Chandigarh Digital Arrest Two arrested cheating | चंडीगढ़ में डिजिटल अरेस्ट करने वाले दो और…

चंडीगढ़ पुलिस की साइबर सेल ने डिजिटल अरेस्ट और हाई-वैल्यू ऑनलाइन फ्रॉड केस में दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस केस में अब तक कुल 13 आरोपी पकड़े जा चुके हैं।
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गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राजस्थान निवासी श्याम यादव (50) और उसका बेटा तुषार यादव के रूप में हुई है। इन दोनों को डीएसपी वेंकटेश की निगरानी और इंस्पेक्टर इरम रिज़वी के नेतृत्व में टीम ने गिरफ्तार किया।
पुलिस और बैंकों की संयुक्त कार्रवाई से फिलहाल आरोपियों के खातों में 5 लाख 98 हजार 972 की रकम को सीज किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि इन खातों का इस्तेमाल तीन अन्य राज्यों में भी साइबर फ्रॉड के लिए किया गया था।
जानिए, कैसे हुआ फ्रॉड
3 मई 2025 को चंडीगढ़ निवासी सुमित कौर को फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को TRAI अधिकारी बताया और कहा कि उनकी सिम का गलत इस्तेमाल हुआ है और उन पर FIR दर्ज है। इसके बाद एक वॉट्सऐप वीडियो कॉल पर शख्स ने खुद को पुलिस अधिकारी विजय खन्ना बताया। उसने दावा किया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में दो गिरफ्तारी वारंट जारी हैं।फ्रॉड गैंग ने खुद को DIG CBI राजीव रंजन और सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पेश किया। नकली वारंट दिखाकर और शपथ दिलवाकर पीड़िता को कहा गया कि वह अपने पैसे “वेरिफाई” करने के लिए ट्रांसफर करे। डर और दबाव में आकर सुमित कौर ने अपनी पूरी जीवनभर की बचत 2.5 करोड़ कई फर्जी खातों में जमा कर दिए।
चंडीगढ़ पुलिस ने राजस्थान से पकड़े आरोपी।
ऐसे पकड़े गए आरोपी
पुलिस जांच में सामने आया कि 23.70 लाख की रकम राजस्थान मरुधारा ग्रामीण बैंक, जयपुर के खाते से गुजारी गई थी। यह खाता श्याम यादव के नाम पर खुला था और इसमें जुड़ा मोबाइल नंबर उसके बेटे तुषार यादव का था। कई बार छापेमारी के बावजूद आरोपी अपने परिवार की मदद से बचते रहे। बाद में कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट मिलने के बाद जयपुर के बगरू थाना क्षेत्र में रेड की गई और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस की गिरफ्त में पकड़े गए आरोपी
ऐसे जुड़े साइबर नेटवर्क से
पुलिस पूछताछ में श्याम यादव ने बताया कि मई 2023 में वह एक ऐसे व्यक्ति से मिला था जो साइबर अपराध करता था। उस व्यक्ति ने उसे बैंक खाता देने पर कमीशन का लालच दिया।श्याम और उसका बेटा तुषार, दोनों ने मिलकर RMGB बैंक, महापुरा ब्रांच, जयपुर में नया खाता खुलवाया और उसका ATM, पासबुक, चेकबुक और सिम कार्ड उस व्यक्ति को सौंप दिया। हर ट्रांजेक्शन पर दोनों को कमीशन मिलता था।