kurukshetra brahmasarovar rats burrows | Haryana News | कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर चूहों के…

कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर चूहों के बिल बनाने से पत्थर उखड़ रहे हैं।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर पर चूहों ने डेरा जमा लिया है। विशेष रूप से VIP घाट के लगभग 300 मीटर के दायरे में चूहों ने 100 से अधिक गहरे बिल बना लिए हैं। इन सुरंगनुमा बिलों के कारण ब्रह्मसरोवर का परिक्रमा पथ धंसने लगा है और पत
.
KDB के मानद सचिव रहे उपेंद्र सिंघल बताते हैं कि वे चूहों की इतनी बड़ी आबादी से परेशान हैं। चूहों को मारने से पाप लगने के डर से वे धर्मसंकट में हैं। इसलिए, KDB अब विशेषज्ञों और सिंचाई विभाग से सलाह ले रहा है, ताकि कोई ऐसा तरीका निकाला जा सके जिससे चूहों को कोई नुकसान न हो और ब्रह्मसरोवर के घाट भी सुरक्षित रहें।
ब्रह्मसरोवर के VIP घाट के नीचे चूहों ने बिल बनाए हुए हैं।
चूहों के बिल बनने की 2 बड़ी वजहें…
- आढ़ती गेहूं-धान की फसल गिरा रहे: KDB से जुड़े लोग बताते हैं कि फसल के सीजन में ब्रह्मसरोवर के दक्षिणी गेट के पास सड़क पर ही आढ़ती गेहूं और धान की फसल के ढेर लगवा देते हैं। इस कारण आसपास बड़ी संख्या में चूहे ब्रह्मसरोवर तक पहुंच गए।
- मछलियों को डलने वाला आटा: पर्यटक और श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर के जल में मछलियों को आटा डालते हैं, जिससे चूहों के खाने का भी इंतजाम हो जाता है। कई बार घाट पर ही पिंड दान या पूजा अर्चना से खाद्य सामग्री चूहों को लुभाती हैं।
ब्रह्मसरोवर के VIP घाट पर घूमते चूहे।
चूहों की वजह से ब्रह्मसरोवर पर 4 खतरे…
- मिट्टी हो रही खोखली: लगातार बिल खोदने से VIP घाट के पास मिट्टी खोखली हो रही है। परिक्रमा मार्ग पर लगे पत्थर धंसने और उखड़ने लगे हैं। परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को चोट लगने का खतरा है।
- बारिश से कटाव बढ़ रहा: इन दिनों बारिश के चलते चूहों के बिलों में पानी भर रहा है, जिससे मिट्टी और तेजी से खिसक रही है। पानी भरने से बिल टूट रहे हैं और नीचे की जमीन बैठ रही है। बिल में पानी जाने से चूहे दूसरी जगह बिल बना रहे हैं।
- बीमारी का खतरा: ब्रह्मसरोवर में हर रोज हजारों श्रद्धालु स्नान और आचमन करने पहुंचते हैं। अमावस्या जैसे विशेष पर्वों पर बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है। चूहों की मौजूदगी और उनके मल-मूत्र से गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। बदबू भी आने लगी है।
- बिजली की तार भी निशाने पर: चूहों ने सिर्फ ढांचे को ही नहीं है, बल्कि बिजली की केबल को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इससे शॉर्ट सर्किट और आग लगने जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। चूहों ने यहां पर पिछले साल भी बिल बना लिए थे। KDB ने बिल बंद कर दिए थे, लेकिन अब चूहों की संख्या बढ़ गई है।
श्रद्धालु बोले- ये देश की धरोहर, ध्यान देना जरूरी
पानीपत के समालखा से आए विनोद कुमार ने कहा कि ब्रह्मसरोवर पर विदेशों से भी पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। ब्रह्मसरोवर की मेन सड़क के पास घाट पर चूहों ने बिल बना लिए हैं। ब्रह्मसरोवर पर ध्यान देने की जरूरत है। ये कुरुक्षेत्र की नहीं बल्कि देश की धरोहर है।
अमित शर्मा ने बताया कि चूहों के कारण कोई बीमारी फैल सकती है। KDB को पक्का प्रबंध करना चाहिए। कुछ लोग ब्रह्मसरोवर में मछलियों को आटा डालते हैं, उनको भी रोका चाहिए।
