Health workers will go door-to-door for patients requiring lifelong care | अब मरीजों की देखभाल…

गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए अब हॉस्पिटल नहीं जाना पड़ेगा। सरकारी नर्सिंगकर्मी घर जाकर उनकी देखभाल (पैलिएटिव केयर) करेंगे।
.
बीपी-शुगर चेक करने से लेकर दवा-पानी और उनकी डाइट तक चेक करेंगे। किसी मरीज को स्पेशल एक्सरसाइज की जरूरत होने पर फिजियोथेरेपिस्ट घर जाएगा।
घर के किसी सदस्य को उनकी देखभाल के लिए ट्रेनिंग भी देंगे। वहीं, जिस डॉक्टर के पास मरीज का इलाज चल रहा है, वे समय-समय पर खुद फॉलोअप लेंगे।
यह सुविधा केवल उन मरीजों को दी जाएगी, जिन्हें वृद्धावस्था में पार्किंसन, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ रहा है और उन्हें आजीवन देखभाल की जरूरत है।
स्वास्थ्य विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ जिलों में यह सुविधा शुरू भी कर दी है। इसे जल्द ही पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
इस रिपोर्ट में पढ़िए– मरीजों के लिए डे-केयर की यह योजना क्या है? कैसे यह सुविधा मिलेगी? किस तरह की बीमारियों से ग्रसित मरीज इस सुविधा का लाभ ले पाएंगे?
सबसे पहले जानते हैं किन बीमारियों के मरीजों को केयर मिलेगी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस नवाचार के तहत वृद्धावस्था की स्थिति जैसे- अल्जाइमर रोग, मस्तिष्क पक्षाघात (ब्रेन स्ट्रोक) या जन्म दोष वाले बच्चे, कैंसर, एचआईवी, हार्ट-लंग्स और किडनी जैसे अंगो का फैल हो जाना, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल रोग जैसे- पार्किंसन रोग, स्ट्रोक या रीढ़ की हड्डी में चोट के मरीजों को घर पर केयर की सुविधा मिलेगी।
आजीवन देखभाल वाले मरीजों के लिए की देखभाल के लिए स्वास्थ्यकर्मी घर-घर पहुंचेंगे।
दरअसल, इनमें भी कई रोग ऐसे हैं जिनका गंभीर होने के बाद भी इलाज होना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे मरीजों की घर पर देखभाल करना ही आखिरी विकल्प होता है। लगातार रेस्ट के चलते ऐसे मरीजों को कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं।
ऐसे मरीजों को दवाई देने के साथ ही खाना-पीना, असहनीय दर्द, सांस में तकलीफ, बार-बार ड्रिप लगाना और अन्य कई ऐसी देखभाल की जरूरत होती, जो मरीज के परिजनों के लिए भी आसान नहीं होती है। ऐसे मरीजों के लिए पैलिएटिव केयर की शुरुआत की गई है।
कैसे मिलेगी मरीजों को ये सुविधा, जानते हैं पूरी प्रोसेस?
स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी जिला अस्पतालों में पैलिएटिव केयर क्लिनिक स्थापित किए गए हैं। जहां ओपीडी सेवाओं के अलावा डे केयर-इनडोर सेवाएं और होम बेस्ड केयर की सेवाएं उपलब्ध हैं। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए जरूरी स्टेप्स….
