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Shubhanshu Shukla Gaganyaan Mission Update; ISRO | Space News | शुभांशु शुक्ला की आज प्रेस…

नई दिल्ली3 मिनट पहले

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इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला आज दोपहर 1 बजे दिल्ली में भारत के गगनयान मिशन के बारे में बताएंगे। उनके साथ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहेंगे।

गगनयान मिशन ISRO का ह्यूमन स्पेस मिशन है। इसके तहत 2027 में स्पेसक्राफ्ट से वायुसेना के तीन पायलट्स को स्पेस में भेजा जाएगा।

ये पायलट 400 किमी के ऑर्बिट पर 3 दिन रहेंगे, जिसके बाद हिंद महासागर में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग कराई जाएगी। मिशन की लागत करीब 20,193 करोड़ रुपए है।

गगनयान मिशन के लिए अभी वायुसेना के चार पायलट्स को चुना गया है, जिनमें से एक ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हैं। शुभांशु इसीलिए एक्सियम मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए थे।

गगनयान के जरिए पायलट्स को स्पेस में भेजने से पहले इसरो दो खाली टेस्ट फ्लाइट भेजेगा। तीसरी फ्लाइट में रोबोट को भेजा जाएगा। इसकी सफलता के बाद चौथी फ्लाइट में इंसान स्पेस पर जा सकेंगे। पहली टेस्ट फ्लाइट इस साल के अंत तक भेजी जा सकती है।

गगनयान मिशन से भारत को क्या हासिल होगा

गगनयान मिशन से भारत को कई तरह से फायदा होगा…

  • स्पेस एक बढ़ती हुई इकोनॉमी है, जो 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 154 लाख करोड़ रुपए की हो जाएगी। इसलिए भारत का इसमें बना रहना जरूरी है।
  • रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत स्पेस में इंसान भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा।
  • स्पेस के जरिए सोलर सिस्टम के अन्य पहलुओं की रिसर्च का रास्ता खुलेगा।
  • भारत को खुद का स्पेस स्टेशन बनाने के प्रोजेक्ट में मदद मिलेगी।
  • रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में नए रोजगार बनेंगे।
  • निवेश बढ़ेगा जिससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।
  • स्पेस इंडस्ट्री में काम कर रहे दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने का मौका मिलेगा।

ISRO ने ‘गगनयान मिशन’ की क्या-क्या तैयारी कर ली है और क्या बाकी है गगनयान मिशन का रॉकेट तैयार है और एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग जारी है…

1. लॉन्च व्हीकल तैयार: इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने लायक लॉन्च व्हीकल HLVM3 रॉकेट तैयार कर लिया गया है। इसकी सिक्योरिटी टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। इस रॉकेट को पहले GSLV Mk III के नाम से जाना जाता था, जिसे अपग्रेड किया गया है।

2. एस्ट्रोनॉट्स सिलेक्शन और ट्रेनिंग: गगनयान मिशन के तहत 3 एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में ले जाया जाएगा। इसके लिए एयरफोर्स के 4 पायलटों को चुना गया। भारत और रूस में इनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। इन्हें सिम्युलेटर के जरिए ट्रेनिंग दी गई है। स्पेस और मेडिकल से जुड़ी अन्य ट्रेनिंग दी जा रही हैं।

3. क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल: एस्ट्रोनॉट्स के बैठने वाली जगह क्रू मॉड्यूल और पावर, प्रप्लशन, लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली जगह सर्विस मॉड्यूल् अपने फाइनल स्टेज में है। इसकी टेस्टिंग और इंटीग्रेशन बाकी है।

4. क्रू एस्केप सिस्टम (CES): लॉन्चिंग के दौरान किसी अनहोनी की स्थिति में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से तुरंत अलग करने के लिए क्रू एस्केप सिस्टम तैयार किया जा चुका है। पांच तरह के क्रू एस्केप सिस्टम सॉलिड मोटर्स बनाए गए हैं, जिनका सफल परीक्षण भी हो चुका है।

5. रिकवरी टेस्टिंग: ISRO और नेवी ने अरब सागर में स्पलैशडाउन के बाद क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी के लिए टेस्टिंग की है। बैकअप रिकवरी के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ भी समझौता हुआ है।

6. मानव-रहित मिशन के लिए रोबोट: जनवरी 2020 में ISRO ने बताया कि गगनयान के मानव रहित मिशन के लिए एक ह्यूमोनोइड बनाया जा चुका है, जिसका नाम व्योममित्र है। व्योममित्र को माइक्रोग्रैविटी में एक्सपेरिमेंट्स करने और मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए तैयार किया गया है।

लेकिन अभी 3 हजार टेस्ट बाकी…

  • गगनयान से जुड़े 7 हजार से ज्यादा टेस्ट पूरे किए जा चुके हैं, लेकिन अब भी करीब 3 हजार टेस्ट बाकी हैं।
  • एक्चुअल मिशन से पहले मानव-रहित मिशंस होने हैं, जो बाकी है। दिसंबर 2025 तक पहला मानव रहित मिशन होने की उम्मीद है।
  • रॉकेट का फाइनल इंटीग्रेशन और असेंबलिंग अभी बाकी है। इसके होने के बाद भी कई टेस्ट किए जाएंगे।
  • क्रू की पूरी ट्रेनिंग होना बाकी है। साथ ही अभी रिकवरी ऑपरेशन की तैयारी भी अधूरी है।
  • सभी सिस्टम की अंतिम टेस्टिंग बाकी है और उनके सिक्योरिटी सर्टिफिकेशन भी होने हैं।

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