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Padma Shri Dr. Shanta Sinha spoke on the education system of children | बच्चों की शिक्षा…

7वें प्रो. वी.एस. व्यास स्मृति व्याख्यान में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. शांता सिन्हा ने शिक्षा व्यवस्था पर चिंता जताई।

राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में सेंटर फॉर माइक्रो फाइनेंस और अजीत फाउंडेशन की ओर से शनिवार को आयोजित 7वें प्रो. वी.एस. व्यास स्मृति व्याख्यान में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. शांता सिन्हा ने शिक्षा व्यवस्था पर चिंता जताई।

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डॉ. सिन्हा ने कहा कि आधारभूत सुविधाओं की कमी और सामाजिक चुनौतियों के कारण देश के बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। चुनावों में शिक्षकों की ड्यूटी लगने से सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई प्रभावित होती है।

शिक्षा के निजीकरण ने गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कोविड के बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अभिभावकों ने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजा। लेकिन एक साल के भीतर ही 75 प्रतिशत बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में स्थानांतरित करना पड़ा। कारण था सरकारी विद्यालयों का खराब प्रदर्शन।

कार्यक्रम का आयोजन पद्मभूषण से सम्मानित कृषि अर्थशास्त्री प्रो. वी.एस. व्यास की स्मृति में किया गया।

कार्यक्रम का आयोजन पद्मभूषण से सम्मानित कृषि अर्थशास्त्री प्रो. वी.एस. व्यास की स्मृति में किया गया। सी.एम.एफ. की कार्यकारी निदेशिका मलिका श्रीवास्तव ने स्वागत किया। संस्था के चेयरमैन प्रो. जनक शाह ने डॉ. सिन्हा का परिचय दिया। डॉ. सिन्हा को वर्ष 2003 में रमन मैगसेसे पुरस्कार और 1998 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।

डॉ. सिन्हा ने शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली ऐसी तमाम छोटी-छोटी चुनौतियों को उदाहरण के साथ उजागर किया जिससे यह स्पष्ट हुआ कि देश में बाल शिक्षा को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है तथा वह मात्र एक सिस्टम या विभाग बनकर रह गया है जिसे केवल चलाना है, ऐसी दरकती व्यवस्था का क्या दूरगामी फायदा या नुकसान होगा, यह अनसुलझी पहली कोई सुलझाना नहीं चाहता है। जिसका नतीजा आज देश के बच्चे भुगता रहे हैं और शायद भुगतते रहेंगे।

कार्यक्रम के अंत में अजीत फाउंडेशन के निदेशक प्रो. विक्रम व्यास ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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