- सबसे पहले गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का पैलिएटिव केयर क्लिनिक में जाकर ओपीडी रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
- रजिस्ट्रेशन के बाद डॉक्टर ओपीडी के दौरान मरीज को चेक करेगा, पर्ची पर जरूरत की दवाएं लिखकर देगा।
- पैलिएटिव केयर क्लिनिक में तैनात कर्मचारी ऐसे मरीजों का डेटा बैस तैयार करेंगे।
- गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों, जिन्हें डे-केयर की जरूरत है, उनकी जानकारी को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) से साझा किया जाएगा।
- सीएमएचओ के निर्देश पर जरूरत के अनुसार दो नर्सिंगकर्मी-एक फिजियोथेरेपिस्ट मरीज के घर जाएंगे, जहां मरीजों की जरूरी देखभाल करेंगे।
मरीजों के घर जाकर उनकी देखभाल के लिए सभी जिलों को एक वाहन भी स्वीकृत किया गया है। मरीज शहर के जिस एरिया में रहता है, वहां तैनात एएनएम, आशा सहयोगिनी और कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर को भी मरीज के घर जाना होगा। जो समय समय पर मरीज का फॉलोअप देंगे।
जो मरीज अस्पताल जाने में सक्षम नहीं हैं, उनकी देखभाल के लिए हर जिले में टीम बनाई गई है। टीम में एक नॉन स्पेशलिस्ट डॉक्टर को भी शामिल किया गया है।
डॉक्टर-नर्सिंगकर्मियों को किया गया ट्रेंड
गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों की पैलिएटिव केयर के लिए नॉन स्पेशलिस्ट डॉक्टर, नर्सिंगकर्मी और पैरामेडिकल स्टाफ को स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जोधपुर एम्स में सभी को ट्रेनिंग दी जा रही है।
जन स्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया…
पैलिएटिव केयर योजना में गंभीर मरीजों के लिए हर जिले में एक टीम बनाई गई है। इसमें एक डॉक्टर के अलावा नर्सिंग कर्मियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा आशा, ANM और कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर को भी प्रशिक्षित किया गया है। जो मरीजों के घर जाकर केयर उपलब्ध कराते हैं।
मरीज के परिजनों को देंगे बीपी चैक करने से लेकर पूरी देखभाल की ट्रेनिंग
इस नवाचार की खास बात यह है कि मरीज के परिजनों को भी बेसिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। ट्रैंड नर्सिंगकर्मी मरीज के परिवार के ही जिम्मेदार व्यक्ति को देखभाल करने के टिप्स देंगे। कैसे दवाएं देनी है, कैसे ध्यान रखना है, बीपी कैसे चेक करना है समेत अन्य बेसिक जरूरतों से अवगत कराएगा। इनमें है….
एंड ऑफ लाइफ केयर (End of Life Care – EOLC) : यह एक प्रकार की स्वास्थ्य देखभाल है जो मृत्यु के करीब पहुंच रहे व्यक्ति को शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक सहायता प्रदान करती है, ताकि रोगी आराम से, सम्मानपूर्वक और अपनी इच्छाओं के अनुसार जीवन जी सके।
न्यूट्रीशियन एडवाइस : मरीज के कितनी केलरी का भोजन देना है, क्या खिलाना है और क्या नहीं, सब कुछ बताएंगे।
फिजिकल और मेंटल सिंपटम्स का आकलन : मरीज के शरीर में आने वाले बदला, किस वक्त मरीज को किस सहायता की जरूरत है, इसके बारे में ट्रेंड करेंगे।
बीपी-शुगर और टेंपरेचर असेसमेंट : गंभीर बीमारियों के मरीजों का ब्लड प्रेशर, डायबिटीज चेकअप और बॉडी का टेंपरेचर नापने जैसी बेसिक ट्रेनिंग।
एनजी ट्यूब इंसर्टेशन : इसका उपयोग उन व्यक्तियों को तरल आहार या दवाएं देने के लिए किया जाता है, जिन्हें मुंह से खाने या निगलने में कठिनाई होती है। उन्हें नाक से एक ट्यूब डालकर खाना पहुंचाया जाता है।
इसके अलावा गंभीर हालत के रोगियों को भावनात्मक सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। घाव के लिए भी बहुत केयर करनी पड़ती है। यहां तक कि बेड पर लेटे-लेटे नहलाना, मुंह की केयर कैसे करनी है, इसके बारे में भी ट्रेनिंग दी जाएगी।
….
हेल्थ से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए…
जयपुर के SMS हॉस्पिटल में फ्री में हुआ बोनमैरो ट्रांसप्लांट, अब नहीं चढ़वाना होगा ब्लड
जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (SMS) में एक अप्लास्टिक एनिमिया से पीड़ित महिला का सफल बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया गया। हेमेटोलॉजी क्लिनिकल डिपार्टमेंट की नई यूनिट में यह ट्रांसप्लांट किया गया। पूरी खबर पढ़िए…