राज्य

Petition challenging suspension of Nohar Nagarpalika president Khatotia dismissed | नोहर…

करीब एक महीने पहले भी हाईकोर्ट से निलंबन रद्द होने के बाद कार्यभार नहीं मिलने पर मोनिका खटोतिया समर्थक पार्षदों ने दिया था धरना। (फाइल फोटो)

राजस्थान हाईकोर्ट ने नोहर नगरपालिका बोर्ड की चेयरपर्सन मोनिका खटोतिया के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस सुनील बेनीवाल की कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अवैध पट्टा जारी करने के गंभीर आरोपों के चलते निलंबन सही है। कोर्ट न

.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गंभीर आरोपों को देखते हुए राज्य सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। निलंबन केवल अस्थायी स्थिति से वंचित करना है, यह कोई दंड नहीं है। दुराचार और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के दौरान आमतौर पर निलंबन का सहारा लिया जाता है। इस मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप की कोई विशेष परिस्थिति नहीं दिखी।

उल्लेखनीय है कि, मोनिका खटोतिया 31 जनवरी 2021 को नोहर नगरपालिका बोर्ड की चेयरपर्सन चुनी गई थीं। उनके खिलाफ 2023 में बोर्ड के दिन-प्रतिदिन के कामकाज और पट्टे जारी करने में अनियमितताओं को लेकर दो एफआईआर दर्ज हुई थीं। हालांकि, जांच में दोनों में पुलिस ने नेगेटिव फाइनल रिपोर्ट दी थी, लेकिन 11 अक्टूबर 2023 की एफआईआर के आधार पर विभाग ने 6 फरवरी 2024 के आदेश से उन्हें निलंबित करने का प्रस्ताव रखा था।

तीसरी बार निलंबन की कार्रवाई

यह मोनिका खटोतिया के खिलाफ निलंबन की तीसरी कोशिश थी। पहली कोशिश एफआईआर के आधार पर की गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी और बाद में पुलिस ने नेगेटिव रिपोर्ट दी। दूसरी जांच न्यायिक अधिकारी द्वारा की गई, जिसमें 17 जून 2025 को आरोप सिद्ध नहीं हुए। तीसरी जांच वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष हाज़न खातुन टाक की 7 अप्रैल 2025 की शिकायत के बाद शुरू हुई।

गत 19 मई को डिप्टी डायरेक्टर (विजिलेंस) ने जांच का आदेश दिया और चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 3 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके आधार पर 7 जुलाई को चार आरोप लगाकर खटोतिया से स्पष्टीकरण मांगा गया। मोनिका खटोतिया ने तीन दिन के बजाय 30 दिन का समय मांगा, लेकिन 11 जुलाई के आदेश से उन्हें निलंबित कर न्यायिक जांच का आदेश दे दिया गया।

पट्‌टा मांगा 410 वर्ग फीट का, दिया 1479 वर्ग फीट का

कोर्ट के फैसले के अनुसार मोनिका खटोतिया पर गंभीर आरोप हैं। एक मामले में फाइल में अंतरिम आदेश का स्पष्ट उल्लेख होने के बावजूद पट्टा जारी किया गया। दूसरे मामले में आवेदक ने केवल 410 वर्ग फुट का आवेदन दिया था, लेकिन 1,479 वर्ग फुट का पट्टा जारी किया गया। खसरा नंबर 391/9 के प्लानिंग एरिया से बाहर भी पट्टा जारी करने का आरोप है। इसके अलावा 17 मार्च 2023 को कथित रूप से जारी किए गए पट्टे की मूल फाइल रिकॉर्ड से गायब है, जिसके लिए एफआईआर भी दर्ज करवाई गई।

सरकार की दलील- जांच शुरू करने पर निलंबन का पूरा अधिकार

एडिशनल एडवोकेट जनरल राजेश पंवार ने राजस्थान मुनिसिपैलिटीज एक्ट 2009 की धारा 39(6) का हवाला देकर कहा कि राज्य सरकार को धारा 39(1) के तहत जांच शुरू करने पर सदस्य या चेयरपर्सन को निलंबित करने का पूरा अधिकार है। निर्मल पिटलिया बनाम राजस्थान राज्य मामले में हाईकोर्ट की समन्वय पीठ के फैसले का हवाला देकर यह स्थिति स्पष्ट की गई।

चुनी हुई प्रतिनिधि होने का तर्क खारिज

मोनिका खटोतिया के वकील मोतीसिंह ने तर्क दिया था कि वे जनादेश से चुनी गई प्रतिनिधि हैं और राज्य अधिकारी अपनी मर्जी से उन्हें हटा नहीं सकते। इसके लिए मकरंद बनाम महाराष्ट्र राज्य, गीता देवी नरूका बनाम राजस्थान राज्य, विमला देवी बनाम राजस्थान राज्य और अन्य मामलों का हवाला दिया गया था।

हालांकि कोर्ट ने स्वीकार किया कि मोनिका खटोतिया एक चुनी हुई प्रतिनिधि हैं और जनादेश रखती हैं, लेकिन जब गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगते हैं, तो राज्य सरकार को पूरा अधिकार है कि वह जांच कराए और उसे तार्किक अंत तक ले जाकर जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई करे।

नकारात्मक समानता का दावा खारिज

याचिकाकर्ता द्वारा तर्क दिया गया था कि पट्टे जारी करने की प्रक्रिया में अन्य अधिकारी भी शामिल थे, लेकिन केवल उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। जस्टिस बेनीवाल ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति या अधिक लोगों द्वारा अपनी शक्ति और पद का दुरुपयोग करके अवैध रूप से पट्टे जारी करने में कोई गलती हुई है, तो याचिकाकर्ता इस आधार पर छूट का दावा नहीं कर सकती कि अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी नागरिक अनुच्छेद 14 के तहत ‘नकारात्मक समानता’ का दावा नहीं कर सकता। यदि अन्य अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी कानून के अनुसार कार्रवाई होगी।

सरकार को निर्देश: अवैध पट्‌टे जारी करने में उचित कार्रवाई करे

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि यदि अवैध पट्टे जारी करने में अन्य अधिकारी भी शामिल पाए जाएं, तो उनके खिलाफ भी कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए। चूंकि यह मामला एक चुनी हुई सदस्य से संबंधित है, इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ शुरू की गई जांच कार्यवाही को जल्द से जल्द, अधिमानतः आज से दो महीने की अवधि में पूरा किया जाए।

कमेटी की रिपोर्ट में विसंगति

कोर्ट ने पाया कि प्रारंभिक शिकायत केवल कार्यकारी चेयरपर्सन खातून के कार्य में बाधा डालने के संबंध में थी, लेकिन जांच कमेटी ने अन्य पांच शिकायतों को भी शामिल कर लिया। हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने इसे दुर्भावनापूर्ण बताया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि राजस्थान मुनिसिपैलिटीज एक्ट 2009 की धारा 39(2) के अनुसार राज्य सरकार अपनी पहल पर, मुनिसिपैलिटी से रिपोर्ट मिलने पर या अन्यथा तथ्यों की जानकारी मिलने पर कार्रवाई कर सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button