प्रोफेसर ने चूहों को लेकर 2 उपाय बताए कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर परमेश कुमार कहते हैं, “ये होम रैट ही हैं। इनको पकड़ने के लिए पहला तरीका पिंजरा लगाना है। इसमें काफी मेहनत करनी होगी। चूहों को नई चीज से फोबिया होता है। इसलिए हर रोज उसमें फ्रेश ब्रेड या कुछ खाना डालना होगा। पकड़ने के बाद दूर छोड़ने का संकट है।
अब जानिए ब्रह्मसरोवर का देशभर में क्या महत्व…
- 178 एकड़ में मानव निर्मित सबसे बड़ा सरोवर: महाभारत की धरती कुरुक्षेत्र में करीब 72 हेक्टेयर यानी 178 एकड़ में ब्रह्मसरोवर फैला है। इसकी गिनती एशिया में मानव निर्मित सबसे बड़े सरोवरों में होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने यहां यज्ञ कर ब्रह्मांड यानी सृष्टि की शुरुआत की थी, इसलिए इसका नाम ब्रह्मसरोवर है।
- वामन पुराण में जिक्र, ब्रिटिश काल में दोबारा बनवाया: वामन पुराण समेत कई पुराणों में इस सरोवर में स्नान के महत्व का जिक्र है। महमूद गजनी के साथ आए अल-बेरूनी और अकबर के 9 रत्नों में शामिल अबुल फजल की किताबों में भी इसका जिक्र है। ब्रिटिश काल में जिला अधिकारी ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। 2 बार देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे गुलजारी लाल नंदा के प्रयासों से साल 1968 में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का गठन हुआ।
- ग्रहण पर लाखों श्रद्धालु लगाते हैं डुबकी: सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण व सोमवती अमावस्या पर यहां लाखों श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं। इसके अलावा देश भर में मशहूर गीता जयंती मेला ब्रह्मसरोवर के तट पर ही लगता है। अब इसे तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है। कृष्णा सर्किट के तहत यहां विकास कार्यों पर पैसा खर्च हो रहा है।
178 एकड़ में ब्रह्मसरोवर फैला हुआ है। तालाब के बीच में मंदिर है।
जगन्नाथ मंदिर व विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में भी आई ऐसी दुविधा ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में महाप्रसाद के लिए रखे अनाज को चूहे नुकसान पहुंचाते थे। समस्या से निपटने के लिए अल्ट्रासोनिक डिवाइस लगाया गया, जिसमें से ध्वनि तरंगें निकलती थीं। लेकिन फिर यह बात उठी कि इन तरंगों से भगवान को शयन में दिक्कत आती है। इसके बाद चूहों को पकड़ने के लिए विशेष पिंजरे लगाने और बिल्ली पालने पर भी विचार किया गया। आखिर में मंदिर की रसोई को अधिक साफ-सुथरा और चूहे-प्रतिरोधी बनाया गया।
महाराष्ट्र के पंढरपुर में विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में भी चूहों से समस्या आई। यहां रात के समय चूहे मंदिर परिसर में घूमते थे और फूलों की माला, प्रसाद आदि को नुकसान पहुंचाते थे। इस समस्या से निपटने के लिए पहले मानव रहित अल्ट्रासोनिक रिपेलर लगाए गए। साथ ही प्राकृतिक उपायों के तहत कपूर और नीम की पत्तियां रखी गईं।
राजस्थान के एक मंदिर में चूहे पूजे जा रहे राजस्थान के बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूर करणी माता मंदिर स्थित है। करणी माता को दुर्गा का अवतार माना जाता है। इस मंदिर में करीब 25,000 चूहे हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में काबा कहते हैं। मंदिर में चूहों को पूजा जाता है, और इन्हें मारना पाप माना जाता है। श्रद्धालु इनके बीच नंगे पैर चलते हैं। अगर कोई चूहा किसी श्रद्धालु के ऊपर चढ़ जाए या पैरों पर दौड़े तो इसे शुभ संकेत माना जाता है।
खासकर, यदि सफेद चूहा दिखाई दे जाए तो यह बहुत ही शुभ और दुर्लभ माना जाता है। स्थानीय कथा के अनुसार, करणी माता ने अपने एक मृतक परिजन को पुनर्जीवित करने के लिए यमराज से आग्रह किया था। जब यमराज ने इनकार कर दिया, तो करणी माता ने अपने चमत्कार से उन्हें चूहों के रूप में पुनर्जन्म दे दिया। माना जाता है कि ये सभी चूहे उनके मंदिर में वास करते हैं।