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मर्चेंट नेवी में नाविकों की मौत और गुमशुदगी पर चिंता, संजय सिंह ने जांच की मांग की

आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बुधवार (20 अगस्त, 2025) को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में भारतीय मर्चेंट नेवी से जुड़े कई गंभीर मामलों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि भारतीय नाविकों की मौतें और गुमशुदगी अक्सर हादसा या आत्महत्या बताकर दबा दी जाती हैं, जबकि इनमें संगठित गड़बड़ी और शोषण की परतें छिपी हैं.

संजय सिंह ने आरोप लगाया कि शिपिंग कंपनियों, समुद्री यूनियनों और डीजी शिपिंग की मिलीभगत से संदिग्ध घटनाओं पर पर्दा डाला जाता है. उन्होंने कहा कि बीमा और वेलफेयर फंड में करोड़ों रुपये की हेराफेरी हो रही है, जो न केवल नाविकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है, बल्कि मर्चेंट शिपिंग एक्ट 1958, RPSL रूल्स 2016 और मैरिटाइम लेबर कन्वेंसन (MLC) 2006 का उल्लंघन भी है.

संजय सिंह ने कई शिपिंग कंपनियों में काम करने वाले नाविकों की साझा की जानकारी

AAP नेता ने जिन मामलों को उजागर किया, उनमें कई कंपनियां शामिल हैं. एंग्लो ईस्टर्न शिप मैनेजमेंट से जुड़े कई गंभीर घटनाक्रम सामने आए. चीफ इंजीनियर संजय चौधरी की मौत को कार्डियक अटैक बताया गया था, जबकि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में जहर और दम घुटने से मौत की पुष्टि हुई. इसी कंपनी के थर्ड ऑफिसर शिवम मलिक की जिब्राल्टर में हुई मौत को आत्महत्या कहा गया, लेकिन भारत की जांच में हत्या की बात सामने आई. इसी कंपनी से जुड़े कैडेट जतिन मिश्रा 2019 से लापता हैं, जिनका कोई पोस्टमार्टम रिकॉर्ड तक उपलब्ध नहीं है.

फ्लीट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े कैडेट धनंजय अरोड़ा साल 2020 से लापता बताए जाते हैं. उनके अंतिम फोटो में यातना के संकेत नजर आते हैं. ओशियन होस्ट शिप मैनेजमेंट में कार्यरत ऑइलर सौरभ पांडेय की मौत समुद्र में गिरने की घटना बताई गई, लेकिन बाद में मिला शव और अनुबंध व बीमा में पाई गई गड़बड़ियों ने इस पर सवाल खड़े किए. वहीं, आउसलैंड शिप मैनेजमेंट से जुड़े कैप्टन विवेक वर्मा का मामला भी चर्चा में आया, जिन्हें 2018 में ईरान में जबरन सर्जरी का सामना करना पड़ा और एक माह बाद उनकी संदिग्ध मौत हो गई.

मामलों ने नजर आ रहा एक साफ पैटर्न- संजय सिंह

संजय सिंह ने कहा, “इन मामलों से एक साफ पैटर्न सामने आता है. फर्जी कंपनियों और एजेंटों का जाल, अनुबंधों में बदलाव और अवैध ट्रांसफर, जहाजों पर यातना और संदिग्ध मौतें, डीजी शिपिंग और यूनियनों की मिलीभगत और बीमा व मुआवजे में गड़बड़ी जैसी बातें बार-बार सामने आई हैं.”

उन्होंने आरटीआई से प्राप्त आंकड़े साझा करते हुए कहा, “1 जनवरी, 2018 से 1 जून, 2022 के बीच 383 भारतीय नाविकों की मौत हुई और 84 नाविक समुद्र में लापता हुए. इनमें से अकेले एंग्लो ईस्टर्न शिप मैनेजमेंट कंपनी में 46 मौतों का रिकॉर्ड दर्ज है, जिनमें कई संदिग्ध पाई गईं.

मृतकों के परिवारों में शीर्ष जांच एजेंसियों से जांच कराने की अपील की- संजय सिंह

सांसद ने कहा, “पीड़ित परिवार लगातार न्याय की मांग कर रहे हैं. उनकी प्रमुख मांगों में स्वतंत्र और समयबद्ध जांच, फर्जी एजेंटों और दोषी कंपनियों पर कार्रवाई, दोषी कंपनियों के लाइसेंस रद्द करना और बीमा क्लेम का तत्काल भुगतान शामिल है. साथ ही, परिवारों ने ईडी, सीबीआई और एनआईए जैसी एजेंसियों से संयुक्त जांच कराने की अपील की है.”

शिपिंग मंत्री से मिलकर करेंगे जांच की मांग

संजय सिंह ने घोषणा की कि वे इस मुद्दे को संसद में जोर-शोर से उठाएंगे और शिपिंग मंत्री से मिलकर औपचारिक रूप से संयुक्त जांच की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि यह मामला केवल नाविकों की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि मानवाधिकार और देश की अंतरराष्ट्रीय साख से भी जुड़ा है.

क्या है कानूनी पहलू

फिलहाल, इन मामलों पर दिल्ली, मुंबई और इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. संजय सिंह के अनुसार, इन घटनाओं में मर्चेंट शिपिंग एक्ट 1958, RPSL रूल्स 2016, मैरिटाइम लेबर कन्वेंशन 2006, इंप्लोइज कम्पेशेसन एक्ट 1923, ISM कोड और सीमेन्स प्रोविडेंट फंड एक्ट 1966 जैसे प्रमुख प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है.

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