A huge crowd of devotees gathered in the court of Saanvra Seth | सांवरा सेठ के दरबार में उमड़ा…

मेवाड़ कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में शनि अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। आज मंदिर परिसर में एक विशेष धार्मिक माहौल देखने को मिला। दूर-दूर से आए भक्तों की आस्था और भक्ति ने मंदिर को पूरी तरह भक्तिमय बना दिया।
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सुबह 4 बजे से ही भक्तों का मंदिर पहुंचना शुरू हो गया था। वैसे तो हर अमावस्या पर यहां मेला लगता है, लेकिन शनि अमावस्या होने के कारण यह दिन और भी खास बन गया। श्रद्धालुओं के “सांवरा सेठ” के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा।
ठाकुर जी का हुआ श्रृंगार, दूर-दूर से आए श्रद्धालु
यहां सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित देश के कोने-कोने से भक्त दर्शन के लिए पहुंचे। बहुत से श्रद्धालु पहले ही दिन यानी चतुर्दशी को मंदिर पहुंच चुके थे, लेकिन अमावस्या के दिन सुबह 4 बजे से ही मंगला आरती के दर्शन के लिए लंबी लाइनें लग गईं। भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ती रही और यह सिलसिला पूरे दिन चलता रहेगा। मंगला आरती के समय ठाकुर जी का श्रृंगार किया गया था। भगवान सांवलिया सेठ को सोने का वाघा पहनाया गया और उनका आकर्षक श्रृंगार किया गया।
मंगला आरती के दौरान ठाकुर जी दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
हजारों की तादात में पैदल यात्रा कर पहुंचे भक्त
मंदिर प्रबंधन ने भी इस मौके पर भक्तों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए थे। जगह-जगह प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई थी। पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे ताकि भीड़ को सही तरीके से नियंत्रित किया जा सके और दर्शन आसानी से हो सकें।
इस दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पदयात्रा करते हुए भी मंदिर पहुंचे। आसपास के गांव जैसे चिकारड़ा, आसावरा माता, भाटोली, घोड़ा खेड़ा, भादसोड़ा और बानसेन से बड़ी संख्या में लोग पैदल ही दर्शन करने आए। चित्तौड़गढ़ शहर से भी कई भक्तों ने शुक्रवार की रात से ही पदयात्रा शुरू कर दी थी। इन यात्रियों की आस्था और भक्ति देखते ही बन रही थी।
नीले रंग के वस्त्र से मंगला आरती के दौरान हुआ था श्रृंगार, बाद में ठाकुर जी को सोने का वाघा पहनाया गया।
प्राकट्य स्थल पर देखी गई भीड़
श्री सांवलियाजी के प्राकट्य स्थल, जो कि भादसोड़ा चौराहे पर स्थित है, वहां भी भारी संख्या में भक्त पहुंचे। यहां पर भी दर्शन के लिए लंबी कतारें देखने को मिलीं। यहां भी ठाकुर जी के जयकारों से मंदिर परिसर भक्तिमय हो उठा।
सांवरा सेठ के इस प्रसिद्ध मंदिर में अमावस्या पर आने वाले भक्तों की संख्या हर बार बहुत ज्यादा होती है, लेकिन जब अमावस्या शनिवार को आती है, तब यह संयोग और भी शुभ माना जाता है। इसी कारण इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ आम दिनों से कहीं ज्यादा नजर आई। हर भक्त इस विशेष दर्शन को करने के लिए उत्साहित था। भक्तों की भीड़ के बावजूद हर किसी के चेहरे पर भक्ति और श्रद्धा झलक रही थी।
सांवरा सेठ के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। ऐसा माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इस विश्वास के चलते दूर-दराज से लोग यहां आते हैं और अमावस्या जैसे विशेष दिन पर भगवान के दर्शन करना अपने जीवन का सौभाग्य मानते हैं।