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Premium was 42 thousand, claim on damage was 1274 rupees | किसान बोला-प्रधानमंत्री को वापस भेज…

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ये कहना है खंडवा के रहने वाले किसान राजेंद्र प्रजापति का। वे कहते हैं, सरकार ने फसल बीमा स्कीम के नाम पर धोखाधड़ी की है। सरकार और बीमा कंपनी ने क्लेम की राशि देकर खुद स्वीकार कर लिया कि खरीफ सीजन 2024 में फसल नुकसानी हुई थी, लेकिन जो 1274 रुपए का क्लेम दिया है, उसका गणित समझ नहीं आ रहा है। इससे 5 गुना ज्यादा राशि तो हमने प्रीमियम में भरी है। केंद्र और राज्य सरकार का चार-चार गुना अंशदान अलग है।

प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए डीडी बनवाने के लिए किसान ने चेक दिया।

7 लाख की फसल पर 4 लाख का क्लेम तो मिलता किसान राजेंद्र प्रजापति का कहना है कि 25 एकड़ पैतृक जमीन शहर से 15 किलोमीटर दूर ग्राम मोरदड़ में स्थित है। उन्होंने 2024 में 21 एकड़ में सोयाबीन की फसल बोई थी। ईंट-भट्टे का व्यवसाय होने के कारण, वे आमतौर पर गेहूं-सोयाबीन की फसलें उगाते हैं। दुर्भाग्यवश, उस वर्ष अच्छी बारिश नहीं होने के कारण सूखे के चलते उनकी सोयाबीन की फसल खराब हो गई। बीमा कंपनी के सर्वेयर ने भी खेत का निरीक्षण किया था।

फसल बीमा की प्रक्रिया के तहत, उन्होंने बैंक से केसीसी लोन लिया था। इस लोन में से 6 हजार रुपए का भुगतान बैंक ने उनकी सहमति से बीमा कंपनी को कर दिया था, उन्हें बताया गया था कि कुल प्रीमियम राशि के 10% में किसान का योगदान केवल 2% है। शेष 4% केंद्र सरकार और 4% राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। इस प्रकार, उनके 6 हजार रुपए और केंद्र-राज्य सरकारों के 12,000-12,000 रुपए मिलाकर बीमा कंपनी को कुल 30 हजार रुपए का भुगतान हुआ।

राजेंद्र प्रजापति का अनुमान था कि 21 एकड़ जमीन में औसत 7 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होगा, जिससे कुल 140 क्विंटल सोयाबीन प्राप्त होगी। उस समय सोयाबीन का बाजार और मंडी मूल्य लगभग 5,000 रुपए प्रति क्विंटल था। इस हिसाब से उनकी फसल का मूल्य 7 लाख रुपए होता। उन्होंने जो प्रीमियम राशि जमा की थी, उसके अनुसार उन्हें 50% से ज्यादा नुकसानी पर यानी 3 लाख 40 हजार रुपए का क्लेम मिलना चाहिए था। हालांकि, बीमा कंपनी (HDFC) ने उन्हें केवल 1,274 रुपए का क्लेम दिया, जो कि बहुत कम है। उन्हें इतनी कम राशि बैंक खाते से निकालने में भी शर्म आ रही है।

कई किसान बोले- प्रीमियम से कम आया बीमा ग्राम अत्तर के किसान अनिल कन्हैयालाल ने बताया कि उनकी 15 एकड़ जमीन है। पिछले साल खरीफ के सीजन में जमीन का बीमा कराया था, जिस पर प्रीमियम 4570 रुपए कटी थी, जिसकी बीमा राशि उसके खाते में 1387 रुपए ही आई। ऐसे ही कन्हैयालाल को 1387 रुपए बीमा मिला है, जबकि उनका प्रीमियम 4732 काटा गया। वहीं, गांव के गंगालाल का 1200 रुपए., कमलचंद नत्थू का 2200 रुपए, शुभम कमलचंद का 2400 रुपए, राकेश नत्थू का 2400 रुपए प्रीमियम कटा, लेकिन उन्हें बीमा राशि नहीं मिली। इन सभी की पांच-पांच हेक्टेयर जमीन हैं।

17 एकड़ का क्लेम सिर्फ 2575 रुपए मिला रोहिणी (जावर) गांव के रहने वाले किसान हरेसिंह चौहान ने बताया कि उनके पास अलग-अलग 10 रकबे मिलाकर कुल 17 एकड़ जमीन है। फसल बीमा स्कीम में कुल 5500 रुपए का प्रीमियम जमा कराया था। सरकार का अंशदान मिलाकर यह प्रीमियम करीब 27 हजार 500 रुपए होता है। अब बीमा क्लेम की राशि मिली तो खाते में कुल 2575 रुपए की राशि आई है। यह राशि भी सभी 10 रकबों का कुल योग है। किसी रकबे में 19 और 25 रुपए भी मिले हैं। जबकि सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी।

2024 में सोयाबीन फसल खराब होने पर मवेशियों को खेत में छोड़ दिया गया था।

2650 रुपए का बीमा कराया, राशि नहीं मिली राष्ट्रीय किसान-मजदूर संघ के मंत्री त्रिलोकचंद पटेल का कहना हैं कि, उन्होंने 2024 के खरीफ सीजन के लिए 2650 रुपए का बीमा कराया था। उस दौरान फसल खराब होने के बाद शिकायत भी की और बीमा कंपनी वालों से सर्वे कराया। अब डेढ़ साल बाद किसानों को बीमा क्लेम का भुगतान हुआ हैं। इसमें मुझे तो एक रुपए का क्लेम भी नहीं मिला हैं। किसानों के हित के लिए बनी यह स्कीम फर्जीवाड़े का शिकार हो गई हैं। सरकार और बीमा कंपनियों की मिली भगत उजागर हो गई हैं।

