The bodies of the innocent children who were searched for 35 kilometers were found in the car…

दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बसी नागतलाई कॉलोनी में मंगलवार शाम दो मासूम नस (8) और एहसान (5) खेलने के लिए घर से बाहर निकले, लेकिन वापस नहीं लौटे। लौटी कफन में लिपटी उनकी लाख, जिसे देख घरवालों का कलेजा बैठ गया।
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मंगलवार शाम 6 बजे घर से निकले अनस और एहसान काफी देर तक नहीं लौटे तो उनकी तलाश में परिवार और कॉलोनी के लोगों ने 35 से 40 किमी का एरिया छान मारा।
रात साढ़े 11 बजे उनके शव उन्हीं के घर के सामने खड़ी एसयूवी कार में मिले। वही कार, जिसके पास से उनकी दादी नफीस तीन-चार बार गुजरीं थी अपने पोतों को ढूंढते हुए।
उन्हें क्या पता था कि पोते इसी कार में हैं। बच्चों के कान-नाक से खून आ रहा था। आंखें लाल थीं। चेहरा नीला पड़ गया था। पुलिस दम घुटने की बात मान रही है। परिवार हत्या का शक जता रहा है।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
घर के बाहर जमा कॉलोनी के लोग। घटना के बाद से पूरा मोहल्ला सदमे में है।
दादी बोली- घर आते ही पूछा, तब पता चला गायब हैं
भास्कर से बातचीत में दादी नफीस रोते हुए बोलीं, ‘घर आते ही मैंने पूछा- बच्चे कहां हैं तो बहू ने बताया, काफी देर से बाहर गए हैं। मैं उन्हें बुलाने निकली, लेकिन कहीं नहीं मिले।
गली-सड़क, पड़ोस सब खंगाल लिया। अंधेरे और घबराहट में कई बार घर के सामने खड़ी कार के पास से गुजरी। झांकने का ख्याल ही नहीं आया। काश उसी वक्त देख लेती तो शायद बच्चों की जान बच जाती। अब ये अफसोस ज़िंदगी भर रहेगा।’
बेसुध दोनों बच्चों की मां। हाथ में तस्वीर लिए पोतों को याद करती दादी।
सवालों में घिरी मौत- हत्या या हादसा
नागतलाई कॉलोनी में एंट्री करते ही घर है। दादा सत्तार, दादी नफीस, पिता शहजाद, मां सबा, छोटा भाई शाहरुख़, अनस और एहसान के साथ यहां किराये से रहते हैं।
पड़ोसी शाकिर ने बताया कि उसने ही बच्चों के शव कार से निकाले थे। पुलिस के साथ जब हम बच्चों की तलाश कर रहे थे तो उन्होंने वाहनों के नीचे और अंदर भी देखने को कहा।
नजर गाड़ी पर पड़ी तो देखा कि ड्राइवर सीट पर एहसान और पीछे की सीट पर अनस पड़े हुए थे। दोनों बच्चों को लेकर ट्राेमा सेंटर गए। एहसान के मुंह, कान और नाक से खून बह रहा था। दोनों बच्चों के पैर अकड़े हुए थे।
मौके पर मौजूद एक और युवक दानिश अनवर ने बताया दोनों के शरीर अकड़ गए थे। बड़े बच्चे के सिर में चोट भी लगी थी। दोनों के होठ नीले पड़े हुए थे। आंखें लाल थीं। एक बच्चे के गाल पर भी निशान था। बच्चों के सीने पर निशान भी मिले हैं। जैसे किसी ने जूता रख कर दबाया हो।
एसएचओ उदय सिंह ने बताया- प्रारंभिक जांच में यही लग रहा है कि बच्चे खेलते-खेलते गाड़ी में बैठ गए और फिर दरवाजा नहीं खोल पाए। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम करवाया गया है। कारणों का खुलासा रिपोर्ट के बाद ही हो पाएगा।
हमेशा साथ रहते, मौत भी एक साथ आई
दोनों भाई हमेशा साथ रहते थे। खेलना, स्कूल आना–जाना…हर काम साथ। एहसान इसी 10 अगस्त को 5 साल का हुआ था। अनस का जन्मदिन 8 नवंबर को आता है।
पोस्टमार्टम के बाद शव पहुंचे तो घर में कोहराम मच गया। दादा सत्तार फूट-फूटकर रो रहे थे। मां, दादी, बुआ सबका रो रोकर बुरा हाल था। बच्चों के पिता शहज़ाद दिव्यांग हैं। दादा लोडिंग ई रिक्शा चलाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है।
मामले में दो बड़े सवाल है। पहला- बच्चे कब और कैसे कार में पहुंचे? दूसरा अगर ये हत्या है तो हत्या की वजह क्या? क्योंकि परिवार की किसी से दुश्मनी नहीं थी।
पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम कराया है। रिपोर्ट से ही मौत की असली वजह सामने आएगी। इसके अलावा जहां से शव मिले, वहां से 30 मीटर दूर एक कारखाना भी है।
कारखाने में सीसीटीवी लगा है। इसके अलावा कारखाने के सामने एक मंदिर में भी सीसीटीवी लगे हैं। पुलिस को इन दोनों की फुटेज से अहम सुबूत मिलने की उम्मीद है। सीसीटीवी के लिए कारखाने के मालिक को बुलाया गया है।
दोनों भाई हमेशा साथ ही रहते थे। स्कूल जाना हो…खेलना हो, हर काम साथ ही करते थे।
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