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भारत में बने एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण, PM मोदी के सुदर्शन चक्र मिशन का बनेगा हिस्सा

देश की हवाई सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए डीआरडीओ ने इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया है. इसके तहत तीन अलग-अलग प्रकार की मिसाइल और लेजर वेपन ने एक साथ तीन अलग-अलग एरियल टारगेट को सफलतापूर्वक आसमान में मार गिराया. इस प्रणाली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहु-प्रतीक्षित सुदर्शन चक्र मिशन का हिस्सा माना जा रहा है.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया. IADWS एक बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें सभी स्वदेशी मिसाइलों और लेजर वेपन को शामिल किया गया है.

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने शनिवार दोपहर को इस परीक्षण के दौरान क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरसैम) यानी त्वरित प्रतिक्रिया वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और वैरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम यानी वीशोराड (VSHORADS) मिसाइल सहित एक उच्च शक्ति लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW) को शामिल किया गया. इस दौरान तीन अलग-अलग हवाई लक्ष्यों को इन तीनों हथियारों (मिसाइल और लेजर वेपन) ने नष्ट कर दिया. इन लक्ष्यों में दो (02) यूएवी और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन था. इन सभी टारगेट को अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर मार गिराया गया.

स्वदेशी तकनीक के जरिए बनाई गई IADWS

डीआरडीओ के मुताबिक, परीक्षण के दौरान कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से लेकर कम्युनिकेशन और रडार प्रणाली ने सफल परिणाम प्रस्तुत किए. टेस्ट के दौरान डीआरडीओ के सीनियर वैज्ञानिक और आर्म्ड फोर्सेज से जुड़े कमांडर भी मौजूद थे. IADWS प्रणाली को स्वदेशी तकनीक के जरिए बनाया गया है. इस बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली से विभिन्न स्तरों पर वायु रक्षा प्रदान की जा सकती है, जिससे दुश्मन के हवाई हमलों (ड्रोन, मिसाइल, फाइटर जेट इत्यादि) को प्रभावी ढंग से विफल किया जा सकता है.

खास बात ये है कि इसी महीने स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से सुदर्शन चक्र मिशन का ऐलान किया था. ये एक एयर डिफेंस प्रणाली है, जिसमें देश की सिविल और मिलिट्री एयर स्पेस को सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों को विकसित करने का खाका तैयार किया गया है. ऐसे में आईएडीडब्लूएस को भी उसी मिशन का हिस्सा माना जा सकता है.

क्या है सुदर्शन चक्र मिशन का उद्देश्य?

सुदर्शन चक्र मिशन का उद्देश्य 2035 तक सामरिक और नागरिक, दोनों प्रकार की संपत्तियों के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कवच प्रदान करना है. कम दूरी और मध्यम दूरी के लिए क्यूआरसैम, वीशोराड, आकाश मिसाइल, मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल (एमआरसैम) और लेजर वेपन तो देश में तैयार कर लिए गए हैं. लेकिन रूस की एस-400 की तर्ज पर लंबी दूरी की एयर डिफेंस (मिसाइल) की अभी सख्त जरूरत है. ऐसे में डीआरडीओ ने प्रोजेक्ट कुशा पर काम करना शुरू कर दिया है.

इस प्रोजेक्ट के तहत डीआरडीओ लॉन्ग रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल यानी लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल की पांच स्क्वड्रन तैयार करेगा. डीआरडीओ ने वर्ष 2028-29 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का टारगेट रखा है.

तीन तरह की मिसाइल विकसित करने का प्लान तैयार 

डीआरडीओ ने प्रोजेक्ट कुशा के तहत तीन तरह की मिसाइल को विकसित करने का प्लान तैयार किया है. ये तीन मिसाइल 150 किलोमीटर, 250 किलोमीटर और 350 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के एरियल अटैक को विफल करने में सक्षम होंगी. ऐसे में दुश्मन के फाइटर जेट, ड्रोन और मिसाइल को उनकी स्पीड के अनुसार अलग-अलग दूरी पर मार गिराया जा सकता है. 

टोही विमान या फिर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को ये मिसाइल सिस्टम 350 किलोमीटर की दूरी पर ही तबाह कर सकती है, लड़ाकू विमान को 250 किलोमीटर की दूरी पर नेस्तनाबूद कर देगी. इसके अलावा दुश्मन के स्टील्थ फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल और प्रेशेसियन म्युनिशन को भी मार गिरा सकने की ताकत इस कुशा मिसाइल में होगी. ये दुश्मन के टारगेट को ‘लो-रडार क्रॉस सेक्शन’ पर भी मार गिरा सकती है यानि जो एरियल टारगेट बेहद ही कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं.

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