हिंदुओं से जजिया टैक्स वसूल रही जमात-ए-इस्लामी…कभी भारत का दोस्त रहा बांग्लादेश बन जाएगा…

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के दौरान देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की दिशा में कदम तेज हो गए हैं. सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी अब देश में शरिया कानून लागू करने की कोशिश कर रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से समर्थित यह संगठन हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर जजिया कर लगाना शुरू कर चुका है. यह फैसला बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को इस्लामिक शासन में बदलने का संकेत माना जा रहा है. खास बात यह है कि यूनुस सरकार इस पूरे मामले पर चुप है.
1 अगस्त से शुरू हुई जजिया वसूली
ब्लिट्ज के एडिटर सलाहुद्दीन शोएब चौधरी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अगस्त 2025 से जमात-ए-इस्लामी ने हिंदुओं और गैर-मुसलमानों से जजिया वसूलना शुरू कर दिया है. इससे पहले 25 जुलाई को जमात प्रमुख डॉ. शफीकुर रहमान ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि गैर-मुसलमानों को यह कर देना होगा, जैसे मुसलमान जकात देते हैं.
रहमान का विवादित बयान
एक सभा में डॉ. शफीकुर रहमान ने कहा कि अगर बांग्लादेश में सभी समुदायों को समान अधिकार चाहिए तो हिंदुओं और गैर-मुसलमानों को जजिया कर देना होगा. उन्होंने दावा किया कि शरिया कानून के अनुसार यही सही है. रहमान का कहना था कि जैसे मुसलमान अपनी संपत्ति का हिस्सा धार्मिक कार्यों के लिए जकात के रूप में देते हैं, वैसे ही गैर-मुसलमानों को जजिया देना चाहिए.
Jamaat-e-Islami — the Bangladeshi arm of the Muslim Brotherhood — has begun imposing the medieval Jizya tax on Hindus and other religious minorities, openly declaring its intent to replace the country’s secular framework with Sharia lawhttps://t.co/byuKjSivV6
— Salah Uddin Shoaib Choudhury (@salah_shoaib) August 23, 2025
जजिया कर का मतलब क्या है?
जजिया एक इस्लामिक टैक्स है, जो गैर-मुसलमानों पर लगाया जाता है. यह मध्यकालीन इस्लामी शासन में आम था और आलोचक इसे हमेशा गैर-मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की नीति मानते रहे हैं. वर्तमान बांग्लादेश में इसकी शुरुआत देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों से दूर हटकर इस्लामी शासन लागू करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
जमात-ए-इस्लामी का विवादित इतिहास
जमात-ए-इस्लामी का इतिहास बांग्लादेश में विवादों और क्रूरता से जुड़ा है. 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान इसने पाकिस्तान का साथ दिया था और पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर बंगाली नागरिकों के नरसंहार में शामिल रही थी. आज भी इस संगठन को पाकिस्तान आईएसआई और कई इस्लामी-जेहादी संगठनों का समर्थन हासिल है. यही वजह है कि मौजूदा हालात को लेकर बांग्लादेश में चिंता बढ़ गई है.