If found innocent, the government employee will have to pay salary for the entire period of…

अगर कोई सरकारी कर्मचारी किसी अपराध में बरी हो जाता है तो उस कर्मचारी को जेल में बिताई गई अवधि का वेतन और समस्त परिलाभ देय होंगे। यह आदेश राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल हरभजन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
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जस्टिस आनंद शर्मा की एकलपीठ ने कांस्टेबल के दुष्कर्म और एससी-एसटी एक्ट के मामले में बरी होने पर उसके न्यायिक अभिरक्षा में बिताए गए करीब 2 साल का वेतन और समस्त परिलाभ देने का आदेश दिया।
वहीं इस अवधि का अवैतनिक अवकाश मानने के विभाग के आदेश को भी रद्द कर दिया।
करीब 23 साल बाद देना होगा बकाया वेतन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने अदालत को बताया कि कांस्टेबल को 21 अगस्त 2000 को गिरफ्तार किया गया। वहीं उसी दिन विभाग ने उसे निलंबित कर दिया। मामले में चार्जशीट फाइल होने के बाद ट्रायल कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर उसे 1 अगस्त 2002 को बरी कर दिया।
इसी आधार पर विभाग ने 11 सितम्बर 2002 को याचिकाकर्ता का निलंबन भी रद्द कर दिया। लेकिन विभाग ने 21 अगस्त 2000 से 1 अगस्त 2002 तक की अवधि को उसे अनुपस्थित मानते हुए अवैतनिक अवकाश में बदल दिया। जिसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।