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क्या है Hobosexuality? शहरों में क्यों बढ़ रहा इसका ट्रेंड

हाल के वर्षों में कुछ नए ट्रेंड्स सोशल मीडिया और न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से उभर रहे हैं. इनमें से एक है Hobosexuality. यह शब्द सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह एक वास्तविक सामाजिक और आर्थिक व्यवहार का नाम है. चलिए आपको बताते हैं कि यह क्या है और इसका मतलब क्या होता है. 

Hobosexuality क्या है?

‘Hobosexuality’ दो शब्दों से मिलकर बना है ‘Hobo’ और ‘Sexuality’. यहां ‘Hobo’ का मतलब है ऐसा व्यक्ति जो अस्थायी या आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति में है, और ‘Sexuality’ का मतलब है रोमांटिक या शारीरिक संबंध. सरल शब्दों में, Hobosexuality का मतलब है किसी के साथ रोमांटिक या शारीरिक संबंध बनाना सिर्फ आर्थिक या रहने-खाने जैसी जरूरतों के लिए, न कि प्यार या भावनात्मक जुड़ाव के लिए. अगर कम शब्दों में कहा जाए तो आप किसी के साथ तब रिलेशन में हों जब आपको लगे कि उसके साथ रहने से आपको एक सेल्टर मिल जाएगा और खाने-पीने का भी जुगाड़ वो कर देगा या देगी.  इसमें दोनों पार्टनर्स को एक तरह का समझौता करना पड़ता है. एक को भावनात्मक या शारीरिक सन्तुष्टि मिलती है और दूसरे को आर्थिक या रहने का लाभ मिलता है.

शहरों में बढ़ रहा ट्रेंड

शहरी जीवन में रहने की महंगी जीवनशैली, किराया, खाने-पीने और ट्रांसपोर्ट की बढ़ती कीमतें, युवाओं को नए रास्तों की ओर ले जा रही हैं. हॉस्टल, PG, या छोटे अपार्टमेंट्स में रहने वाले युवा अक्सर अपने खर्चों को कम करने के लिए इस तरह के रिलेशनशिप में शामिल हो जाते हैं. इसके अलावा, सोशल मीडिया और ऐप्स ने इसे और आसान बना दिया है. लोग आसानी से ऐसे पार्टनर्स ढूंढ सकते हैं जो इस समझौते में सहज हों.

सोशल और मानसिक असर

Hobosexuality के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रेंड आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का एक तरीका है, लेकिन लंबे समय में भावनात्मक संतोष नहीं देता. कभी-कभी इससे मानसिक दबाव, तनाव और रिश्तों में अस्थिरता भी बढ़ सकती है.

क्या करें?

  • इस तरह के रिश्तों में जाने से पहले अपने भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें.
  • अगर आर्थिक स्थिति कठिन है, तो roommates या शेयरिंग अपार्टमेंट जैसी वैकल्पिक व्यवस्था देखें.
  • रिश्तों में सिर्फ आर्थिक फायदा पाने की सोच से बचें, इससे भविष्य में तनाव और अकेलापन बढ़ सकता है.

Hobosexuality एक नया सामाजिक और आर्थिक ट्रेंड है, जो शहरों में युवाओं के जीवनशैली और आर्थिक जरूरतों से जुड़ा हुआ है. हालांकि यह कुछ समस्याओं का अस्थायी हल देता है, लेकिन भावनात्मक और मेंटल सेटिस्फेक्शन के लिए स्थायी विकल्प नहीं है.

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