इसी महीने सिंगल क्लिक से ट्रांसफर हुई थी राशि एक साल पहले खराब हुई फसलों की बीमा राशि इसी महीने सिंगल क्लिक के माध्यम से किसानों के खातों में ट्रांसफर की गई। बीमा की यह राशि कई किसानों के खातों में जमा किए गए प्रीमियम से भी आधी आई। जबकि कई किसान बीमा राशि से वंचित रह गए। खंडवा जिले के किसानों के खातों में 3.50 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं, कुछ किसान हैं जिन्हें तकनीकी समस्या के चलते बीमा राशि कम आई या नहीं मिली है। किसानों ने कलेक्टर और मुख्यमंत्री तक शिकायत की। शासन ने जांच कर कार्रवाई का भरोसा दिया है।

पानी की कमी के कारण सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी।

खंडवा जिले में 20 फीसदी किसान कराते हैं फसल बीमा कृषि विभाग के अनुसार जिले में खेती करने वाले किसानों की संख्या करीब डेढ़ लाख है, लेकिन इनमें से 30 हजार किसान ऐसे हैं, जो हर साल अपनी फसलों का बीमा शासन द्वारा घोषित बीमा कंपनी से करवाते हैं। पिछले साल खरीफ के सीजन में भी करीब इतने ही किसानों ने अपनी सोयाबीन, मक्का सहित अन्य फसलों का बीमा करवाया था। प्राकृतिक आपदा के चलते फसलें खराब होने पर बीमा कंपनी ने सर्वे कराया था।

बीमा कंपनी बोली- तकनीकी समस्या, पूरा बीमा मिलेगा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जिला प्रबंधक राहुल सोनी ने बताया कि जिले के कुछ किसान ऐसे हैं, जिन्हें तकनीकी समस्या के चलते बीमे की राशि कम मिली है। जबकि कुछ किसानों की बीमा प्रक्रिया चलन में है। इनके द्वारा प्रशासन को शिकायत की गई थी, जिसकी सूचना शासन स्तर तक पहुंचा दी गई है। जल्द ही तकनीकी सुधार कर किसानों को 100 प्रतिशत फसल बीमा दिलाया जाएगा।

पटेल ने कहा- सरकार ने छलावा किया संयुक्त कृषक संगठन के प्रवक्ता जय पटेल का कहना है कि किसानों को बीमा क्लेम की राशि का जो भुगतान हुआ है, वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर सरकार किसानों से छलावा कर रही है। बीमा प्रीमियम के नाम पर किसानों से तो पैसा लिया ही जा रहा है, सरकार के पैसे का नुकसान भी हो रहा है।

ऐसे समझिए बीमा प्रीमियम का गणित पीएम फसल बीमा योजना में किसान खरीफ की फसलों के लिए अधिकतम 2%, रबी फसलों के लिए 1.5% और वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए 5% प्रीमियम का भुगतान करता है। शेष प्रीमियम का भुगतान केंद्र और राज्य सरकारें 50-50 प्रतिशत के अनुपात में वहन करती हैं। जिससे किसानों को न्यूनतम प्रीमियम पर पूर्ण बीमा सुरक्षा मिलती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसान की खरीफ फसल के लिए कुल बीमा प्रीमियम 4,000 है, तो किसान केवल 800 का भुगतान करेगा (जो कि 2% है)। बाकी 3,200 में से 1,600 केंद्र सरकार और 1,600 राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

व्यक्तिगत बीमा क्लेम का फायदा भी ले सकते हैं किसान बीमा कंपनी के मुताबिक, किसानों की फसल नुकसानी का आकलन पटवारी हल्के के साथ व्यक्तिगत तौर पर भी होता है। यदि किसान की फसल प्राकृतिक आपदा के चलते खराब हो गई है तो वह 72 घंटे के भीतर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के टोल फ्री नंबर 14447 पर संपर्क कर अपनी शिकायत दर्ज कराए। शिकायत दर्ज कराना काफी आसान है। किसान किसी भी मोबाइल नंबर से हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर फसल नुकसानी की सूचना दे सकता है। उसे सिर्फ अपना आधार नंबर या फिर बैंक खाता नंबर बताना होगा।

इसके बाद बीमा कंपनी के सर्वेयर, कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारी संबंधित किसान के खेत में फसल की नुकसानी का सर्वे करेंगे। अधिकारियों की मौजूदगी में पंचनामा रिपोर्ट तैयार होकर नुकसानी का आकलन होता है। इसी के आधार पर क्लेम दिया जाता है। खास बात यह है कि न्यूनतम 15% की नुकसानी पर भी क्लेम दिया जाता है।

खंडवा जिले में कुल करीब 80 हजार किसान बीमित हैं। इनमें से 2024 का बीमा क्लेम 10 हजार 408 किसानों को मिला है। जिनके बीच साढ़े तीन करोड़ रुपए की राशि बांटी गई हैं। कई किसान ऐसे हैं, जिन्हें डेढ़ लाख रुपए, 96 हजार रुपए, 75 हजार रुपए और 18 हजार रुपए का बीमा क्लेम भी मिला है। इन किसानों ने अपनी फसल खराब होने पर व्यक्तिगत शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर नुकसानी का आकलन हुआ था।

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