Leopard was not caught even after 9 hours of search operation | 9 घंटे के सर्च-ऑपरेशन में भी…

.
जयपुर के गोपालपुरा पुलिया के नजदीक गुरुवार रात फैक्ट्री में पहुंच लेपर्ड एक बार फिर नाले की मदद से एमएनआईटी और स्मृति वन की और निकल गया है। शुक्रवार सुबह वन विभाग के अधिकारियों को लेपर्ड के फुटप्रिंट मिले हैं। जिसके बाद फॉरेस्ट की टीम ने एमएनआईटी और स्मृति वन में सर्च ऑपरेशन शुरू किया है।
वन विभाग की सर्च टीम को फैक्ट्री में मिले लेपर्ड के फुटप्रिंट।
वन विभाग के कर्मचारियों का अनुमान है कि लेपर्ड जिस रास्ते से आया था, उसी से वापस चला गया है। इसके बाद कंपनी में काम करने की अनुमति दे दी गई है। हालांकि एहतियातन सुरक्षा बढ़ाते हुए कंपनी के अधिकारियों ने दुपहिया वाहनों से जाने वाले कार्मिकों का प्रवेश रोका हुआ है। सुरक्षा को देखते हुए दोपहिया चालकों को कर में बिठाकर कंपनी के अंदर छोड़ा जा रहा है। साथ ही सभी वर्कशॉप और ऑफिसेज के शटर बंद करके काम किया जा रहा है।
लेपर्ड एक बार फिर गोपालपुरा पुलिया के नजदीक बनी फैक्ट्री से नाले के रास्ते MNIT और स्मृति वन की तरफ गया है।
दरअसल, गुरुवार शाम 4:15 से 4:30 के बीच NBC की स्पेशल इंजीनियरिंग फैक्ट्री के कर्मचारियों ने लेपर्ड को पहली बार देखा था। इसके बाद वन विभाग की टीम को सूचना दी गई। वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। इसके बाद देर रात तक लेपर्ड को रेस्क्यू करने का ऑपरेशन जारी रखा गया। हालांकि रात के अंधेरे में ट्रेंकुलाइज करना संभव नहीं था। इसलिए लेपर्ड की मूवमेंट पर नजर रखी गई। सुबह भी वन विभाग की टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया। लेकिन अब लेपर्ड फैक्ट्री से निकल MNIT और जलधारा के रस्ते स्मृति वन की और निकल चुकी है।
लेपर्ड गोपालपुरा पुलिया के नजदीक हिम्मत नगर में NBC की स्पेशल इंजीनियरिंग फैक्ट्री में आया था।
क्षेत्रीय वन अधिकारी जयपुर प्रादेशिक जितेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि गोपालपुरा पुलिया के नजदीक फैक्ट्री में गुरुवार शाम लेपर्ड आने की सूचना मिली थी। इसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने भी लेपर्ड मूवमेंट देखा था। इसके बाद हमने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। लेकिन तब तक लेपर्ड झाड़ियां में जाकर छिप गया। देर रात डेढ़ बजे के करीब हमें लेपर्ड एक बार फिर नजर आया। लेकिन घना अंधेरा होने की वजह से वह हमारी पकड़ में नहीं आ पाया। इसके बाद देर रात तक सर्च ऑपरेशन जारी रहा हमने वहां पिंजरा भी लगाया। लेकिन लेपर्ड पिंजरे की गिरफ्त में नहीं आ पाया।
9 घंटे तक वन विभाग के अधिकारियो और कर्मचारियों ने लेपर्ड को ढूढ़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया था।
शुक्रवार सुबह जब वन विभाग के कर्मचारी लेपर्ड को ढूंढने की कोशिश में जुटे। तब हमें वहां लेपर्ड के कुछ फुटप्रिंट मिले। जिसे देख लगता है कि लेपर्ड फैक्ट्री एरिया के नजदीक रेलवे ट्रैक के पास से निकलने वाले नाले में से होकर MNIT और जलधारा के रस्ते स्मृति वन की तरफ आगे गया है। जिसे ढूंढने के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम पूरी तरह एक्टिव है।
बता दें कि एमएनआईटी में पूजा नाम की लेपर्ड पहले से रहती है। यह मादा लेपर्ड उसी की बेटी बताई जा रही है। इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि फैक्ट्री में आई मादा लेपर्ड वापस एमएनआईटी में चली गई है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार फैक्ट्री में पहुंची मादा लेपर्ड अभी मेच्योर नहीं है। इसलिए उसे अंदाजा नहीं है कि क्या करना है। इसी वजह से वह रास्ता भटक कर गोपालपुरा बाईपास तक पहुंच गई थी।