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उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, CJI ने…

वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के लिए शुरू किए गए ‘उम्मीद पोर्टल’ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील ने तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा है कि वक्फ बाय यूजर संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के लिए छह महीने का समय दिया गया है. जब सुप्रीम कोर्ट में मामले पर फैसला सुरक्षित है, तब ऐसा करना गलत है.

चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. सीजेआई गवई ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपको रजिस्ट्रेशन करवाने से कोई नहीं रोक रहा है. अभी किसी सुनवाई की जरूरत नहीं. जब फैसला आएगा तो उसमें सभी बातों को शामिल किया जाएगा.

सरकार ने 6 जून को सभी वक्फ संपत्तियों की जियो-टैगिंग के बाद एक डिजिटल सूची बनाने के लिए एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 (उम्मीद) केंद्रीय पोर्टल शुरू किया था.. इस पोर्टल पर पूरे भारत में सभी रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियों का विवरण छह महीने के अंदर अपलोड किया जाना है.

22 मई को सीजेआई बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने वक्फ मामले में तीन प्रमुख मुद्दों पर अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा था. इनमें से एक मुद्दा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में निर्धारित ‘अदालतों द्वारा वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ’ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति से संबंधित है.

शुक्रवार को एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र के पास एक पोर्टल है जो ‘वक्फ बाय यूजर सहित सभी वक्फों के अनिवार्य पंजीकरण’ का आह्वान करता है. वकील ने कहा, ‘हमने निर्देशों के लिए एक अंतरिम आवेदन दायर करने की मांग की, लेकिन (सुप्रीम कोर्ट) रजिस्ट्री यह कहते हुए इसकी अनुमति नहीं दे रही है कि फैसला पहले ही सुरक्षित रखा जा चुका है.’

मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, ‘हमने इस मामले में आदेश पहले ही सुरक्षित रख लिया है.’ वकील ने कहा कि समस्या यह है कि समय बीत रहा है और केंद्र ने संपत्तियों के पंजीकरण के लिए छह महीने का समय दिया है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘आप इसे पंजीकृत करें… कोई भी आपको पंजीकरण से मना नहीं कर रहा है.’ उन्होंने कहा कि इस पहलू पर बाद में विचार किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों की अधिसूचना रद्द करने और राज्य वक्फ बोर्ड्स और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना समेत विभिन्न मुद्दों पर फैसला सुरक्षित रखा.

तीसरा मुद्दा उस प्रावधान से संबंधित है जिसके अनुसार, जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा. केंद्र ने इस अधिनियम का पुरजोर बचाव करते हुए कहा है कि वक्फ अपने स्वभाव से ही एक ‘धर्मनिरपेक्ष अवधारणा’ है और इसके पक्ष में ‘संवैधानिकता की धारणा’ को देखते हुए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती.

(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)

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