‘अमेरिकी दबाव में नहीं झुकेगा भारत, किसानों के साथ कोई समझौता नहीं’, अमित शाह का ट्रंप को सीधा…

अमेरिका के भारतीय वस्तुओं पर नए शुल्क लगाए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को कहा कि भारत, अमेरिका के साथ किसी भी व्यापार समझौते में अपने किसानों या व्यापक राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा. शाह ने कोच्चि में ‘मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव’ में कहा, ‘मोदी जी ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी व्यापार समझौता भारत के हितों से ऊपर नहीं होगा.’
गृह मंत्री ने प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान एक सवाल पर कहा, ‘हमारे लोगों की कीमत पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. किसानों के हितों को खतरे में नहीं डाला जाएगा. हम जो कुछ भी करेंगे, उसमें राष्ट्रहित सर्वोपरि होगा.’
‘पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत बना चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था’
शाह का यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल की खरीद जारी रखने पर भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया है. इससे वस्त्र, समुद्री उत्पाद और चमड़ा निर्यात जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ने की आशंका है.
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत की अर्थव्यवस्था महज एक दशक में दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से छलांग लगाकर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है. उन्होंने इसकी तुलना पिछली कांग्रेस सरकार से की, जिस पर उन्होंने अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार देने का आरोप लगाया.
‘स्वर्ण अक्षरों में अंकित होंगे पीएम मोदी के 11 साल’
शाह ने कहा, ‘जब तक हम शिखर तक नहीं पहुंचते और महान भारत का निर्माण नहीं करते, किसी को आराम करने का अधिकार नहीं है.’ उन्होंने केरल की सत्तारूढ़ वामपंथी पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि राज्य ‘देश के बाकी हिस्सों के साथ तालमेल बिठाने में नाकाम रहा है.’ उन्होंने दावा किया, ‘केरल में अपार अवसर हैं, लेकिन कम्युनिस्ट विचारधारा के कारण आई स्थिरता ने इसके विकास को रोक दिया है.’
अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव के बावजूद, शाह ने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का ध्यान ‘स्थिरता, शांति और विकास’ पर बना हुआ है. उन्होंने कहा, ‘जब इस अवधि का इतिहास लिखा जाएगा तो मोदी के नेतृत्व के ये 11 साल स्वर्ण अक्षरों में अंकित होंगे.’
मणिपुर हिंसा को लेकर क्या बोले अमित शाह?
अमित शाह ने आंतरिक सुरक्षा पर भी बात की. मणिपुर में हाल में हुई हिंसा पर शाह ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ‘अशांति फैलने से पहले छह साल तक शांतिपूर्ण तरीके से’ राज्य पर शासन किया था.
उन्होंने दावा किया, ‘तब कोई हिंसा नहीं हुई थी. हिंसा अदालत के फैसले के बाद शुरू हुई. कांग्रेस जब सत्ता में थी, तब भी हिंसा हुई थी, लेकिन मैं उन्हें दोष नहीं दे रहा, लेकिन अब शांति है. हमने दोनों गुटों से बातचीत की है और शांति लौट रही है. हमारी प्राथमिकता शांति बहाल करना था. मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इसका धर्म से कोई संबंध नहीं है. यह एक जातीय मुद्दा है.’
‘जम्मू कश्मीर में हो रही शांति बहाल’
जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से लगती इसकी सीमा ने लंबे समय से आतंकवादियों के लिए सीमा पार करना आसान बना दिया. उन्होंने दावा किया, ‘पहले, वे स्थानीय लड़कों को आतंकवाद के लिए प्रशिक्षित करते थे, अब स्थानीय भर्ती शून्य है. कोई पत्थरबाजी नहीं हो रही है. हमने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक माहौल बनाया है.’
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने सुरक्षा के मामले में बड़ी प्रगति की है. उन्होंने कहा, ‘हिंसा में भारी कमी आई है. मौतों में 70 प्रतिशत की कमी आई है. सुरक्षा बलों के हताहत होने की संख्या में 74 प्रतिशत की कमी आई है, शांति लौट रही है.’
आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा का इतना वोट प्रतिशत
केरल की राजनीति पर, शाह ने विश्वास जताया कि भाजपा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में 25 प्रतिशत वोट हासिल करेगी और भविष्य में और आगे बढ़कर राज्य में सरकार बनाएगी. उन्होंने सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ दोनों पर ‘भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुए कहा कि विकास के लिए धन पार्टी कार्यकर्ताओं को दे दिया गया.
उन्होंने पूछा, ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) केरल से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात तक फैल गया. अगर मोदी सत्ता में नहीं होते तो केरल सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध नहीं लगाती. क्या स्वार्थ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया जा सकता है?’
केरल के मुख्यमंत्री को बहस के लिए चुनौती
शाह ने अल्पसंख्यकों में भाजपा को लेकर व्याप्त चिंताओं को भी खारिज किया. उन्होंने कहा, ‘देश के दो-तिहाई हिस्से पर वर्तमान में भाजपा और राजग का शासन है. मेरा मानना है कि केरल में अल्पसंख्यक समुदायों की संख्या ज़्यादा नहीं है. उत्तर प्रदेश और बिहार में अल्पसंख्यकों की संख्या ज़्यादा है. 2014 और 2019 में भी इसी तरह के अभियान चलाए गए थे, लेकिन कोई समस्या नहीं हुई.’
उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को आपदा राहत पर सार्वजनिक बहस की चुनौती दी. शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने राज्य को 5,100 करोड़ रुपये दिए हैं, जो पिछली सरकारों की तुलना में कहीं ज़्यादा है. उन्होंने कहा, ‘अगर राज्य को दिया गया पैसा पार्टी कार्यकर्ताओं के पास चला गया तो वह जनता तक नहीं पहुंच पाएगा. आप पिनराई विजयन जी को बुला सकते हैं और मैं इस बात पर खुली चर्चा के लिए तैयार हूं कि संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार और राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए क्या किया?’
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