Flood situation in Bundi, people still terrified, ground report of Bundi flood | बूंदी में…

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बूंदी जिले में 22 और 23 अगस्त को हुई मूसलाधार बारिश के बाद हालात बिगड़ गए हैं। बूंदी के नैनवां, केशोरायपाटन, कापरेन, लाखेरी के ग्रामीणों की पीड़ा इस तरह जुबान पर आ रही है। गांवों में बाढ़ के बाद की तबाही के निशान अब भी बाकी हैं। दलदल-कीचड़ के बीच अपने सामान समेटते लोग नजर आ रहे हैं।
पंचायत भवन से लेकर हॉस्पिटल तक डूब गया था। अचानक आई बाढ़ ने संभलने का मौका नहीं दिया। बड़ी मुश्किल से ग्रामीणों ने अपनी जान बचाई।
दैनिक भास्कर बाढ़ प्रभावित इन गांवों में पहुंचा और हकीकत जानी। यह रिपोर्ट पढ़िए…
सबसे पहले देखिए तबाही की PHOTO
देवरिया गांव में पानी भरने से भीगे अनाज को ग्रामीण इकट्ठा करते रहे।
डोकून पंचायत भवन में पानी भरने से रिकॉर्ड, कंप्यूटर और अन्य सामान खराब हो गए।
देवरिया में पानी में बहे अनाज को छलनी की सहायता से कुछ इस तरह इकट्ठा करने का प्रयास किया जा रहा है।
23 अगस्त की सुबह गांव में अफरा-तफरी मची डोकून निवासी दिनेश नागर ने बताया- 23 अगस्त की सुबह डोकून नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही थी। पंचायत भवन डूब गया था। अचानक पानी आने से गांव में अफरा-तफरी मच गई थी।
लोग अपनी जान बचाने और बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में जुट गए। इस दौरान अपना जरूरी सामान भी नहीं बचा पाए। अनाज और अन्य सामान भीग गया। आज भी गांव में कई घरों में पानी भरा हुआ है। रास्तों में कीचड़ जमा है। लोगों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बूंदी जिले के नैनवां के देई गांव में बारिश के दौरान कई मकान ढह गए थे।
नैनवां के पाई बालापुरा बांध से तबाही नैनवां के पाई बालापुरा बांध का पानी तेज गति से भजनेरी डोकून की तरफ आया। पूरे गांव में ‘जलप्रलय’ की स्थिति थी। लाइट व मोबाइल नेटवर्क बंद हो गया। पानी घरों में घुस गया। घरों में रखा खाद, बीज, गेहूं, सोयाबीन, सरसों सब पानी के साथ बह गए। बाड़े में खड़े जानवरों पर भी मुसीबत आई।
ग्रामीण परिवार के सदस्यों के साथ मवेशियों को बचाने में लगे। पानी की आवक से मकानों की नींव तक धंस गई। कच्चे और पक्के मकान धराशायी हो गए। कई मकानों में दरारें आ गईं।
खेतों में खड़ी फसल और घरों में रखा अनाज खराब ग्रामीणों ने बताया कि कई साल बाद बाढ़ की ऐसी विभीषिका से सामना हुआ। डोकून के ग्रामीणों का कहना है कि घरों में रखा गेहूं, चना, सोयाबीन, सरसों खराब हो गए हैं। मकान व अन्य सामानों का नुकसान अलग है। साथ ही खेतों में खड़ी फसल भी खराब हो गई।
गांव में अब भी तबाही के निशान भास्कर टीम डोकून गांव पहुंची तो वहां चौराहे पर खड़े लोग इकट्ठे हो गए और बाढ़ से मिली पीड़ा बयां करने लगे। गांव से थोड़ी दूर एक ट्रैक्टर-ट्रॉली नदी में बह गई थी। वह पलटी हुई अब भी वहीं पड़ी है।
पंचायत भवन पहुंचे तो वहां तीन दिन बाद भी बाढ़ के पानी के साथ कीचड़ आपदा की गवाही दे रहा था। पंचायत सहायक सोनू वर्मा ने बताया कि सब कुछ बर्बाद हो गया। पंचायत में कुछ भी नहीं बचा है।
पूरी पंचायत पानी में डूब गई। कंप्यूटर, पंचायत रिकॉर्ड सहित सरकारी दस्तावेजों के ऊपर कीचड़ जमा हो गया था। पंचायत भवन में 8 से 9 फीट तक पानी भर गया था।
पास में कृषि सेवा केंद्र की पर्यवेक्षक रीना मीणा ने बताया- सब कुछ डूब गया। कोई भी दस्तावेज नहीं बचे हैं। आंगनबाड़ी, हॉस्पिटल की भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी।
थोड़ा आगे चलने के बाद गांव की गलियों मे पहुंचे तो महिलाएं टेबल फैन लगाकर अनाज सुखाती मिलीं। भीग जाने के कारण सोयाबीन, चना, सरसों खराब हो रहे हैं।
कुछ लोगों ने अनाज को खुले में सूखने के लिए फैला रखा था। महिलाओं ने कहा- क्या करें पूरा माल खराब हो गया, जो बच गया उनको सुखा रहे हैं। अब यह माल बाजार में कौड़ियों के भाव में भी नहीं बिकने वाले।
मेज नदी में आई बाढ़ के कारण टूटा कोटा-दौसा-लालसोट मेगा हाईवे अभी भी बंद है।
