Case of Rajasthan Alliance of All Hospital Associations | राजस्थान एलायंस ऑफ ऑल हॉस्पिटल…

आरजीएचएस में प्राइवेट अस्पतालों की बकाया रकम के भुगतान पर रार बरकरार है। राजस्थान एलायंस ऑफ ऑल हॉस्पिटल एसोसिएशंस (राहा) ने चेतावनी दी है कि पैसा नहीं मिला तो 25 अगस्त से कैशलेस इलाज बंद करेंगे। पेनल्टी और क्लेम खारिज होने की मांग भी की है। भास्कर ने
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‘राहा’ के प्रेस नोट और विज्ञापन भी बिना नाम, नंबर और पते के जारी हो रहे हैं। संगठन का दावा है कि वो आरजीएचएस से जुड़े 700 प्राइवेट हॉस्पिटल, 4000 डॉक्टर और 4,200 फार्मेसी का प्रतिनिधत्व करती है। ‘राहा’ ने पहले भी 15 जुलाई से कैशलेस इलाज बंद करने की चेतावनी दी थी। चिकित्सा विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने 31 जुलाई तक भुगतान जारी करने और 60 दिनों में भुगतान सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।
संगठन ने माना– हां, हमारा कहीं रजिस्ट्रेशन नहीं : ‘राहा’ ने माना कि उनका कहीं रजिस्ट्रेशन नहीं है। भास्कर के सवालों के जबाव में संगठन ने बताया कि यह राजस्थान की हॉस्पिटल एसोसिएशंस का अंब्रेला संगठन है। इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) राजस्थान, प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी (पीएचएनएचएस), यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (उपचार), एसोसिएशन ऑफ हैल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एएचपीआई) और जयपुर मेडिकल एसोसिएशन (जेएमए) शामिल हैं।
जिनकी जांच चल रही उनका ही भुगतान रुका चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि भुगतान की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ चल रही है। ज्यादातर अस्पतालों का मार्च 2025 तक का भुगतान कर दिया गया है। उन अस्पतालों का ही भुगतान बाकी है, जिनमें अनियमितताएं सामने आई हैं। इनकी जांच-ऑडिट चल रही है। अप्रैल से अब तक 850 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है और 196 करोड़ का क्लेम प्रक्रिया में है।
मंत्री ने कहा- गड़बड़ी करने वाले ही दबाव बना रहे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि योजना में भुगतान को लेकर कोई समस्या नहीं है। ज्यादातर अस्पताल इसकी प्रक्रिया से संतुष्ट हैं। कई अस्पतालों के क्लेम में अनियमितता मिली थी। इनकी आईडी सस्पेंड की गई और इन पर करीब 30 करोड़ की पेनल्टी लगाई। अभी भी 40 से ज्यादा अस्पतालों की आईडी सस्पेंड है। कुछ गड़बड़ी करने वाले अस्पताल ही भुगतान को लेकर अनुचित दबाव बना रहे हैं। इनके संचालक ही कैशलेस इलाज बंद करने की बात कर रहे हैं।