Team India’s sponsor Dream-11 is winding down its real money business | टीम इंडिया की स्पॉन्सर…

नई दिल्ली3 मिनट पहले
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सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है।
भारत की सबसे बड़ी फैंटेसी गेमिंग कंपनी ड्रीम11 अपने रियल मनी गेमिंग (RMG) कारोबार बंद करने जा रही है। यह फैसला भारत सरकार द्वारा हाल ही में पास किए गए ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के बाद लिया गया है। इस बिल के तहत ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ड्रीम11 की पैरेंट कंपनी ड्रीम स्पोर्ट्स ने यह जानकारी अपने कर्मचारियों को 20 अगस्त को एक इंटरनल टाउनहॉल मीटिंग में दी।
ड्रीम11 भारतीय क्रिकेट टीम और IPL जैसे बड़े टूर्नामेंट्स का प्रमुख स्पॉन्सर रहा है। ऐसे में ये भी खबरें है कि टीम इंडिया एशिया कप में बिना स्पॉन्सर के खेलेगी।
21 अगस्त 2025 को राज्यसभा ने और उससे एक दिन पहले लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दी।
इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था। अब ये बिल राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा और फिर ये कानून बन जाएगा।
ड्रीम 11 की 67% कमाई रियल मनी सेगमेंट से
ड्रीम11 का रियल मनी गेमिंग सेगमेंट कंपनी की कुल कमाई का 67% हिस्सा था। यानी, कंपनी की ज्यादातर कमाई फैंटेसी क्रिकेट जैसे गेम्स से आती थी, जहां यूजर्स पैसे लगाकर अपनी टीमें बनाते थे और जीतने पर कैश प्राइज पाते थे। लेकिन नए बिल के तहत ये गेम्स अब गैरकानूनी हो गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के सीईओ हर्ष जैन ने कर्मचारियों को बताया कि नए कानून के तहत रियल मनी गेमिंग को जारी रखने का कोई कानूनी रास्ता नहीं है। इस वजह से ड्रीम11 ने अपने इस कोर बिजनेस को बंद करने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी अब अपने नॉन-रियल मनी गेमिंग वेंचर्स पर फोकस करेगी।
इसमें स्पोर्ट्स ड्रिप और फैनकोड शामिल है। इसके अलावा, कंपनी अपनी दूसरी इनवेस्टमेंट्स जैसे विलो टीवी और क्रिकबज को बढ़ाने और विदेशी बाजारों में विस्तार पर ध्यान देगी।
ऑनलाइन गेमिंग बिल में 4 सख्त नियम
इस बिल में कहा गया है कि चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक लगेगी।
- रियल-मनी गेम्स पर रोक: कोई भी मनी बेस्ड गेम ऑफर करना, चलाना, प्रचार करना गैरकानूनी होगा। ऑनलाइन गेम खेलने वालों को कोई सजा नहीं होगी।
- सजा और जुर्माना: अगर कोई रियल-मनी गेम ऑफर करता है या उसका प्रचार करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। विज्ञापन चलाने वालों को 2 साल की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
- रेगुलेटरी अथॉरिटी: एक खास अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलेट करेगी, गेम्स को रजिस्टर करेगी और ये तय करेगी कि कौन सा गेम रियल-मनी गेम है।
- ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: पबजी और फ्री फायर जैसे ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को सपोर्ट किया जाएगा। ये गेम्स बिना पैसे वाले होते हैं इसलिए इन्हें बढ़ावा मिलेगा।
मनी बेस्ड गेमिंग से आर्थिक नुकसान हो रहा
सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। कुछ लोग गेमिंग की लत में इतना डूब गए कि अपनी जिंदगी की बचत तक हार गए और कुछ मामलों में तो आत्महत्या की खबरें भी सामने आईं।
इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी चिंताएं हैं। सरकार इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहती है।
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “ऑनलाइन मनी गेम्स से समाज में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है। इनसे नशा बढ़ रहा है, परिवारों की बचत खत्म हो रही है।
अनुमान है कि करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और मिडिल-क्लास परिवारों के 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।” उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है।
ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से
भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता है। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी।
लेकिन इस बैन से ड्रीम 11, गेम्स 24×7, विंजो, गेम्सक्राफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां मुश्किल में पड़ सकती हैं। इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है।