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Amit Shah Vs India Alliance Vice President Candidate | Kerala | शाह बोले- विपक्ष के…

कोच्चि4 मिनट पहले

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केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को केरल में मनोरमा न्यूज कॉनक्लेव 2025 को संबोधित किया।

गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को केरल में कहा- विपक्षी गठबंधन के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने नक्सलियों की मदद की थी। उन्होंने ये बातें मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव में कही।

शाह ने कहा,

विपक्ष के प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद को समर्थन देने वाला जजमेंट दिया था। अगर सलवा जुडूम के खिलाफ जजमेंट न होता तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक खत्म हो गया होता। यही व्यक्ति विचारधारा से प्रेरित होकर सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल करते हुए सलवा जुडूम के खिलाफ फैसला देने वाले थे।

गृह मंत्री ने कहा कि केरल नक्सलवाद और उग्रवाद का दर्द झेल चुका है। ऐसे में केरल की जनता जरूर देखेगी कि कांग्रेस पार्टी वामपंथियों के दबाव में आकर कैसे ऐसे प्रत्याशी को चुनती है, जिसने नक्सलवाद का समर्थन करने जैसा काम किया।

2011 का फैसला, जिसका जिक्र शाह ने किया

दरअसल, छत्तीसगढ़ में सरकार ने नक्सलियों से लड़ने के लिए सलवा जुडूम अभियान चलाया था, जिसमें आदिवासी युवाओं को हथियार देकर स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाया गया।

2011 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी की बेंच ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि यह तरीका असंवैधानिक और गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा था कि सरकार का काम नक्सलियों से लड़ने के लिए सुरक्षाबलों को भेजना है, न कि गरीब आदिवासियों को ढाल बनाकर खतरे में डालना। फैसले में आदेश दिया गया कि इन युवाओं से तुरंत हथियार लिए जाएं। सरकार को नक्सलवाद की मूल कारणों पर काम करना चाहिए।

शाह की 4 बड़ी बातें…

  1. RSS का स्वयंसेवक हूं: मैं भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हूं। हम सब मिलकर ऐसे भारत के निर्माण की कल्पना लेकर चल रहे हैं, जिसे पूरा विश्व सम्मान करे और जो विश्व का सबसे समृद्ध राष्ट्र बने। इसके लिए किसी को आराम करने का अधिकार है।
  2. राहुल गांधी संवैधानिक संस्थाओं को शक के दायरे में ला रहे: राहुल गांधी जब से कांग्रेस के मुखिया बने हैं। तब से हर संवैधानिक संस्था को शक के दायरे में खड़ा करने का काम कर रहे हैं। अभी जो SIR की प्रक्रिया चल रही है, वैसी ही 2003 में भी हुई थी, 2006-11 में भी हुई थी और 2017 में भी हुई थी। तब कोई समस्या नहीं थी, तो अब अचानक आपत्ति क्यों?
  3. केजरीवाल जेल चले जाते तो संविधान के 130वें संशोधन की नौबत न आती: मैंने संसद में देश की जनता से सवाल पूछा है कि क्या वे चाहती हैं कि कोई मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? क्या लोग चाहते हैं कि कोई प्रधानमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? यह चर्चा समझ से परे है, क्योंकि यह नैतिकता का सवाल है। पिछले 75 सालों में कई मुख्यमंत्री और मंत्री जेल गए हैं, सबने इस्तीफा दिया है। मगर अब दिल्ली में पहली बार ऐसा हुआ है कि मुख्यमंत्री ने जेल में रहते हुए सरकार चलाई। अब सवाल उठता है कि संविधान बदला जाना चाहिए या नहीं। अगर केजरीवाल इस्तीफा दे देते तो बदलाव की नौबत न आती।
  4. डिलिमिटेशन से दक्षिण के राज्यों से अन्याय नहीं होगा: परिसीमन को लेकर जो आशंका तमिलनाडु में पैदा जा रही है, वह बिल्कुल बेबुनियाद है। यह आशंका केवल इस कारण से उठाई जा रही है कि दक्षिण के राज्यों के साथ अन्याय होगा। हकीकत यह है कि यह तमिलनाडु की जनता का ध्यान वहां हुए बेहिसाब भ्रष्टाचार और स्टालिन की अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की महत्वाकांक्षा से भटकाने की कोशिश है। जब भी डिलिमिटेशन होगा, तब भाजपा की ही सरकार सत्ता में होगी और दक्षिण के राज्यों के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।

9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव होगा

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग होगी। उसी दिन काउंटिंग भी होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। 25 अगस्त तक उम्मीदवारी वापस ली जा सकती है।

NDA ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। इनका मुकाबला विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी से होगा। खास बात है कि दोनों उम्मीदवार दक्षिण से हैं।

दरअसल, उपराष्ट्रपति का चुनाव जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई की रात अचानक इस्तीफा देने की वजह से हो रहा है। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।

उपराष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवारों को जानिए…

NDA के उम्मीदवार का जीतना तय

लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 542 है। एक सीट खाली है। एनडीए के 293 सांसद हैं। वहीं, राज्यसभा में 245 सांसद हैं। 5 सीट खाली हैं। एनडीए के पास 129 सांसद हैं। यह मानते हुए कि उपराष्ट्रपति के लिए नामांकित सदस्य भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे।

इस तरह, सत्तारूढ़ गठबंधन को कुल 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। बहुमत के लिए 391 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। अगस्त 2022 में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे। वहीं विपक्षी उम्मीदवार मार्गेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट मिले थे। तब 56 सांसदों ने वोट नहीं डाला था।

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