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Discussion on the impact of US tariff on handicrafts | अमेरिका में लोकल वेयरहाउस खोलकर बेचे…

एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडी क्राफ्ट्स (ईपीसीएच) की ओर से शनिवार को जोधपुर में सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर को लेकर एक्सपोर्टर्स, हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय से जुड़े लोगों को जागरूक किया गया। इसके साथ यूरोपीय संघ वन कट

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ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने बताया सऊदी अरेबिया, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, स्पेन, इटली, लैटिन अमेरिका में अब बायर्स को माल बेचने के लिए तैयार किया जाएगा। इसके लिए बायर्स को न्योता दिया गया है। 40 प्रतिशत बिजनेस जोधपुर का अमेरिका में होता है, लेकिन ईपीसीएच और सरकार का प्रयास है कि अलग-अलग कंट्रीज पर फोकस करें। इसी कड़ी में अब यूके पर भी फोकस किया जाएगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते वक्ता।

अमेरिका के टैरिफ का ढूंढ रहे विकल्प अमेरिका के टैरिफ को लेकर अब विकल्प भी ढूंढा जा रहा है। इतनी बड़ी फैक्ट्री और मशीनरी है। इतने कारीगर भी हैं। कोस्ट कटिंग भी करनी है, फैक्ट्री को रनिंग भी करनी है। इसको लेकर एक्सपोर्टर को यही बताया कि आप लोग घबराए नहीं। ईपीसीएच अब नई नई कंट्री पर फोकस कर रहा है। वहां के बायर्स से भी संपर्क किया जा रहा है। इसके साथ ही ही फरवरी में होने वाले एशिया के सबसे बड़े हैंडीक्राफ्ट फेयर को लेकर उन्होंने जानकारी दी। इसमें 14 से 18 फरवरी हो होने वाले कार्यक्रम में जोधपुर के फर्नीचर को अलग से स्पेशल जगह दी जाएगी। जहां जोधपुर का फर्नीचर डिस्प्ले होगा। इसको लेकर चर्चा की जाएगी।

एक्सपोर्टर के लिए बनाया प्लेटफॉर्म नीरज खन्ना ने बताया कि ईपीसीएच ने अपने एक्सपोर्टर के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाकर दिया है। सरकार की पॉलिसी से रिलेटेड हो इस तरह के 40 से 45 एक्सपर्ट को एड किया गया है। जो साप्ताहिक रूप से एक्सपोर्टर को जानकारी देते हैं। जिसमें उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है। उसे एक्सपोर्टर OPD के तौर पर तैयार किया गया है।

कार्यक्रम में उपस्थित हैंडीक्राफ्ट बिजनेस से जुड़े व्यापारी।

स्मॉल रिटेलर पर फोकस

वहीं, ईपीसीएच के डायरेक्टर डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि सिंगल मार्केट का रिस्क हमेशा से बना रहेगा। क्योंकि अमेरिका हमेशा के लिए एक बड़ा मार्केट है, जिसे बदलना इतना आसान नहीं है, लेकिन हमारा जितना एक्सपोर्ट अमेरिका में है। उतना ही लैटिन अमेरिका की 42 में से 10 कंट्री चिल्ली, उरुग्वे, कोलंबिया पर फोकस है।

ये इंडिया से ट्रांसपोर्टेशन, लेंग्वेज आदि कारणों के चलते माल नहीं ले पाते थे, लेकिन अब इसी पर फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा इंग्लैंड और जापान सहित देशों में प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा- हम स्मॉल रिटेलर को, स्टोर को यानी अमेरिका में अमेरिका के तरीके से ही डील करने वाले हैं। यानी कि यहां से जो माल अमेरिका जाता है वो वहां के कस्टमर को क्या भाव मिलता है। वहां पर इंडिया को लैंडिंग कोस्ट करीब 19 से 30 प्रतिशत अलग-अलग देशों के मुकाबले ज्यादा है। इसे ध्यान में रखते हुए अब होलसेलर डिस्ट्रीब्यूटर के बजाय वहां के रिटेलर तक माल भेजने की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए वहां लोकल लेवल पर वेयर हाउस खोले जाएंगे। जिसमें आने वाले समय की जेनरेशन को भी तैयार कर रहे हैं।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से बचने के किए जा रहे उपायों की जानकारी दी।

अमेरिकी टैरिफ पर बनाया प्लान कुमार ने बताया कि हमारे यहां पर सभी ने मिलकर चर्चा की है। कुल मिलकर 5 प्रोग्राम किए हैं। इनके तहत कोस्ट इक्वेलाइजेशन जो दूसरे देशों के मुकाबले 19 से 35 प्रतिशत है। उसे ध्यान में रखते हुए माल की लागत को कम करने का प्रयास करेंगे।

  • इंटरेस्ट एक्यूलैजेशन को शुरू कर रहे हैं।
  • GST का इश्यू रखना था। जिसको लेकर दीपावली से पहले पीएम ने घोषणा की थी उस पर काम किया जा रहा है।
  • ATHSE में जो भी प्रॉफिट होते थे, उसमें इनकम टैक्स के जाता था, जिसे दो साल तक छूट देने की मांग हमने सरकार से की है।
  • हमने कोस्ट इक्वेलाइजेशन, इंटरेस्ट इक्वेलाइजेशन सहित पांच मुद्दे सरकार के समक्ष रखें हैं। इसको लेकर सरकार की यही कहा है कि हम सबसे पहले देश, सरकार के साथ है। सरकार का जो भी स्टैंड है वो बिल्कुल दुरुस्त है।

वहीं, राजीव मेहता ने बताया कि हैंडीक्राफ्ट से जुड़ी जोधपुर के दो एसोसिएशन को एक साथ मर्ज किया जाएगा। कार्यक्रम में ईपीसीएच के अध्यक्ष नीरज खन्ना, महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार, संयोजक अवधेश अग्रवाल और सीओए मेंबर हंसराज भारती और लेखराज माहेश्वरी भी मौजूद रहे।

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