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Constitutional Amendment Bill; Mamata Banerjee TMC JPC | PM CM Ministers | ममता की पार्टी बोली-…

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नई दिल्ली/कोलकाता9 मिनट पहले

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ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने गिरफ्तार PM-CM और मंत्रियों को हटाने वाले बिल समेत तीन विधेयकों पर विचार के लिए बनाई गई JPC को तमाशा बताया है। पार्टी ने कहा कि है वह इसमें कोई सदस्य नहीं भेजेगी।

सरकार ने मानसून सत्र में केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 को पेश किया था।

दोनों सदनों ने इन विधेयकों को एक जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेजने का प्रस्ताव पारित किया, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। समिति शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

हालांकि लोकसभा में, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विधेयक पेश करने के लिए आगे बढ़े, तो हंगामा मच गया, विधेयकों की प्रतियां फाड़कर अमित शाह पर फेंकी गईं थीं।

गृह मंत्री अमित शाह ने 20 अगस्त को लोकसभा में बिल पेश किए, विपक्ष ने बिल की कॉपी फाड़कर उन पर ही फेंकी थीं।

संसद में क्यों हुआ था तीन बिलों का विरोध

इन बिलों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार होकर जेल से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री के रूप में शासन नहीं चला सकता है। इस बिल में आरोपित राजनेता को गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर कोर्ट से जमानत लेने का प्रावधान भी दिया गया है।

अगर 30 दिन में जमानत नहीं ले पाते हैं, तो 31वें दिन वे स्वयं ही कानूनी रूप से कार्य करने के लिए अयोग्य हो जाएंगे। या तो केंद्र में प्रधानमंत्री और राज्यों में मुख्यमंत्री उन्हें पदों से हटाएंगे। कानूनी प्रक्रिया के बाद ऐसे नेता को यदि जमानत मिलेगी, तब वे फिर से अपने पद पर आ सकते हैं।

तीनों बिल के बारे में डिटेल में जानिए…

1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025 : केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।

इसलिए ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है।

2. 130वां संविधान संशोधन बिल 2025: केंद्र ने इस बिल को लेकर बताया कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो।

इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है।

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा।

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