण महागणपति, सुबह से मंदिर में श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हुआ। 

राजसमंद के नौ चौकी रोड़ राजनगर स्थित मंशापूर्ण महागणपति के प्राचीन मंदिर में गणेश चतुर्थी पर्व पर सुबह से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो चुके है। मंगलवार देर रात्रि को महागणपति की चांदी की आंगी का काम पुरा हुआ। इसके बाद बुधवार सुबह मंगला दर्शन के बाद यज्ञ श

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मंदिर के पुजारी पंडित गोपाल श्रोत्रिय के अनुसार गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह 11 बजे से दूध, दही, घी, शहद, शर्करा व पंचामृत से स्नान कराया जाएगा। उसके बाद गणेश अथर्व शीर्ष व गणेश सहस्रनाम स्तोत्र पाठ सहित वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक पूरा किया जाएगा और लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा। अभिषेक के बाद मंदिर में मध्याह्न के समय आरती की जाएगी।

शाम के समय कमल के फूलों से विशेष श्रृंगार कर महागणपति की आरती की जाएगी। गणेश चतुर्थी से पाांच दिनों तक मंदिर में अलग-अलग फूलों से श्रृंगार कर झांकियां सजाई जाएंगी। शहर में भी गणेश मंडलों में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना के साथ ही पांच दिवसीय गणेश उत्सव का आगाज होगा। आगामी पांच दिनों तक नगर परिषद द्वारा धार्मिक आयोजन किए जाएंगे।

मंदिर के बाहर लाल कपड़ों में पांडाल बनाया गया।

मंदिर के बाहर रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया।

मंदिर में पांच दिनों तक धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगें। प्रतिदिन मंदिर में विशेष श्रृंगार किया जाएंगा।

देश का एकमात्र मंदिर है मंशापूर्ण महागणपति का मंदिर –

राजसमंद में प्रथम पूज्य आराध्य देव भगवान गणेशजी का श्री मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्राचीन मंदिर अपने आप में विशिष्ट व दुर्लभ है जो 400 साल से अधिक पुराना है। मंदिर में विराजित भगवान गणेश की विशाल पाषाण प्रतिमा भारत में दुर्लभ ही देखने को मिलती है।

देशभर में गणेशजी की कई प्रकार और आकार की प्रतिमाएं हैं जो अपने आप में विशेषताएं रखती हैं, लेकिन मंशापूर्ण महागणपति का यह मंदिर सबसे विशिष्ट है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता महागणपति की विशाल प्रतिमा है। एक ही पाषाण से बनी गणेशजी की यह प्रतिमा इतनी विशाल है कि सीढ़ियों के सहारे ही गणेशजी की पूजा-अर्चना संभव हो पाती है। सवा नौ फीट ऊँची यह प्रतिमा सम्पूर्ण गणेश परिवार को समाहित करती है। एक ही पाषाण पर गणेश परिवार के साथ कई विशेषताओं के कारण महागणपति की यह प्रतिमा विश्व में अद्वितीय है।

सवा नौ फीट ऊँची प्रतिमा की यह है विशेषता

राजसमंद में नो चोकी मार्ग पर स्थित श्री मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में एक ही पाषाण की शिला पर चतुर्भुज धारी भगवान गणेशजी के साथ रिद्धि-सिद्धि, और शुभ-लाभ, गले में सर्प स्वरूप यज्ञोपवीत व मूषक की सवारी है। भगवान गणेशजी का दाहिना पाँव आगे की ओर निकला हुआ है, जो सदैव भक्तों के कार्य सिद्धि व मनोकामना पूर्ण करने का संकेत है।

यही नहीं, चतुर्भुज धारी वृहद हस्त से भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं, दूसरे हाथ में लड्डू, तीसरे हाथ में फरसा व चौथे हाथ में अंकुश है। सभी विशेषताएं गणेश की प्रतिमा में मौजूद हैं। भगवान गणेश के इस मंदिर में भक्तों की मनोकामनाएं हमेशा पूर्ण होती हैं, यही कारण है कि यह मंदिर मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध है।

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