‘असम में मुसलमानों पर अत्याचार हो बंद, CM पर हो कार्रवाई’, जमीयत उलेमा ए हिंद की अपील

जमीयत उलेमा ए हिंद की कार्यकारी समिति की बैठक बुधवार (20 अगस्त, 2025) शाम को ऑनलाइन आयोजित की गई थी, जिसमें देशभर से जमीयत उलेमा ए हिंद की कार्यकारी समिति के सदस्यों ने जूम ऐप के माध्यम से भाग लिया.
इस सभा में असम की मौजूदा परिस्थितियों पर चर्चा हुई और कार्यकारी समिति ने देश की संवैधानिक संस्थाओं विशेषकर भारत की राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश से मांग की है कि असम के मुख्यमंत्री को तत्काल बर्खास्त किया जाए और उनके विरुद्ध हेट स्पीच के मामले दर्ज किए जाएं.
असम में अमानवीय, अन्नयायपूर्ण व्यवहार
कार्यकारी समिति से पारित प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि जमीयत उलेमा ए हिंद किसी भी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का समर्थन नहीं करती, लेकिन बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि असम में अमानवीय, अन्नयायपूर्ण व्यवहार, धर्म के आधार पर भेदभाव और घृणात्मक बयानों ने बेदखली की. इस पूरी प्रक्रिया को मानवीय सहानुभूति और न्याय के दायरे से बाहर कर दिया है.
असम के मुख्यमंत्री का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि हम केवल मियां-मुसलमानों को बेदखल कर रहे हैं, इस बात का प्रमाण है कि यह कार्रवाईयां मुस्लिम दुश्मनी की भावना पर आधारित हैं. इसका एक गंभीर उदाहरण यह भी है कि अब तक विस्थापित किए गए पचास हजार से अधिक परिवार शत-प्रतिशत मुसलमान हैं. यह रवैया न केवल भारत के संविधान के विपरीत है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देशों का भी खुला उल्लंघन है.
उजाड़े गए परिवारों को सरकार दे आवास
कार्यकारी समिति ने यह भी मांग की है कि अब तक उजाड़े गए सभी परिवारों के लिए सरकार तत्काल वैकल्पिक आवास और पुनर्वास की व्यवस्था करे. बेदखली की किसी भी कार्रवाई से पहले पारदर्शी और निष्पक्ष सर्वेक्षण कराया जाए, सभी कानूनी आवश्यकताओं व मानवीय मूल्यों का पूरा सम्मान किया जाए. मंत्रियों और सरकारी प्रतिनिधियों की ओर से भेदभावपूर्ण और घृणा-आधारित बयानों पर तत्काल रोक लगाई जाए.
कार्यकारी समिति की बैठक जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें फिलिस्तीन में जारी नरसंहार जैसे वर्तमान समय के सुलगते हुए विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की गई और महत्वपर्ण फैसले किए गए.
फिलिस्तीन में जारी नरसंहार को लेकर जताई चिंता
कार्यकारी समिति ने फिलिस्तीन में जारी नरसंहार और अमानवीय अत्याचारों पर गहरा दुःख और शोक व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग एक लाख लोगों की हत्या और आम नागरिकों का भूख-प्यास से मरना आतंकवाद के अत्यंत घिनौने उदाहरण हैं. इसके अलावा, ‘ग्रेटर इजराइल’ का उकसावा और गाजा पर पूर्ण कब्जे की घोषणा फिलिस्तीन को मिटाने और शेष भूमि पर कब्जा करने की साजिश है.
उन्होंने कहा कि गाजा में लंबी घेराबंदी और सहायता प्रतिबंधों ने लाखों निर्दोष लोगों को मौत की कगार पर ला खड़ा किया है. खाने-पीने की वस्तुएं, दवा और बुनियादी जरूरतों की आपूर्ति को रोकना मानवीय सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है.
इजरायल का करें मजबूर, मार्गों को खोले
जमीयत उलेमा ए हिंद ने अरब जगत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि इजरायली आक्रमकता के विरुद्ध एकजुट हों, उसकी विस्तारवादी योजनाओं को विफल करें, पवित्र स्थलों की रक्षा करें और इजरायल को मजबूर करें कि वह मार्गों को खोले, सहायता सामग्री की मुक्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और युद्धविराम का पालन करे. जमीयत ने चेताया है कि विश्व शक्तियों की निष्क्रियता और अधिक अपराधों को और बढ़ावा देती है.
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