pune court issues notice to akshay kumar arshad warsi over jolly llb 3 | कानूनी पचड़े में फंसी…

2 मिनट पहले
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‘जॉली एलएलबी 3’ 19 सितंबर 2025 को रिलीज होगी।
पुणे की एक अदालत ने बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार और अरशद वारसी को उनकी आने वाली फिल्म ‘जॉली LLB 3’ को लेकर नोटिस भेजा है।
न्यूज 18 की खबर के अनुसार, यह नोटिस वकील वाजिद खान बिदकर की शिकायत के बाद जारी किया गया। बिदकर ने दावा किया है कि फिल्म में लीगल सिस्टम और कोर्ट की कार्यवाही का मजाक उड़ाया गया है।
अपनी याचिका में बिदकर ने कहा कि जॉली एलएलबी 3 में लीगल प्रोफेशन को अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है और फिल्म कोर्ट का अपमान करती है।
बिदकर ने फिल्म के एक सीन पर भी आपत्ति जताई, जिसमें जजों को “मामू” कहा गया है।
कोर्ट ने अक्षय कुमार और अरशद वारसी को 28 सितंबर को हाजिर होने के लिए कहा है।
‘जॉली एलएलबी’ 2013 में रिलीज हुई थी और इसका सीक्वल 2017 में आया था।
फिल्म के खिलाफ पहले भी हुई शिकायत
‘जॉली एलएलबी 3’ के खिलाफ यह पहली शिकायत नहीं है। पहले भी फिल्म कानूनी विवाद में फंसी थी। अजमेर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रभान राठौड़ ने फिल्म के खिलाफ केस दायर किया था।
हालांकि, जून 2025 में फिल्म के खिलाफ अजमेर में दायर केस को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
जस्टिस अशोक जैन की अदालत ने आदेश देते हुए कहा था- कोई भी दावा आशंकाओं पर नहीं चल सकता है। फिल्म अभी निर्माणाधीन है, ऐसे में यह कहना कि फिल्म में जज और वकीलों की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। यह केवल आशंका मात्र है।
‘जॉली एलएलबी 3’ में अक्षय कुमार, अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म के डायरेक्टर सुभाष कपूर हैं।
कोर्ट ने कहा था कि सिनेमैटोग्राफी एक्ट-1952 के तहत रिलीज से पहले फिल्म का कंटेंट सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। फिल्म के किसी सीन को लेकर अगर आपत्ति है तो इसके खिलाफ सेंसर बोर्ड में शिकायत और अपील का प्रावधान है।
दरअसल, अजमेर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रभान राठौड़ ने फिल्म को लेकर कहा था कि फिल्म से जज और वकीलों की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व में भी इस फिल्म के दो पार्ट में न्यायपालिका की छवि धूमिल की गई थी। ऐसे में फिल्म की शूटिंग पर रोक लगाई जाए।
इसके खिलाफ अभिनेता अक्षय कुमार, अरशद वारसी और फिल्म के डायरेक्टर सुभाष कपूर ने हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की थी।
अक्षय कुमार की ओर से सीनियर एडवोकेट आरके अग्रवाल और उनकी टीम ने पैरवी की थी।
सेंसर बोर्ड से पहले कोर्ट को जांच का अधिकार नहीं हाईकोर्ट में अक्षय कुमार और अन्य की ओर से बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट आरके अग्रवाल ने कहा था कि फिल्म के दृश्यों की जांच करने का अधिकार सेंसर बोर्ड को है। अगर सेंसर बोर्ड से प्रमाणित फिल्म पर किसी को आपत्ति है तो सिनेमैटोग्राफी एक्ट में रिवीजन और अपील का प्रावधान है।
उन्होंने कहा था कि केवल आंशका मात्र से किसी फिल्म की शूटिंग रोकना और उसकी जांच कोर्ट द्वारा किया जाना ठीक नहीं है। ऐसे में अजमेर कोर्ट में दायर दावे को खारिज किया जाए।
वहीं, बार एसोसिएशन की ओर से कहा गया था कि हम न्यायपालिका की गरिमा की बात कर रहे हैं। इस फिल्म के पिछले 2 पार्ट में न्यायपालिका की छवि को धूमिल किया गया था। इसलिए हमारी मांग है कि जज और वकीलों की कमेटी गठित करके इस फिल्म के दृश्यों और अन्य जानकारी उन्हें दी जाए।