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Ririju said- Modi himself refused to take any exemption | रिरिजू बोले- मोदी ने छूट लेने से मना…

नई दिल्ली2 मिनट पहले

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में ये बयान दिया है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा के दौरान उस नियम से छूट लेने से इनकार कर दिया था, जिसके तहत अगर PM-CM या कोई मंत्री किसी गंभीर अपराध में 30 दिन से ज्यादा जेल में रहता है तो उसे पद से हटना पड़ेगा।

रिजिजू ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि कैबिनेट में सुझाव दिया गया था कि प्रधानमंत्री को इस प्रावधान से बाहर रखा जाए, लेकिन PM मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री भी देश का नागरिक है, उन्हें भी कोई विशेष सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए। रिजिजू ने आगे कहा कि यह कदम राजनीति में नैतिकता और ईमानदारी की मिसाल पेश करेगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने 20 अगस्त को लोकसभा और 21 अगस्त को राज्यसभा में गंभीर आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को 30 दिन बाद पद से हटाने से जुड़े 3 बिल पेश किए थे। हालांकि, विपक्ष के हंगामे के चलते इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिए गए।

22 अगस्त- PM ने बिहार-पश्चिम बंगाल में सभा में बिल का जिक्र किया

कलकत्ता में- PM मोदी ने पश्चिम बंगाल में बिल को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री तक जेल से सरकार चलाते हैं। ये संविधान और लोकतंत्र का अपमान है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने TMC सरकार, भ्रष्टाचार और ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। पूरी खबर पढ़ें…

गयाजी में- PM ने बिहार के गया जी में कहा कि जिसने पाप किया है, वो अपने पाप को दूसरों से छिपाता है, लेकिन खुद तो जानते हैं कि उन्होंने क्या किया है। कोई बेल पर बाहर है, कोई रेल के खेल में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा- ये लोग कानून का विरोध कर रहे हैं। ये लोग मोदी को भांति-भांति की गाली दे रहे हैं। बाबा साहेब ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि सत्ता के भूखे लोग भ्रष्टाचार करेंगे और कुर्सी से चिपके रहेंगे। अब भ्रष्टाचारी जेल भी जाएगा और कुर्सी भी जाएगी। पूरी खबर पढ़ें…

शाह ने 21 अगस्त को राज्यसभा में बिल पेश किया था

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 21 अगस्त को राज्यसभा में इस कानून से संबंधित 3 बिल पेश किए थे। इस दौरान विपक्ष के भारी विरोध और हंगामा किया। इस दौरान तीनों बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया। पूरी खबर पढ़ें…

शाह ने 20 अगस्त को लोकसभा में बिल पेश किया था

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 अगस्त को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और लगातार 30 दिन हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान वाले 3 बिल पेश किए थे। इस दौरान विपक्ष के भारी विरोध और हंगामा किया। कुछ सदस्यों ने बिल की कॉपियां फाड़ दीं। पूरी खबर पढ़ें…

CBI-ED ने 2014 के बाद 13 सिटिंग मंत्रियों को गिरफ्तार किया

2014 के बाद कम से कम 13 सिटिंग मंत्रियों को CBI-ED गिरफ्तार कर चुकी हैं। इनमें से 10 गिरफ्तारी PMLA के कड़े प्रावधानों के तहत हुईं। अधिकतर गिरफ्तारी APP शासित दिल्ली और TMC शासित पश्चिम बंगाल में हुईं।

किसी भाजपाई मंत्री की गिरफ्तारी नहीं हुई है। सिर्फ उत्तर प्रदेश के मंत्री राकेश सचान को अवैध हथियार के मामले में एक वर्ष की सजा हुई थी। वह जमानत के बाद द पर बने हुए हैं।

केजरीवाल ने गिरफ्तारी के 6 महीने बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था

शराब नीति केस केस में तत्कालीन CM केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था।- फाइल फोटो

केंद्र सरकार का मानना है कि ये तीनों बिल लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत करेंगे। अब तक संविधान के तहत केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। मौजूदा कानूनों में संवैधानिक पद पर बैठे नेताओं को हटाने को लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं है।

इसको लेकर कानूनी और सियासी विवाद होते रहे हैं। दिल्ली के तत्कालीन CM अरविंद केजरीवाल शराब नीति केस केस में ED की गिरफ्तारी के बाद भी पद पर थे। जमानत के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था।

इधर, तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी भी 241 दिन जेल में रहते हुए मंत्री रहे थे, बालाजी को मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MTC) में नौकरी के बदले नकद घोटाले के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। इसके बाद भी वह 13 फरवरी 2024 तक पद पर बने रहे थे।

गिरफ्तारी से पहले वे बिजली, आबकारी और मद्य निषेध विभाग संभाल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने उन्हें “बिना विभाग वाला मंत्री” बनाए रखा और उनके विभाग अन्य सहयोगियों को सौंप दिए।

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