Haryana Kurukshetra University Geeta in Sights Challenge Video Competition Prize Money…

केयू के स्टूडेंट रह चुके अनिल कुमार।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (KU) के एक स्टूडेंट ने प्राइज मनी बांटे जाने से नाराज होकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) में शिकायत कर दी। शिकायत में यूनिवर्सिटी के एक पूर्व छात्र के साथ कथित जाति-आधारित भेदभाव के आरोप लगाए गए हैं।
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इस संबंध में एनसीएससी ने यूनिवर्सिटी के कुलपति को नोटिस भेजकर अब तक की कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है। कुलपति को भेजे गए नोटिस में आयोग ने कहा कि अनिल कुमार की ओर से एक शिकायत प्राप्त हुई है और मामले की जांच का निर्णय लिया गया है। कुलपति से अनुरोध किया गया है कि वे 15 दिनों के भीतर मामले में की गई कार्रवाई के तथ्य प्रस्तुत करें।
केयू के स्टूडेंट अनिल कुमार ने अपने वीडियो में इस फोटो का यूज किया है।
यहां पढ़िए शिकायत में क्या लिखा…
1. चैलेंज में 1 लाख प्राइज मनी
शिकायत में स्टूडेंट ने बताया है कि उसने नवंबर 2024 में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (KDB) के सहयोग से केयू द्वारा आयोजित ‘गीता इन साइट्स चैलेंज’ में भाग लिया था। प्रथम पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपए, द्वितीय पुरस्कार के रूप में 51,000 रुपए और तृतीय पुरस्कार के रूप में 21,000 रुपए दिए जाने थे। 11-11 हजार रुपए के 5 सांत्वना पुरस्कारों की भी घोषणा की गई थी। छात्रों ने गीता के प्रभाव से संबंधित वीडियो तैयार किए थे।
2. फर्स्ट प्राइज के लिए 3 नामों की घोषणा की
हालांकि, जब परिणाम घोषित हुए, तो पुरस्कार राशि बांट दी गई और प्रथम पुरस्कार के लिए 3 विजेताओं की घोषणा की गई। इसी प्रकार, अन्य पदों के लिए भी संयुक्त विजेता घोषित किए गए।
3. अनुसूचित जाति के कारण बांट दी प्राइज मनी
शिकायत में दावा किया गया है कि उनके कंटेंट पर सबसे ज्यादा व्यूज होने के बावजूद, इनाम की राशि बांट दी गई क्योंकि वह अनुसूचित जाति से थे, जबकि बाकी विजेता ऊंची जाति के थे। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि इनाम की राशि स्वीकृत हो गई है, लेकिन मुझे अभी तक नहीं मिली है।”
मंत्री की ग्रीवांस कमेटी में शिकायत की
परिणामों से नाखुश कुमार ने जिला जनसंपर्क एवं शिकायत निवारण समिति की बैठक में यह मामला उठाया था, जिसकी अध्यक्षता करते हुए राज्य मंत्री राजेश नागर ने केडीबी अधिकारियों और केयू को पूरी पुरस्कार राशि जारी करने का निर्देश दिया था। हालांकि, कुमार को केवल 33 हजार 330 रुपए ही मिले, जिसके बाद मंत्री ने हाल ही में स्वीकृत अपने विवेकाधीन अनुदान से शेष 67 हजार रुपए देने की घोषणा की।
9 महीने बाद की गई शिकायत
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं में गीता के प्रति जागरूकता फैलाना था। इसी उद्देश्य से विजेताओं के बीच पुरस्कार बांटे गए। उन्होंने दावा किया कि इससे पहले, कुमार ने समिति को दी गई अपनी शिकायत में जातिगत भेदभाव का कोई जिक्र नहीं किया था। उन्होंने बताया कि वर्तमान शिकायत नौ महीने बाद की गई है।
विभाग के डायरेक्टर बोले- नोटिस का जवाब देंगे
इस बीच, केयू के जनसंपर्क निदेशक महा सिंह पूनिया ने कहा, “प्रतियोगिता निष्पक्ष रूप से आयोजित की गई है और निर्णायकों या किसी भी अधिकारी द्वारा किसी भी प्रतिभागी के साथ जाति, पंथ, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है। किसी अन्य प्रतियोगी ने जातिगत भेदभाव का कोई आरोप नहीं लगाया है। आयोग को समय पर जवाब दिया जाएगा।