राजनीति

cp radhakrishnan election as vice president is almost certain

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में अब सरकार और विपक्ष के प्रत्याशियों के मध्य मुकाबला होना तय हो गया है। सरकार द्वारा सीपी राधाकृष्णनको प्रत्याशी बनाए जाने के बाद इंउी ब्लाक ने भी सुप्रीम कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इस बार उपराष्ट्रपति के पद के दोनों ही प्रत्याशी एक ही प्रान्त तमिलनाडु से आते हैं। कांग्रेस व विरोधी दलों को लगा कि अगर एनडीए प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन देश के नये उपराष्ट्रपति बन जाते हैं तो फिर भारतीय जनता पार्टी राधाकृष्णन के माध्यम से दक्षिण विशेषकर तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक जमीन को सशक्त करने का प्रयास करेगी क्योंकि जब बीजेपी ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को अपना प्रत्याशी बनाया था तब भाजपा को राजस्थान में राजनैतिक लाभ हुआ था और वहां उसकी सत्ता में वापसी हो गई थी। अब भाजपा ने सीपी राधाकृष्णन को अपना प्रत्याशी बनाकर तमिलनाडु की जनता व कार्यकर्ताओं को यही संदेश दिया है। 

कौन है सीपी राधाकृष्णन- संसद के दोनों सदनों के वर्तमान अंकगणित के अनुसार एनडीए प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन का विजयी होना सुनिश्चित है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं तथा दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं। सीपी राधाकृष्णन मात्र 16 वर्ष की अवस्था में ही 1974 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर समाज सेवा के कार्यों में लग गए और बाद में उनके राजनैतिक जीवन का आरम्भ हुआ। सीपी राधाकृष्णन कुछ समय तक झारखंड के भी राज्यपाल रहे, वह झारखण्ड राज्य के सभी जिलों का दौरा करने वाले राज्यपाल हैं। सीपी राधकृष्णन तेलंगना के राज्यपाल व पुडडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल चुके हैं। सी पी राधाकृष्णन तमिलनाडु की राजनीति में 40 वर्ष तक सक्रिय रहे जिसका प्रतिफल अब उन्हें उपराष्ट्रपति पद के रूप में मिलने जा रहा है। 

इसे भी पढ़ें: सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी से कई हित सधेंगे

वह 1996 में भाजपा तमिलनाडु के सचिव नियुक्त हुए। 2004 में संयुक्तराष्ट्र महासभा में संसदीय प्रतिनिधमंडल के हिस्से के रूप में भाषण दिया और ताइवान की पहली संसदीय यात्रा में शामिल हुए। वह 2020 से 2022 तक केरल बीजेपी प्रभारी भी रहे। सीपी राधाकृष्णन एक बहुत अनुभवी तथा जमीनी कार्यकर्ता हैं जिन्हें इतना बड़ा उत्तरदायित्व प्राप्त हो रहा है। 

सीपी राधाकृष्णन ने तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए सभी भारतीय नदियों को जोड़ने, आतंकवाद को मिटाने, समान नागरिक संहिता लागू करने, छुआछूत समाप्त करने और नषे के खतरे से निपटने जैसी मांगो को लेकर 93 दिनों में 19 हजार किमी लंबी रथयात्रा निकाली थी। माना जा रहा है कि भाजपा ने इस बार वैचारिक पृष्ठभूमि के नेता को प्राथमिकता दी है जिसका लाभ उसे दक्षिण की आगामी राजनीति में मिल सकता है।

चुनावी राजनीति की दृष्टि से देखा जाए तो सीपी राधाकृष्णन के ओबीसी समाज से होने का लाभ भी बीजेपी को दक्षिण राज्यों के चुनावों में मिल सकता है। भाजपा अब कांग्रेस तथा विपक्ष के खिलाफ इस बात का माहौल भी बनाने का प्रयास करेगी कि विपक्ष ने ओबीसी समाज के प्रत्याशी को उपराष्ट्रपति बनने से रोकने का प्रयास किया यद्यपि बीजेपी प्रत्याशी का जीतना तय है क्योकि उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए 392 वोट चाहिए जबकि एनडीए के पास 422 वोट हैं।

उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी चयन करते समय भी कांग्रेस व विपक्ष की दोहरी मानसिकता बेनकाब हो गई है क्योकि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने रामजन्मभूमि मंदिर का फैसला सुनाने वाले एक जज को राज्यसभा में भेजा था और एक को राज्यपाल बनाया था तब विपक्ष ने रिटायर्ड हो चुके जजों की नियुक्तियों का विरोध किया था और अब स्वयं ही एक रिटायर्ड जज को प्रत्याशी बना रही है।

– मृत्युंजय दीक्षित

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button