Growing disintegration in Jain society sirohi Rajasthan | जैन समाज में बढ़ता विघटन: पर्युषण…

र्युषण पर्व के चौथे दिन संतों ने जैन समाज की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
पर्युषण पर्व के चौथे दिन संतों ने जैन समाज की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जैन समाज की पहचान अहिंसा, अपरिग्रह, संयम, तप और एकता से जुड़ी रही है। इस समाज ने सदियों से सत्य और करुणा के माध्यम से विश्व में शांति का संदेश दिया है।
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संतों ने बताया कि वर्तमान में समाज भीतर से टूटन की ओर बढ़ रहा है। पद की लालसा, नाम की भूख और अहंकार ने साधु-संतों और समाज को प्रभावित किया है। साधु और संघ के बीच त्याग, तप और मर्यादा की जगह प्रतिस्पर्धा और विरोध ने ले ली है।
‘मैं बड़ा, वह छोटा’ की सोच ने समाज में दरार पैदा कर दी है। नए-नए पंथों के उदय से मूल धर्म की नींव कमजोर हो रही है। सोशल मीडिया पर बढ़ते विवादों से जैन धर्म की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
संतों ने समाधान सुझाते हुए कहा कि साधु-संतों में पद की जगह साधना को महत्व मिले। आडंबर की जगह शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कारों में निवेश किया जाए। मंचों से अपमान की जगह शांति और करुणा का संदेश दिया जाए। संकीर्ण सोच छोड़कर सर्वजनीन दृष्टिकोण अपनाया जाए।