पीड़ा बताते-बताते रोने लगी महिला गांव की एक बुजुर्ग महिला भास्कर टीम के देखते ही फफक पड़ी। कहने लगी- मेरे बेटों ने 2 साल से 8-10 लाख का माल जमा कर रखा था। भाव कम होने के कारण अनाज नहीं बेचा था। सोयाबीन के 200 कट्टे थे। सोयाबीन का भाव चार हजार से ज्यादा नहीं होने के कारण रोक रखा था। सोचा था कभी तेज भाव आएगा तो निकाल देंगे और आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी। मुझे क्या पता था कि ऐसी मुसीबत आएगी कि खुद की जान बचानी भी मुश्किल हो जाएगी।
नेता आए और फोटो खींचा कर चल दिए भजनेरी, दुगारी, बांसी गांव में भी बर्बादी के निशान साफ दिख रहे हैं। एक दिन पहले ही भीलवाड़ा सांसद का दौरा हुआ था। ग्रामीणों ने कहा कि नेता पानी में उतरकर फोटो खींचने के लिए आते हैं और चले जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया- 50 साल की उम्र हो गई। ऐसी भयानक स्थिति कभी नहीं आई। 21 अगस्त से बारिश हो रही थी। 22 अगस्त की सुबह 7 बजे के बाद अचानक पानी आया। एक घंटे में ही कई मकानों में 8 से 9 फीट तक पानी भर गया। हमें संभलने तक का मौका नहीं मिला। तालाब का पानी ओवर फ्लो होकर हमारे घर में घुस गया था।
बच्चों को मकान की टांड पर बैठाकर बचाया पप्पू लाल सैनी ने बताया- हम लोगों ने अपने जानवर और बच्चों को संभाला। बच्चों को मकान की टांड के ऊपर बैठाया। एक-दो जानवर पानी में बह गए। बाकी तो पानी ने सब बर्बाद कर दिया। खाने तक का दाना नहीं बचा। बच्चों के स्कूल की किताबें, सभी डॉक्यूमेंट सब कुछ बह गए।
घर का समान, ट्रैक्टर की ट्रॉली, पशु बह गए लौटते वक्त रास्ते में 108 गांव धाकड़ समाज के अध्यक्ष रमेश धाकड़ मिले। उन्होंने बताया- मेरे बाड़े में खड़ी ट्रॉली अचानक बह गई। साथ ही बाड़े की 350 फीट दीवार भी पानी के साथ बह गई। गनीमत रही कि वह नदी में आगे नहीं गई और ट्रॉली वह अन्य सामान नदी के पास ही मिल गए।
दुकान का पूरा सामान खराब हो गया डोकून निवासी दिव्यांग किराना दुकानदार गिरजा शंकर बताते हैं- अचानक पानी आया। मुझे संभलने तक का मौका नहीं मिला। मेरी दुकान का पूरा सामान खराब हो गया। बीड़ी बंडल, गुटका, तंबाकू, बिस्किट, गोली, चॉकलेट, राशन के समान सब कुछ खराब हो गया। मैंने अभी तक की लाइफ में ऐसी बारिश नहीं देखी। अचानक पानी बढ़ता हुआ देखकर मैं सबसे पहले अपनी जान बचाने की कोशिश में लगा। सुबह जब दुकान खोली तो सब कुछ खत्म हो गया था।
शंकर सेठ ने बताया कि एक फोर व्हीलर और एक टू व्हीलर के साथ ही कमरों में रखा गेहूं और सोयाबीन खराब हो चुका है। बारिश में मेरी पूरी गाड़ी पानी में डूब गई थी। केवल ऊपर से फोर व्हीलर की छत दिख रही थी इस भयानक मंजर को देखकर मैं घबरा गया था।
देवरिया गांव में कई रास्तों में अभी भी पानी भरा हुआ है।
नेता लोग आए, देखकर चले गए देवरिया गांव के पप्पू लाल ने बताया- मेरे घर के अंदर 23 अगस्त तक एक से डेढ़ फीट पानी भरा हुआ था। 22 से 23 अगस्त के बीच मैंने कुछ खाया तक नहीं था। न पीने के लिए पानी था। लाइट 24 घंटे से ज्यादा समय नहीं आई थी। एक दिन तो खाना ढाबे पर जाकर खाया। प्रशासन की ओर से खाने-पीने की कोई मदद नहीं पहुंची। नेता लोग आए थे। देखकर चले गए। मैंने और मेरे परिवार ने मेरे बड़े भाई साहब के यहां भोजन किया था। मेरी पत्नी बुरी तरह डर गई थी। वह कहने लगी- कभी भी हम पानी में बह जाएंगे।
बूंदी से खटकड़ होते हुए नैनवां आने वाली जर्जर हुई सड़क को सही किया जा रहा है।
घर में खाने-पीने के लिए कुछ नहीं बचा भास्कर रिपोर्टर गांव के लोगों से बात कर रहे थे इस दौरान एक बुजुर्ग महिला फूला बाई ने रोते हुए बताया- पानी आने के बाद हमारे घर का सब कुछ बह गया। गैस सिलेंडर, बर्तन, तेल के पीपे, राशन, पशुओं का चारा कुछ नहीं बचा है। एकदम से पानी आया और संभलने का मौका ही नहीं मिला। कुछ देर में धीरे-धीरे पानी बढ़ता गया। हमने हमारे पशु छोड़ दिए थे। उसके बाद मकान के अंदर पानी घुसता गया। लोगों ने हमें निकाला। हमारे घर में आज खाने का कुछ भी नहीं बचा। अनाज सब खराब हो गए।
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