UDH minister should break the pot of sins and keep religion on his head | UDH मंत्री पाप का…

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने UDH मंत्री पर बयान दिया है। डोटासरा ने कहा कि यूडीएच मंत्री कहते हैं कि कांग्रेस का पाप है,तो फिर यूडीएच मंत्री इस पाप के घड़े को 2 साल से क्यों ढो रहे हैं। उन्हें इसे फोड़कर सिर पर धर्म का घड़ा
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खर्रा ने जनता को चोर बताया
डोटासरा ने कहा कि यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा क्या बोलते हैं और क्या नहीं बोलते। कल मैंने उन्हें बोलते हुए सुना कि मेरे पास फाइल है,जो चोरी कर रहे हैं वही हल्ला कर रहे हैं। मतलब जो जनता है उनको ही यूडीएच मंत्री ने चोर बताया। क्योंकि जनता आवाज उठा रही है कि हमारे साथ में गलत हुआ है।
सीकर आवास पर कार्यकर्ताओं से मिलते हुए पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा।
सीकर में जो मास्टर प्लान 2041 है वह कांग्रेस ने नहीं बनाया बल्कि जिस एजेंसी को काम दिया गया था उसने मास्टर प्लान का प्रारूप तैयार किया। यदि उस एजेंसी ने ही कोई गलती की है,जैसा जनता कह रही है। ऐसे में झाबर सिंह खर्रा को इस सरकार का मंत्री होने के नाते और सीकर का नागरिक होने के नाते उनका धर्म बनता है कि वह इसको ठीक करें।
जिसने गड़बड़ी की,उसके खिलाफ कार्रवाई हो
वह यह कहेंगे कि मैं फाइल लेकर चलता हूं,चाहिए तो आप फाइलों का बौरा ही लेकर चलो। कौन आपको मना कर रहा है। लेकिन यदि उन फाइल में कोई गड़बड़ी है,जिसने गड़बड़ी की है,जिसने बेईमानी की है,उसके खिलाफ कार्रवाई करो। कैसे मास्टर प्लान जनता के हित में हो,उसकी कार्रवाई उन्हें करनी चाहिए। केवल यह कहकर बचना कि मेरे पास सब कुछ सामान है। आप सरकार के मंत्री हो,आपको यूडीएच डिपार्मेंट मिला है।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा – इस सरकार की चुनाव करवाने की कोई मंशा नहीं है।
इसके बावजूद भी हमारा संभाग चला गया, नीमकाथाना नगर परिषद से नगर पालिका हो गई, हम सीकर में नगर निगम का वेट कर रहे थे, वह चला गया। आज मास्टर प्लान पर आप अलग-अलग तरह के बयान दे रहे हो। इन बयानों की बजाय आप सरकार का प्रमुख हिस्सा होने के नाते मास्टरप्लान को जनहितेषी कैसे बनाएं, इस दिशा पर काम करना चाहिए।
लोग मजाक उड़ाकर चलते बनेंगे
तब तो लोग यूडीएच मंत्री की बात सुनेंगे। नहीं तो लोग मजाक उड़ाकर चलते बनेंगे कि यह क्या तमाशा है। मंत्री दूसरों पर दोषारोपण कर रहे हैं। कल-परसों कह रहे थे कि कांग्रेस का पाप है,आप इसे सिर पर लेकर 2 साल से क्यों ढो रहे हो। आप तो इस पाप के घड़े को फोड़ो और धर्म का घड़ा अपने सिर पर रखकर जनता को राहत दो। यह काम मंत्री का होना चाहिए।
लेकिन दुर्भाग्य से राजस्थान में सारे टल्ले मारने वाले लोग आ गए। जब पर्ची से सरकार बनती है,तो इसी तरह की दिक्कत जनता को होती है जो सीकर और राजस्थान के लोगों को हो रही है।
प्रदेश सरकार की चुनाव करवाने की मंशा नहीं
निकाय चुनाव पर बोलते हुए पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेश सरकार की निकाय चुनाव,पंचायत चुनाव करवाने को लेकर कोई मंशा नहीं है। यदि सरकार की चुनाव करवाने की मंशा ही होती तो निकायों का 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के पहले ही सारी प्रक्रिया पूरी करके जैसे ही 5 साल खत्म होते चुनाव करवा देती।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने 1 सितंबर को सीकर के काछवा गांव में होने वाले तेजाजी महाराज की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पोस्टर का भी विमोचन किया।
सरकार ने अपने बजट में यह कहलवा दिया कि प्रदेश में वन स्टेट वन इलेक्शन होगा लेकिन ऐसा कोई प्रावधान नहीं है,ऐसा कोई कानूनी प्रावधान आज की तारीख में मौजूद नहीं। न ही ऐसा कोई प्रावधान यह लेकर आए हैं। इसे लेकर कोई पॉलिसी भी नहीं बनी हुई है। इनका हमेशा से यही था कि चुनाव करवाने ही नहीं है। केवल प्रशासक लगाकर समय व्यतीत करना है।
अब हाईकोर्ट के न्यायाधिपति अनूप ढंड ने कहा है कि जांच होनी चाहिए कि 5 साल के अंदर चुनाव क्यों नहीं हुए। मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारत सरकार को भी इस बारे में लिखा जाए। क्योंकि संवैधानिक प्रावधान है, 73 वां और 74 वां संशोधन होने के बाद,अनुच्छेद 243 के तहत हो गया था कि 5 साल में ही नगर निकाय और पंचायतीराज के चुनाव होंगे।
राजस्थान के राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त ने वोटर लिस्ट के लिए लिखा है, लेकिन सरकार की मंशा ठीक नहीं है। वह वापस लिखकर भेजेगी कि हम अभी चुनाव नहीं करवा पा रहे क्योंकि अभी परिसीमन का कार्य पूरा नहीं हुआ है। लेकिन परिसीमन के आधार पर यह चुनाव को आगे नहीं करवा सकते क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट की पंजाब सरकार के मामले में निर्णय आया हुआ है।
सरकार ने 2 साल में कुछ नहीं किया
2 साल में इस सरकार ने कुछ किया नहीं, इसलिए यह चुनाव करवाने में डर रहे हैं और चुनाव मैदान में आना नहीं चाहते। लेकिन उच्च न्यायालय इनको बाध्य करेगा। कांग्रेस भी इस सड़क और सदन पर मुद्दा बनाएगी। आने वाले विधानसभा सत्र में भी इसे मुद्दा बनाएंगे कि जनता के हकों पर यह कुठाराघात कर रहे हैं,लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं। ग्रामीण और शहरी प्रशासन में पूरी तरह से शून्यता आ गई है। इस पूरी सरकार में ब्यूरोक्रेसी हावी है। जनप्रतिनिधि की इस सरकार में कोई भी पूछ नहीं हो रही। उनकी सुनवाई नहीं हो रही।