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Rajasthan Family Murder Story; Bhairu Singh Vs Wife Children | Bundi News | पत्नी पर बेवफाई का…

राजस्थान क्राइम फाइल्स के पार्ट 1 में आपने पढ़ा 37 साल पुराना दिल दहला देने वाला केस। 3 जून 1988 को राजस्थान के बूंदी जिले के डाबलाना पुलिस थाने में एक शख्स खून से सनी तलवार लेकर पहुंचा।

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उसने बताया कि उसने 6 मर्डर कर दिए हैं। पुलिस की पड़ताल में खुलासा हुआ कि थाने में तलवार लहराते हुए पहुंचा शख्स भैरुसिंह था।

उसने अपनी पत्नी कजोड़बाई और पांच बच्चों की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी। मामले में सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर ऐसी क्या वजह थी कि आरोपी ने पत्नी और पांच बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी।

अब पढ़िए आगे की कहानी…

पुलिस टीम घटनास्थल पर पूछताछ और इन्वेस्टिगेशन की कार्रवाई के बाद वापस थाने पहुंची। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि उसका नाम भैरुसिंह है। उसी ने अपनी पत्नी कजोड़बाई और अपने 5 बच्चों की हत्या की है।

पुलिस टीम ने भैरुसिंह से हत्या की वजह पूछी तो चुप हो गया। पहले तो उसने कुछ नहीं बताया, फिर चिल्लाकर बोला- क्योंकि वो बेवफा थी। उसका किसी दूसरे आदमी से संबंध था।

उसने पुलिस को बताया कि इस हत्याकांड से 4-5 दिन पहले पंचायत चुनावों के दौरान उसे कुछ लोगों ने इशारों ही इशारों में बताया था कि उसकी पत्नी का एक लोकल नेता के साथ अफेयर चल रहा है। इस बार वो पंचायत में पंच बनने वाली है।

थाने पहुंचे आरोपी के हाथ में तलवार थी। उसकी कमीज और धोती भी खून से सने हुए थे। -फोटो AI जनरेटेड

पत्नी ने कबूल कर लिया नाजायज रिश्ता

भैरू सिंह को ये सुनकर गहरा आघात लगा। भैरुसिंह ने पुलिस को बताया कि हत्याकांड से पहली वाली रात उसने अपनी पत्नी कजोड़बाई से इस बारे में पूछताछ की। कजोड़ बाई ने साफ इनकार कर दिया कि उसका किसी के साथ कोई नाजायज रिश्ता नहीं है।

कजाेड़बाई के कहने के बावजूद भैरुसिंह संतुष्ट नहीं हुआ। पति-पत्नी के बीच रात को कई बार झगड़ा हुआ। आखिरकार कजोड़बाई ने कबूल कर लिया कि फजलपुरा गांव के भोजना गुर्जर से उसका अफेयर चल रहा है।

अपनी पत्नी के मुंह से ये बात सुनते ही भैरुसिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई। वो परेशान हो गया था। जैसे-तैसे उसने रात गुजारी। अगले दिन दोपहर में उसकी पत्नी कजोड़ बाई घर की दीवार के पत्थर ठीक कर रही थी। उसी दौरान भैरुसिंह तलवार लेकर आया।

तलवार के एक ही वार से कजोड़ बाई का सिर धड़ से अलग कर दिया। वहीं पास में उसके बच्चे राज बहादुर, नंद कंवर और हंसा खेल रहे थे। भैरु सिंह ने बारी- बारी से इन सभी की तलवार से वार कर हत्या कर दी।

काफी देर तक बहस के बाद आखिरकार कजोड़बाई ने दूसरे पुरुष के साथ रिश्ते की बात कबूल कर ली। -फोटो AI जनरेटेड

भाभी ने कोशिश की, नहीं रोक पाई

भैरुसिंह ने पुलिस को बताया कि जब उसने ये हत्याएं की तो तभी उसका 8 साल का बच्चा नाथू मिला एक पेड़ के पास खड़ा था। उसने उसी भी मार डाला। ये देखकर उसका चार साल का बच्चा मनराज भी चिल्लाया और हैंडपंप की तरफ भागा। उसने उसका भी पीछा किया और तलवार से मार डाला।

इसी दौरान उसकी साली और भाभी रतन कंवर आई। उसने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन नहीं रोक पाई। भैरू सिंह ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी ने उसे धोखा दिया था। उसे शक था कि वो बच्चे भी किसी और के ही थे, उसने उसने पांचों बच्चों की हत्या कर दी।

भैरूसिंह के इकबालिया बयान के बाद पुलिस टीम ने मामले में 3 जून 1988 को धारा 302 IPC और धारा 4/25 आर्म्स एक्ट के तहत डाबलाना पुलिस स्टेशन में FIR संख्या 40 रजिस्टर्ड की। वहीं भैरु सिंह को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

इस मामले की सुनवाई करते हुए सबसे पहले सेशन कोर्ट बूंदी द्वारा 1 मई, 1989 को भैरु सिंह को मौत की सजा सुनाई गई थी। 20 अगस्त, 1990 को राजस्थान हाई कोर्ट ने भी अपना फैसला देते हुए सजा बरकरार रखी।

भैरुसिंह की भाभी ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन नहीं रोक पाई। -फोटो AI जनरेटेड

20 अगस्त 1994 को फांसी पर लटकाया

भैरू सिंह ने अपने मृत्युदंड की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की, लेकिन 4 फरवरी, 1994 को सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में अपील खारिज कर दी। उसे मृत्यु दंड देने का फैसला बरकरार रखा।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए लिखा था- ‘पशु-पक्षी जैसी निम्न प्रजातियां भी अपनी संतानों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाती हैं।

ऐसे में इंसान होने के बावजूद भैरुसिंह इतनी नीचता पर उतर आया कि उसने अपनी पत्नी और बच्चों की, बिना किसी गलती के, सिर्फ़ इस शक के आधार पर हत्या कर दी कि उसकी मृत पत्नी कजोड़ बाई का भोजक गुर्जर के साथ संबंध है।

एक बार अपनी पत्नी की बेवफाई की अफवाह सुनकर भैरूं सिंह द्वारा अपनी पत्नी और 5 बच्चों की निर्मम हत्या करने की ये घटना हमारी रूह कंपा देती है। हमारी न्यायिक अंतरात्मा को झकझोर देती है।’

‘भैरुसिंह द्वारा अंजाम दी गई ये घटना बर्बर, वीभत्स और जघन्य अपराध तो है ही, समाज के विरुद्ध विद्रोह और मानवीय गरिमा का अपमान है। हमारी राय में इस मामले में मृत्युदंड के अलावा किसी अन्य दंड की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में हम पूर्व में दिए गए मृत्युदंड के फैसले को सही मानते हैं।’

‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए सहानुभूति की प्रार्थना पूरी तरह से अनुचित है। हम निचली अदालतों द्वारा अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दिए गए अपराध के लिए दोषसिद्धि और मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखते हैं।’

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद 20 अगस्त 1994 के दिन भैरु सिंह को अपनी पत्नी और 5 बच्चों की हत्या के मामले में फांसी पर लटका दिया गया।

पत्नी और 5 बच्चों की हत्या कर थाने पहुंचा था:तलवार से महिला का सिर धड़ से अलग किया, 5 मासूमों को काटा था, पार्ट-1

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