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Millet Man said- wheat-sugar based food is like addiction, Famous Dr. Khader Vali honored with…

पद्मश्री से सम्मानित और भारत के मिलेट मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ. खादर वली ने रविवार को जयपुर में एक विशेष कार्यक्रम में लोगों को स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखाया।

पद्मश्री से सम्मानित और भारत के मिलेट मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ. खादर वली ने रविवार को जयपुर में एक विशेष कार्यक्रम में लोगों को स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि मिलेट्स मस्तिष्क और आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।

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‘हेल्थ, ट्रेडिशन एंड माइंडफुल लिविंग’ विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में जयपुर के करीब 200 प्रमुख लोगों ने भाग लिया। इनमें ज्वैलर्स, उद्योगपति और नौकरशाह शामिल थे।

वासंसी जयपुर के संस्थापक शैलेन्द्र संचेती ने रसोई को पवित्र स्थान बताया। उन्होंने कहा कि यहीं से शरीर को वास्तविक शक्ति मिलती है। शुचिता संचेती ने सही भोजन को बेहतर जीवन का आधार बताया।

डॉ. खादर वली ने जोर देकर कहा कि आज भारत की केवल 3.2% आबादी ही मिलेट्स का सेवन करती है, और इसे बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

डॉ. खादर वली बोले- गेहूं-चीनी आधारित भोजन नशे की तरह

डॉ. वली ने आधुनिक खान-पान की आदतों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि चावल, गेहूं और चीनी आधारित भोजन नशे की तरह हो गए हैं। उन्होंने मिलेट्स को दैनिक आहार में शामिल करने पर जोर दिया।

कार्यक्रम में फार्मा सेक्टर पर बढ़ती निर्भरता पर भी चर्चा हुई। डॉ. वली ने बताया कि भारत हर साल दवाओं पर अरबों डॉलर खर्च करता है। फिर भी लोगों का स्वास्थ्य नहीं सुधर रहा है।

‘हेल्थ, ट्रेडिशन एंड माइंडफुल लिविंग’ विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में जयपुर के करीब 200 प्रमुख लोगों ने भाग लिया। इनमें ज्वैलर्स, उद्योगपति और नौकरशाह शामिल थे।

भारत की केवल 3.2% आबादी ही मिलेट्स का सेवन करती है

डॉ. खादर वली ने जोर देकर कहा कि आज भारत की केवल 3.2% आबादी ही मिलेट्स का सेवन करती है, और इसे बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि प्रमुख मिलेट्स पोषण देते हैं जबकि लघु मिलेट्स फाइबर से भरपूर होते हैं, जो शरीर को स्वाभाविक रूप से डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। आपको डिटॉक्स सेंटर जाने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप हर दो दिन में अलग-अलग प्रकार के मिलेट्स का सेवन करेंगे, तो आपका भोजन ही यह काम कर देगा।

कार्यक्रम का समापन एक विशेष ‘ऑल-मिलेट लंच’ से हुआ। इसमें पारंपरिक अनाजों की पौष्टिकता और औषधीय गुणों को प्रदर्शित किया गया।

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