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बी सुदर्शन रेड्डी पर अमित शाह ने की टिप्पणी तो 18 पूर्व जजों ने जताई आपत्ति, अब रंजन गोगोई समेत…

न्यायपालिका की गरिमा और राजनीतिक विवादों को लेकर देश में नई बहस छिड़ गई है. 56 पूर्व न्यायाधीशों ने 18 पूर्व न्यायाधीशों के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विपक्षी इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी पर की गई टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था.

अमित शाह ने सलवा जुडूम मामले में सुदर्शन रेड्डी का लिया था नाम

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिए एक मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि 2011 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस सुदर्शन रेड्डी शामिल थे, ने सलवा जुडूम (नक्सल विरोधी संगठन) को बंद करने का जो फैसला दिया था, उसकी वजह से नक्सलवाद लंबा खिंच गया. शाह ने कहा था कि अगर सलवा जुडूम को खत्म न किया जाता तो लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म 2020 तक समाप्त हो जाता. इसी कारण उन्होंने सीधे तौर पर जस्टिस रेड्डी पर “नक्सलवाद का समर्थन करने” का आरोप लगाया.

राजनीतिक पक्षधरता को दिखाता है 18 जजों का बयान

अमित शाह की इस टिप्पणी का विरोध करते हुए 18 पूर्व न्यायाधीशों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का सलवा जुडूम पर फैसला कहीं से भी नक्सलवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन नहीं करता. उन्होंने शाह के आरोप को गलत व्याख्या और दुर्भाग्यपूर्ण बताया. अब 56 पूर्व न्यायाधीशों ने पलटवार करते हुए कहा है कि 18 जजों का बयान न्यायिक स्वतंत्रता की आड़ में राजनीतिक पक्षधरता दिखाता है.

उन्होंने कहा  “यह प्रथा न्यायपालिका की संस्था को राजनीतिक रंग में दिखाती है और उसकी निष्पक्षता पर आघात करती है. जो पूर्व न्यायाधीश राजनीति में आने का रास्ता चुनते हैं, उन्हें उसी दायरे में अपनी बात रखनी चाहिए. न्यायपालिका को इसमें नहीं घसीटना चाहिए.”

किन 56 पूर्व न्यायाधीशों ने अमित शाह पर उठे सवाल पर किया पलटवार

जिन 56 पूर्व जजों ने यह बयान जारी किया है, उनमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और प. सदाशिवम, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए. के. सिकरी और एम. आर. शाह, और कई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं. पूर्व न्यायाधीशों का कहना है कि जब कुछ जज बार-बार राजनीतिक घटनाओं पर बयान जारी करते हैं तो यह संदेश जाता है कि पूरी न्यायपालिका किसी राजनीतिक गुट के साथ खड़ी है, जबकि सच्चाई यह नहीं है. उन्होंने अपील की कि न्यायपालिका की संस्था को राजनीतिक विवादों से दूर रखा जाए और उसकी निष्पक्षता और गरिमा को बचाए रखा जाए.

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