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Children forced to study under the shadow of fear, enrollment decreased Dungarpur Rajasthan |…

डूंगरपुर में जर्जर हुआ 25 साल पुराना राजकीय महात्मा गांधी स्कूल।

डूंगरपुर में ग्रामीण ही नहीं शहरी क्षेत्र में भी सरकारी स्कूल भवनों की हालत दयनीय है। डूंगरपुर शहर में एक ऐसा ही सरकारी स्कूल है, जहां बच्चों को शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन डर के साए में। इतना ही नहीं इस स्कूल में नर्सरी से लेकर 12वीं तक की कक्षाएं स

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विजय स्कूल की छत से उखड़ा प्लास्टर, नीचे चल रही कक्षा।

डूंगरपुर शहर का महात्मा गांधी राजकीय स्कूल नंबर 4, जो विजय स्कूल के नाम से भी जाना जाता है। यह स्कूल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि सैकड़ों बच्चों के सपनों का केंद्र है, लेकिन इन दिनों यह स्कूल खुद अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

खस्ताहाल क्लास रूम के कारण बच्चे बरामदे में करते हैं पढ़ाई।

25 साल पहले बने इस स्कूल में ऑफिस सहित कुल 15 कमरे है। जिसमें से 10 कमरे जर्जर हो चुके है। कमरों में छतों का प्लास्टर उखड़ रहा है। वहीं, दीवारों में भी बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। जिस कारण इन 10 कमरों को बंद कर दिया गया है। बाकी बचे 5 कमरों में से एक में कार्यालय संचालित हो रहा है। 4 कमरों में नर्सरी से 12वी तक के बच्चों को साथ बैठकर पढ़ाया जा रहा है।

प्रिंसिपल रणजीत कुमार अहारी ने बताया कि कक्षा एक से 5 तक के बच्चो को एक कमरे में कक्षा 6, 7 और 8 के बच्चों को तो दूसरे कमरे में, कक्षा 11 और 12 को तीसरे कमरे में और कक्षा 9 और 10 के बच्चो को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जाता है।

जर्जर हो रहे क्लास रूम।

अभिभावकों को भी हादसे का डर जर्जर स्कूल भवन के हालात देख कर अभिभावक भी चिंतित है। छात्र अभिभावक समिति के संरक्षक नानूराम माली का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजते समय सभी को डर बना रहता है कि कहीं कोई हादसा नहीं हो जाए। जब बच्चे स्कूल से सकुशल वापस घर आ जाते है तब सुकून मिलता है। माली का कहना है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन भवन की मरम्मत नहीं कराई गई।

विजय स्कूल में जगह-जगह से उखड़ा प्लास्टर, सीलन भरी दीवारें।

30 छात्रों का नामांकन कम डूंगरपुर के पुराना शहर की घनी आबादी के बीच स्थित विजय स्कूल नंबर 4 में पिछले साल 200 से अधिक का नामांकन था। जो अब घट कर 172 रह गया है। डूंगरपुर जिले में सैकड़ों स्कूलों की हालत कुछ ऐसी ही है। जहां जर्जर भवन के कारण हादसे के डर से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे है। अभिभावक जल्द जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत का इंतजार कर रहे है ताकि उनके बच्चे सुरक्षित वातावरण में अपना भविष्य सुधर सके।

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