Haryana Bhiwani NRI industrialist Lord Swaraj Paul dies in Britain | भिवानी के NRI उद्योगपति का…

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ NRI उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल का फाइल फोटो।
भारतीय मूल के उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल का 94 साल की उम्र में ब्रिटेन में निधन हो गया। उनकी गिनती ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों में होती थी। इसी साल वो Sunday Times Rich List के मुताबिक ब्रिटेन के 81वें नंबर के अमीर थे। 2015 में उनका रैंक 38 वां था। 20
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लॉर्ड स्वराज पॉल का जन्म आजादी से पहले 1931 में अविभाजित पंजाब के जालंधर में हुआ था। आजादी के बाद परिवार हरियाणा के भिवानी के गांव चांग में बस गया। 1960 के दशक में स्वराज पॉल अपनी बेटी के कैंसर का उपचार करवाने के लिए ब्रिटेन गए। 4 साल की बेटी तो नहीं बची, लेकिन वो वहीं बस गए।
उन्होंने बेटी के नाम से अंबिका पॉल फाउंडेशन की स्थापना की। फाउंडेशन के जरिए बच्चों और युवाओं के शिक्षा-स्वास्थ्य सहित अन्य योजनाओं के लिए दान किया। उन्होंने अपने चांग गांव के स्कूल के भवन का निर्माण करवाने के लिए भी दान दिया था।
NRI उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल की फाइल फोटो।
यहां उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल के बारे में जानिए…
- ब्रिटेन के बड़े उद्यमियों में गिनती : लॉर्ड बनने से पहले वे एक सफल उद्योगपति थे, उनकी कंपनी Caparo Group ब्रिटेन की बड़ी औद्योगिक कंपनियों में गिनी जाती थी। वे भारतीय मूल के सबसे प्रभावशाली ब्रिटिश सांसदों में से एक रहे हैं।
- 1996 में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य बने : स्वराज पॉल को 1996 में ब्रिटेन की संसद के ऊपरी सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स (जैस भारत में राज्यसभा) में “लाइफ पीयर” बनाया गया था। “Life Peerage” एक सम्मान होता है, जिसे ब्रिटेन की रानी या राजा की ओर से प्रधानमंत्री की सिफारिश पर प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति को हाउस ऑफ लॉर्ड्स में आजीवन सदस्यता मिलती है। इसके बाद उन्हें “Lord Paul” या औपचारिक रूप से “Baron Paul” के नाम से जाना जाने लगा।
- देश में एपीजे स्कूल-कॉलेज पॉल परिवार की देन : देश भर में एपीजे स्कूल की स्थापना भी पॉल परिवार की ही देन है। एपीजे एजुकेशन सोसाइटी का गठन 1967 में डॉ. सत्य पॉल ने किया था, जो गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी रहे और स्वराज पॉल के पिता थे। दादरी (पहले भिवानी का हिस्सा) में भी एपीजे कॉलेज और स्कूल हैं। फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोहना में भी एपीजे शिक्षण संस्थान हैं।
ये तस्वीरें एक साल पहले की हैं। जब लॉर्ड स्वराज पॉल के पोते आयुष पॉल अपने गांव चांग आए थे। इस दौरान वो स्कूल भी गए, जहां उनके पूर्वजों के नाम का बोर्ड लगा है। साथ ही वो गली-घर भी देखी, जहां उनके पूर्वज रहते थे।
- एक साल पहले गांव आया था पोता : भिवानी के गांव चांग के सरपंच प्रतिनिधि प्रदीप कुमार ने बताया कि लॉर्ड स्वराज पॉल को हमेशा अपने गांव से प्यार रहा। किसी न किसी बहाने मदद की। पहले स्कूल बनवाने में मदद की। चरखी-दादरी (पहले भिवानी का हिस्सा था) में एपीजे स्कूल-कॉलेज बनवाए। एक साल पहले उनके पोते आयुष पॉल गांव चांग में आए थे। उन्होंने गांव का दौरा भी किया था। इस दौरान उन्होंने गांव के राजकीय सीनियर सेकेंडरी कन्या स्कूल के भवन निर्माण के लिए 3 करोड़ रुपए देने की बात कही थी। यह रुपए शिक्षा निदेशालय को दिए गए थे।
- 2007 में MDU के दीक्षांत समारोह में आए, डॉक्टरेट की उपाधि मिली : लॉर्ड स्वराज पॉल ने हरियाणा का दौरा 3 अप्रैल 2007 को किया था। इस दिन वे रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आए। उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा प्रबंधन विज्ञान में डॉक्टरेट की मानद उपाधि (Honorary PhD) प्रदान की गई थी। इस कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल डॉ. ए. आर. किदवाई भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने पॉल से मुलाकात की फोटो सांझा कर दुख जताया
NRI उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट डाली। जिसमें उन्होंने NRI उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल के की एक फोटो भी सांझा की और लिखा- “श्री स्वराज पॉल जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूं। ब्रिटेन में उद्योग, परोपकार और जनसेवा में उनके योगदान, और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए उनके अटूट समर्थन को सदैव याद रखा जाएगा। उनके साथ हुई कई मुलाकातें याद आती हैं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ॐ शांति।”
गांव चांग में शोक की लहर स्वराज पॉल के निधन की सूचना से उनके गांव चांग में भी शोक की लहर फैल गई। ग्रामीणों ने कहा कि वो हमारे गांव के बेटे थे। यहां से हमेशा ही नाता रहा। उनके पोते जब पिछले साल आए तो ग्रामीणों के साथ अपने दादा से जुड़ी बातें पूछी थी। अग्रवाल वैश्य समाज के अध्यक्ष भिवानी निवासी अशोक बुवानीवाला ने लॉर्ड स्वराज पॉल के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा-
यूके में उद्योग, परोपकार और सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए उनके अटूट समर्थन को हमेशा याद किया जाएगा।