Bank account frozen in cyber fraud case, court got it opened | साइबर फ्रॉड केस में बैंक खाता…

आंध्रप्रदेश में साइबर फ्रॉड के मामले में ट्रांजेक्शन को लेकर जोधपुर के एक व्यक्ति का बैंक खाता फ्रीज हो गया, जो कई प्रयास के बाद भी नहीं वापस नहीं खुल पा रहा था। ऐसे मामले में पीड़ित को आखिरकार राहत मिली राजस्थान हाईकोर्ट से। जहां जस्टिस कुलदीप माथुर
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जस्टिस माथुर की कोर्ट ने बुधवार को अपने आदेश में जियो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड को निर्देश दिया है कि वह केवल विवादित राशि को फ्रीज रखे और याचिकाकर्ता को बैंक खाते के शेष बैलेंस से लेनदेन की अनुमति दे।
आंध्रप्रदेश एलुरु साइबर थाने में दर्ज केस से जुड़ा
दरअसल, पावटा लक्ष्मी नगर निवासी शिवम बोहरा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में सिविल रिट पेटिशन दायर की थी। इसमें बताया गया कि उसके नाम से जियो पेमेंट्स बैंक अकाउंट है। जिसे बैंक ने फ्रीज कर दिया। पड़ताल करने पर पता चला कि यह कार्रवाई आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले के साइबर पुलिस स्टेशन नज्विद टाउन यूपीएस में दर्ज शिकायत के आधार पर की गई थी। विवादित राशि 3,000 रुपए बताई गई।
नोडल अधिकारी को शिकायत, फिर भी नहीं खोला
बोहरा ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जयपुर क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक और जियो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड के नोडल अधिकारी को भी शिकायत कर फ्रीज बैंक अकाउंट खोलने का आग्रह किया, लेकिन बैंक ने इसकी परवाह नहीं की। इससे परेशान होकर बोहरा ने हाईकोर्ट की शरण ली।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में रखी बात
याचिकाकर्ता ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पांच मुख्य मांगें रखी थीं। पहली, बैंक खाते की फ्रीजिंग को रद्द करने, दूसरी, खाते को डी-फ्रीज करने या वैकल्पिक रूप से केवल विवादित राशि को होल्ड रखने, तीसरी, उचित सुनवाई का अवसर देने, चौथी, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाली कार्रवाई को अवैध घोषित करने और पांचवीं में न्यायालय द्वारा उचित समझे जाने वाले अन्य आदेश की बात कही गई थी।
कोर्ट के संतुलित फैसले में विस्तृत निर्देश
जस्टिस कुलदीप माथुर की कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए संतुलित फैसला दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि बैंक को विवादित राशि का सटीक आंकड़ा नहीं मिला है, जिसके बारे में जांच अधिकारी/पुलिस द्वारा साइबर क्राइम की राशि बताई जा रही है, तो बैंक संबंधित जांच अधिकारी/पुलिस को पत्र भेजेगा, जिसमें फ्रीज की जाने वाली राशि का स्पष्ट उल्लेख है। इस पत्र के साथ कोर्ट के आदेश की कॉपी भी संलग्न की जाएगी।
जांच अधिकारी-पुलिस 7 दिन में दे जवाब
कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि ऐसे पत्र की प्राप्ति पर, संबंधित जांच अधिकारी/पुलिस, बैंक से पत्र प्राप्त होने के सात दिन की अवधि के भीतर लिएन (LIEN) में रखी जाने वाली राशि के बारे में बैंक को अवगत कराने के लिए बाध्य होगा। इसके बाद बैंक कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेगा।
इतना ही नहीं, यदि बैंक को संबंधित जांच अधिकारी-पुलिस से कोई उत्तर नहीं मिलता है, तो वह इस आदेश के अनुसार कार्य करे।