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दिल्ली-NCR से आवारा कुत्तों को हटाने को लेकर दाखिल हुई एक और याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों…

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (21 अगस्त, 2025) को आवारा कुत्तों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. यह याचिका आवारा कुत्तों को उठाने के संबंध में दिल्ली नगर निगम (MCD) की ओर से जारी अधिसूचना के विरोध में दाखिल की गई थी और याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी.

एक वकील की ओर से यह याचिका दाखिल की गई. जस्टिस जे. के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच के सामने इसका उल्लेख किया गया, जिसके बाद बेंच ने सुनवाई से इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है, इसके बावजूद एमसीडी ने अधिसूचना जारी कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया था, जिस पर रोक लगाने के लिए कई याचिकाएं दाखिल हुईं. इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 14 अगस्त को सुनवाई की और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आवारा कुत्तों की पूरी समस्या स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण है. तीन जजों- जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की बेंच ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

जस्टिस जे. बी. पारडीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे जल्द से जल्द सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाना शुरू करें और उन्हें कुत्तों के लिए बने शेल्टर होम में स्थानांतरित करें.

बेंच ने अधिकारियों को कुत्तों के लिए तुरंत शेल्टर होम बनाने और 8 हफ्ते के अंदर इस तरह के बुनियादी ढांचे के निर्माण के बारे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखा जाएगा और उन्हें सड़कों, कॉलोनियों या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से खासकर बच्चों में होने वाले रेबीज के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए 28 जुलाई को शुरू किए गए एक मामले की सुनवाई के दौरान कई निर्देश जारी किए थे.

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