Kalpasutra gives the message of faith and trust in God, Guru and religion and service to…

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पर्युषण पर्व के तहत कल्पसूत्र का वाचन विवेचन ढढ्ढा कोटड़ी में शुरू किया गया। आयोजन गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर, मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वीश्री दीपमाला, शंखनिधि के सान्निध्य में शुक्रवार को किया गया। भद्रबाहू स्वामी ने रचित जैन समाज के प्रमुख 45 आगमों में एक दशाश्रुत स्कंध के अंश कल्पसूत्र की पोथी को दसानियों के चौक के प्रकाश चंद्र पारख के निवास से गाजे बाजे से ढढ्ढा कोटड़ी लाकर गणिवर्य को वाचन के सुपुर्द किया।
पूर्व में प्रकाश चंद-तारादेवी, प्रदीप-जया, लवलीन-माया, विकास व यश पारख ने वासक्षेप से कल्पसूत्र पोथोजी का विधिवत पूजन करवाया। सुगन महाराज का उपासरा ट्रस्ट, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई की ओर से सकल श्रीसंघ के सहयोग से आयोजित चातुर्मास में गुरुवार को चौविहार (बिना अन्न जल ) के 57 दिन की तपस्या पूर्ण करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी तथा अक्षय निधि व अन्य तपस्याएं करने वाले तप के तपस्वियों की अनुमोदना की गई। गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर ने कहा कि कल्पसूत्र देव, गुरु व धर्म के प्रति श्रद्धा व विश्वास रखने तथा माता-पिता की सेवा करने का संदेश देता है। भगवान ऋषभ देव की ओर से स्थापित जैन धर्म, उसके चतुर्विद संघ (साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका) का यह वंदनीय, पूजनीय ग्रंथ है। सनातन धर्म में वेद, पुराण, गीता व रामायण जितना आदर जैन धर्मावलंबियों में कल्पसूत्र का है।
प्रवचन स्थल पर आए श्रावक-श्राविकाओं का गणेश कुमार, दिनेश कुमार श्रीश्रीमाल चैन्नई की ओर से श्रीफल से अभिनंदन किया गया। रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री दीपमाला व शंखनिधि के सान्निध्य में कल्पसूत्र सहित विभिन्न बोलियां लगाई गई। साध्वी दीपमाला ने कहा कि पर्युषण के पर्व के मर्म को समझें। पर्युषण की 8 दिन की साधना, आराधना, परमात्म भक्ति तथा प्रतिक्रमण, सामायिक, जिनालय दर्शन वंदन को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। अभक्ष्य सामग्री, रात्रि भोजन का त्याग करें तथा पाप कर्मों, क्रियाओं से बचे तथा पुण्यों का संचय करें।