कल्याणजी भाई बॉलीवुड का वो चमकता सितारा, जो 19 घंटों तक बिना रुके बना देते थे गाना, जानें उनके…

कल्याणजी वीरजी शाह हिंदी सिनेमा के उन महान संगीतकारों में से एक हैं, जिन्होंने कई यादगार और खूबसूरत गीत दिए. इन गीतों में एक ‘मेरे देश की धरती सोना उगले‘ आज भी लोगों की जुबां पर है. कल्याणजी इस गाने के रिकॉर्डिंग सेशन को हमेशा अपने करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण और गर्व भरी उपलब्धियों में से एक मानते थे.
इस तरह शुरु हुआ सफर
कल्याणजी का जन्म 30 जून 1928 को गुजरात के कच्छ जिले के कुंदरोडी गांव में हुआ था. बाद में उनका परिवार मुंबई आ गया, जहां उनके पिताजी ने किराने की दुकान खोली. दुकान के एक ग्राहक ने उधार न चुका पाने के बदले कल्याणजी और उनके भाई आनंदजी को संगीत सिखाया. यही ‘उधारी का संगीत’ उनकी ज़िंदगी की पहचान बना और मेहनत के बल पर दोनों भाई हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार कहलाए.
19 घंटे तक चली रिकॉर्डिंग
एक इंटरव्यू में आनंदजी ने ‘मेरे देश की धरती सोना उगले’ के बारे में बात करते हुए बताया था कि इस गीत की रिकॉर्डिंग सुबह 9 बजे शुरू हुई और करीब 19 घंटे तक चली. उस वक्त लाइव रिकॉर्डिंग का चलन था, इसलिए वे और कल्याणजी, साथ ही उनकी टीम, पंछियों की चहचहाहट, पानी की बूंदों की आवाज और अन्य प्राकृतिक ध्वनियों को उसी वक्त रिकॉर्ड करने पर खास ध्यान देते थे.
गीत मेरे देश की धरती
आनंदजी ने बताया, ”यह सिर्फ संगीत की रिकॉर्डिंग नहीं थी, यह प्रकृति और इंसान के मेल की मिसाल थी. इस गाने में हर आवाज का सही समय पर आना और मेल बैठाना कितना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इन्हीं चुनौतियों ने हमें प्रेरित किया. रात 4 बजे तक मेहनत करने के बावजूद हमें कभी थकान महसूस नहीं हुई, क्योंकि यह गीत हमारे दिल के बहुत करीब था. यह गाना न सिर्फ मेरे लिए बल्कि कल्याणजी के लिए भी चुनौतीपूर्ण था.”
फिल्मी करियर
कल्याणजी के फिल्मी करियर की बात करें तो, उन्होंने अपने भाई आनंदजी के साथ मिलकर ‘कल्याणजी वीरजी एंड पार्टी‘ के नाम से एक आर्केस्ट्रा कंपनी बनाई थी, जो अलग-अलग शहरों में जाकर परफॉर्मेंस दिया करती थी.
कल्याणजी आनंदजी का बॉलीवुड सफर
कल्याणजी ने 1959 में पहली बार फिल्म ‘सम्राट चंद्रगुप्त‘ के लिए संगीत दिया. उस समय आनंदजी उनके साथ आधिकारिक रूप से नहीं थे, लेकिन उन्होंने पूरी मदद की। बाद में आनंदजी भी उनके साथ जुड़ गए और 1959 में रिलीज़ हुई ‘सट्टा बाजार’ और ‘मदारी’ के लिए संगीत बनाया. उनकी पहली बड़ी हिट 1960 में आई फिल्म ‘छलिया’ थी. 1965 में आई फिल्मों ‘हिमालय की गोद में’ और ‘जब जब फूल खिले’ ने उन्हें बॉलीवुड के सफल संगीतकारों में शामिल कर दिया.
250 से ज्यादा फिल्मों में दिया संगीत
कल्याणजी-आनंदजी ने 250 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया, जिनमें से 17 फिल्में गोल्डन जुबली और 39 सिल्वर जुबली रहीं. उन्होंने अपने समय के महान गायकों जैसे मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, आशा भोसले, मन्ना डे, मुकेश और महेंद्र कपूर के साथ काम किया. फिल्म ‘कोरा कागज’ के गाने ‘मेरा जीवन कोरा कागज’ के लिए उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक’ के लिए पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.
संगीत में मिला सम्मान और लोकप्रियता
1992 में भारत सरकार ने कल्याणजी आनंदजी को संगीत में विशेष योगदान के लिए चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मश्री, से नवाजा. दोनों ने लता मंगेशकर के लिए कुल 326 गीत बनाए. इसमें से 24 गीत कल्याणजी ने अपने पहले नाम ‘कल्याणजी वीरजी शाह’ से और बाकी 302 गीत ‘कल्याणजी-आनंदजी’ के नाम से दिए.
72 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस
कल्याणजी वीरजी शाह का निधन 24 अगस्त 2000 को हुआ, लेकिन उनका संगीत अब भी लोगों के दिलोदिमाग में बसता है. राष्ट्रीय पर्व पर अब भी बच्चे शान से ‘मेरे देश की धरती’ शान से गुनगुनाते हैं.