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‘सबकी निंदा करने वाले चमगादड़ बनते हैं…’, प्रेमानंद महाराज पर की टिप्पणी तो रामभद्राचार्य पर…

वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज पर टिप्पणी करने के बाद अब जगदगुरु रामभद्राचार्य की खूब आलोचना हो रही है. उनके बयान के बाद संत समाज उनपर भड़का हुआ है. प्रेमानंद महाराज को लेकर की गई टिप्पणी के बाद साधु-संतों में नई बहस छिड़ती नजर आ रही है. ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी इस विवाद में कूद पड़े हैं. उन्होंने इस विवाद में प्रेमानंद महाराज का बचाव किया है.

क्या कहा अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने?
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उनसे पूछा जाना चाहिए कि उनकी टिप्पणी का क्या अर्थ है? उन्होंने कहा कि रामभद्राचार्य जी सबकी निंदा करते हैं. रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने सबकर निंदा जे नर करहिं ते चमगादड़ के अवतरहिं. सबकी निंदा करने से चमगादड़ की योनि में जाना पड़ता है ये बात तुलसीदास महाराज जी ने कही है. और उन्हीं तुलसीदास जी के नाम पर पीठ बनाकर बैठे हुए रामभद्राचार्य जी सबकी निंदा कर रहे हैं. अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि क्या उन्होंने यह चौपाई पढ़ी नहीं है? या फिर इस चौपाई के उन्होंने कुछ और अर्थ समझ लिए हैं? यह तो उनसे चर्चा करने के बाद ही पता चलेगा.

शंकराचार्य का रामभद्राचार्य पर कटाक्ष
इंस्टाग्राम अकाउंट ‘ज्योर्तिमठ’ पर साझा किए गए एक वीडियो में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रामभद्राचार्य पर निशाना साधा. वीडियो में वे कहते हैं-“वो पीले कपड़े वाले महात्माजी, वृंदावन के प्रेमानंद जी, उनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें संस्कृत नहीं आती. लेकिन उन्हें संस्कृत जानने की क्या आवश्यकता है? वे तो भगवान के नाम का प्रचार कर रहे हैं और भगवान का नाम स्वयं संस्कृत में ही है.”

किस बात पर मचा विवाद?
जगदगुरु रामभद्राचार्य ने एक पॉडकास्ट में बयान देते हुए कहा था कि अगर प्रेमानंद महाराज संस्कृत का एक अक्षर बोल दें या उनके श्लोकों का अर्थ समझा दें, तो वे उन्हें चमत्कारी मान लेंगे. इसी बयान के बाद यह मामला विवादों में आ गया.

रामभद्राचार्य की सफाई
विवाद बढ़ने पर रामभद्राचार्य ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी में कोई अभद्रता नहीं थी. वे प्रेमानंद महाराज का सम्मान करते हैं और जब भी वे उनसे मिलने आएंगे, तो उन्हें पुत्र समान अपनाएंगे.

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