अन्तराष्ट्रीय

क्या बांग्लादेश से माफी मांगेगा पाकिस्तान? ढाका पहुंचे PAK के विदेश मंत्री इशाक डार, भारत की…

पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार तीन दिवसीय यात्रा पर बांग्लादेश पहुंचे हैं. पाकिस्तान ने इस दौरे को “ऐतिहासिक” बताया है क्योंकि एक दशक से भी ज्यादा समय बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री बांग्लादेश गया है. इससे पहले हिना रब्बानी खार ने 2012 में ढाका की यात्रा की थी. इस दौरे को लेकर चर्चा है कि क्या पाकिस्तान 1971 के मुक्ति संग्राम में अपनी भूमिका के लिए माफी मांगेगा.

दौरा पहले क्यों टला था
इशाक डार अप्रैल में ढाका जाने वाले थे, लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारतपाकिस्तान तनाव बढ़ने से दौरा टाल दिया गया था. अब शनिवार (23 अगस्त,2025) दोपहर वे ढाका पहुंचे, जहां उनका कई राजनीतिक दलों से स्वागत हुआ.

राजनीतिक दलों से मुलाकात
ढाका पहुंचने के बाद डार ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के नेताओं से मुलाकात की. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बताया कि डार ने एनसीपी नेताओं की “सुधारवादी सोच और सामाजिक न्याय के विजन” की सराहना की और युवाओं के बीच ज्यादा संवाद पर जोर दिया.

एनसीपी ने बैठक के बाद कहा कि रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए 1971 के मुद्दे को सुलझाना जरूरी है. जमात-ए-इस्लामी ने भी अनसुलझे मुद्दों को जल्द सुलझाने की मांग की. बीएनपी की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया, लेकिन रविवार शाम डार की पार्टी अध्यक्ष खालिदा जिया से मुलाकात तय है.

 1971 का मुद्दा फिर चर्चा में
बांग्लादेश में यह बड़ा सवाल बना हुआ है कि क्या पाकिस्तान 1971 के युद्ध में अपनी भूमिका पर माफी मांगेगा. विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से इस बारे में संपर्क की कोशिश हुई, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए. पूर्व अवामी लीग सरकार के दौरान ढाका-इस्लामाबाद रिश्ते ठंडे थे. हालांकि, पिछले साल सत्ता परिवर्तन के बाद हालात बदलने लगे हैं और अब उच्चस्तरीय मुलाकातें हो रही हैं.

हालिया दौरों की कड़ी
इशाक डार से पहले पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री जाम कमाल खान भी बांग्लादेश पहुंचे थे और वहां के नेताओं से मुलाकात की थी. विश्लेषकों का मानना है कि इन यात्राओं से दोनों देशों के रिश्तों में नई राजनीतिक गति आएगी.

विशेषज्ञों की राय
पूर्व राजदूत एम. हुमायूं कबीर का कहना है कि इस स्तर की यात्राएं रिश्तों में गति लाती हैं और हर मुद्दे पर बातचीत का मौका देती हैं. उन्होंने कहा – “1971 के नरसंहार की जिम्मेदारी पाकिस्तान को लेनी होगी और इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकारना होगा.”17 अप्रैल को विदेश सचिव स्तर की बैठक में बांग्लादेश ने फिर से मुआवजे और माफी का मुद्दा उठाया था.

बताया गया था कि पाकिस्तान से 4.32 बिलियन डॉलर के बकाये की मांग की गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने अपने बयान में किसी भी अनसुलझे मुद्दे का जिक्र नहीं किया. पूर्व राजदूत राशिद अहमद चौधरी का मानना है कि 1971 के जनसंहार के लिए माफी मांगे बिना रिश्तों में असली प्रगति संभव नहीं है.

नए समझौते और एमओयू
दोनों देशों के बीच छह समझौते और एमओयू तैयार हैं. इनमें सरकारी और राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा खत्म करने और व्यापार पर साझा रणनीति बनाने जैसे मुद्दे शामिल हैं.

भारत और अंतरराष्ट्रीय नजर
बीबीसी हिंदी के मुताबिक, विश्लेषक लीला जैंसिटो का कहना है कि भारत इस दौरे पर कडी नजर रख रहा है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अच्छे नहीं हैं और मई में दोनों देशों के बीच टकराव भी हुआ था. ऐसे में पाकिस्तानबांग्लादेश नजदीकी से भारत चिंतित है.

अमेरिकी विश्लेषक माइकल कुगलमैन ने इसे दक्षिण एशिया की बडी भूराजनीतिक घटना बताया. उनका कहना है कि हसीना सरकार के 15 साल के कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते लगभग ठप थे. अब नई शुरुआत हो रही है, लेकिन इसका असर फरवरी में होने वाले बांग्लादेश चुनावों के बाद ही साफ होगा. कुगलमैन का मानना है कि अगर अगली सरकार बीएनपी के नेतृत्व में बनी तो वह भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश करेगी, हालांकि चुनौतियां बनी रहेंगी.

भारत की बढ़ी टेंशन!
1971 के बाद से भारत लगातार बांग्लादेश का हर क्षेत्र में सहयोग कर रहा है. जब से शेख हसीना को प्रधानमंत्री के पद से हटाया गया है और मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुखिया बने हैं, तबसे ही पाकिस्तान को मौका मिल गया है और वो बांग्लादेश के साथ नजदीकी बढ़ाने में जुटा है. ऐसे में जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ढाका पहुंचे हैं तो इस पर भारत भी नजर बनाए हुए हैं क्योंकि मोहम्मद यूनुस लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जोकि भारत के हित में नहीं हैं.

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